NHAI सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट 2023–24 | 01 Aug 2025

स्रोत: पी.आई.बी.

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिये अपनी दूसरी सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट जारी की, जिसमें पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) सिद्धांतों को अपने संचालन में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का विवरण दिया है।

NHAI द्वारा शुरू की गई प्रमुख पर्यावरणीय स्थिरता पहल क्या हैं?

  • विकास को उत्सर्जन से अलग करना: राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में 20% वृद्धि के बावजूद, NHAI ने अपने ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन तीव्रता को 1.0 से घटाकर 0.8 MTCO₂e/km कर दिया है, जिससे निर्माण वृद्धि और उत्सर्जन में स्पष्ट अंतर प्रदर्शित होता है।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: वित्त वर्ष 2023–24 में NHAI ने फ्लाई ऐश, प्लास्टिक अपशिष्ट और पुनः प्राप्त डामर सहित 631 लाख मीट्रिक टन से अधिक पुनर्नवीनीकृत और पुनः उपयोग की गई सामग्री का उपयोग किया, जिससे निर्माण से होने वाले अपशिष्ट में भारी कमी आई और संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा मिला।
  • जल निकाय पुनरुद्धार: अमृत सरोवर मिशन के अंतर्गत NHAI ने देश भर में 467 जल निकायों का विकास किया है।
    • इन प्रयासों के परिणामस्वरूप 2.4 करोड़ घन मीटर मिट्टी भी उपलब्ध कराई है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 16,690 करोड़ रुपए की अनुमानित बचत हुई है।
  • जल उपयोग की तीव्रता में कमी: रिपोर्ट में जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में NHAI की जल उपयोग की तीव्रता में 74% की कमी दर्ज की गई है, जो बुनियादी ढाँचे के विकास में जल संरक्षण के प्रति NHAI की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

बुनियादी ढाँचे के विकास को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ कैसे समन्वित किया जा सकता है?

  • हरित अवसंरचना सिद्धांतों को अपनाएँ: ऐसी अवसंरचना डिज़ाइन करना जो प्रकृति के साथ काम करना, जैसे- पारगम्य फुटपाथ, हरित छतें, जैव-नालियाँ और शहरी वन
  • योजना स्तर पर EIA को एकीकृत करना: पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) को केवल एक औपचारिकता न बनाकर, उसे निर्णय लेने का एक प्रभावी उपकरण बनाना।
    • बहु-परियोजना या क्षेत्रीय स्तर की योजना के लिये रणनीतिक पर्यावरणीय आकलन (जिसमें सामाजिक आकलन भी शामिल है) का उपयोग करना।
  • सतत् सामग्रियों का उपयोग करना और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: निर्माण में पुनर्नवीनीकृत, कम कार्बन वाली और स्थानीय रूप से प्राप्त सामग्रियों का उपयोग करना।
    • फ्लाई ऐश, प्लास्टिक, निर्माण एवं विध्वंस (C&D) अपशिष्ट के पुनः उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  • हरित आवरण और प्रतिपूरक वनीकरण: राजमार्गों, रेल और शहरी योजनाओं में वृक्षारोपण, ग्रीन बेल्ट और पारिस्थितिक बफर क्षेत्रों को शामिल करना।
    • संवेदनशील क्षेत्रों में “ट्री फर्स्ट, रोड नेक्स्ट” दृष्टिकोण अपनाना।
  • जल संरक्षण एवं प्रबंधन: शहरी एवं परिवहन परियोजनाओं में वर्षा जल संचयन, ग्रे वाटर (उपयोगित जल) के पुन: उपयोग और जल-दक्षता प्रणालियाँ डिज़ाइन करना। साथ ही स्थानीय जल निकायों का पुनरुद्धार करना।
  • वन्यजीव और जैव विविधता का संरक्षण: रेखीय अवसंरचना (सड़क, रेलमार्गों) में इको-ब्रिज, अंडरपास और वन्यजीव या एनिमल कॉरिडोर का निर्माण करना।
  • निम्न-कार्बन परिवहन अवसंरचना: मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम, गैर-इंजन चालित परिवहन (NMT) और इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुकूल राजमार्गों को बढ़ावा देना।
    • ऐसे और समर्पित माल ढुलाई गलियारे विकसित करना जो उत्सर्जन और भीड़-भाड़ को कम करना।
  • नीति संरेखण और ESG अनुपालन: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को मिशन LiFE, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) और सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के साथ संरेखित करना।
    • सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों द्वारा पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करना।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण

  • NHAI सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है, जो भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
  • यह NHAI अधिनियम, 1988 के तहत स्थापित किया गया था और फरवरी 1995 में संचालन में आया।
    • इस प्राधिकरण का नेतृत्व एक अध्यक्ष द्वारा किया जाता है और इसमें केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किये गए पाँच पूर्णकालिक और चार अंशकालिक सदस्य शामिल होते हैं।

निष्कर्ष

NHAI की सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट "बिल्ड फास्ट" से "बिल्ड ग्रीन" की ओर एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाती है, जो जलवायु जागरूकता को अवसंरचना के विस्तार के साथ जोड़ती है। भारत को "कंक्रीट विद कॉन्शियंस" के मार्ग पर चलना होगा, जहाँ हर राजमार्ग, पुल या बंदरगाह न केवल एक आर्थिक संपत्ति नहीं बल्कि एक पारिस्थितिक ज़िम्मेदारी भी है।

मेन्स के लिये संबंधित कीवर्ड:

  • अवसंरचना और सस्टेनेबिलिटी:
    • "कार्बन सिंक के लिये राजमार्ग" - परिवहन गलियारों को पारिस्थितिक परिसंपत्तियों में बदलना।
    • "ईंटें, बाइट्स और जैव विविधता" - निर्माण, डिजिटल उपकरण और पारिस्थितिकी का विलय।
    • "उत्सर्जन माप, वृद्धि का प्रबंधन करना" - नियोजन उपकरण के रूप में उत्सर्जन तीव्रता।
  • ESG और चक्रीय अर्थव्यवस्था::
    • “पुनर्चक्रण, पुनः उपयोग, पुनर्निर्माण” – सतत् निर्माण के मुख्य स्तंभ।
    • "अपशिष्ट गतिशील धन है" - निर्माण अपशिष्ट को परिसंपत्तियों में बदलना।
    • "कार्बन लागत उतनी ही महत्त्वपूर्ण है जितनी पूंजीगत लागत" - बजट निर्धारण में ESG का दृष्टिकोण।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. "बुनियादी ढाँचे के विकास को अक्सर पर्यावरणीय स्थिरता के साथ समझौता माना जाता है। भारतीय संदर्भ में आर्थिक विकास और पारिस्थितिक संरक्षण की आवश्यकताओं से समझौता किये बिना सतत् बुनियादी ढाँचे को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?"

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. “अधिक तीव्र एवं समावेशी आर्थिक विकास के लिये बुनियादी ढाँचे में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2021)