राष्ट्रीय जल पुरस्कार | 08 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय जल पुरस्कार, पानी बचाने की पहल, केंद्रीय भूजल बोर्ड।

मेन्स के लिये:

जल संरक्षण की आवश्यकता, जल संरक्षण हेतु सरकार की पहल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय जल पुरस्कार (NWA) 2020 में जल संरक्षण के प्रयासों के लिये उत्तर प्रदेश को प्रथम पुरस्कार दिया गया।

  • सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में राजस्थान और तमिलनाडु को क्रमशः दूसरा और तीसरा पुरस्कार मिला।

प्रमुख बिंदु 

  • राष्ट्रीय जल पुरस्कार के बारे में:
    • जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा पुरस्कारों का आयोजन किया जाता है।
    • वर्ष  2018 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा पहला 'राष्ट्रीय जल पुरस्कार' प्रदान किया गया था।
    • यह भारत में सर्वोत्तम जल संसाधन प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने पर वरिष्ठ नीति निर्माताओं के साथ जुड़ने हेतु  स्टार्ट-अप के साथ-साथ प्रमुख संगठनों के लिये  एक अच्छा अवसर प्रदान करता है।
    • वे देश भर में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किये गए अच्छे काम एवं प्रयासों तथा 'जल समृद्ध भारत' के मार्ग हेतु सरकार के दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • उद्देश्य:
    • जल संसाधन संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों/संगठनों को प्रेरित करना।
    • पानी के महत्त्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना और उन्हें सर्वोत्तम जल उपयोग प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
  • अवसर प्रदान करना: 
    • स्टार्ट-अप, अग्रणी संगठन और लोग जल संरक्षण एवं प्रबंधन गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर मौजूदा साझेदारी को और मज़बूत कर सकते हैं।
  • जल संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता:
    • अति प्रयोग के कारण जल संसाधनों की कमी और जलवायु परिवर्तन के कारण जल आपूर्ति में गिरावट भारत को पानी की कमी के चरम बिंदु के करीब ले जा रही है।
    • इनके अलावा विशेष रूप से कृषि से संबंधित कई सरकारी नीतियों के परिणामस्वरूप पानी का अत्यधिक दोहन हुआ है। ये कारक भारत को जल-तनावग्रस्त अर्थव्यवस्था बनाते हैं। इस संदर्भ में जल संसाधन संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है।      
    • भारत की वर्तमान पानी की आवश्यकता लगभग 1,100 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रतिवर्ष है, जिसका वर्ष 2050 तक 1,447 बिलियन क्यूबिक मीटर तक होने का अनुमान है।
    • भारत में दुनिया की 16% आबादी निवास करती है, लेकिन देश के पास दुनिया के पीने योग्य पानी के संसाधनों का केवल 4% हिस्सा ही मौजूद है। बदलते मौसम के मिजाज़ और बार-बार पड़ने वाले सूखे से भारत जल संकट से जूझ रहा है।
      • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) के अनुसार, भारत में कृषि भूमि की सिंचाई के लिये प्रतिवर्ष 230 बिलियन मीटर क्यूबिक भूजल निकाला जाता है, जिससे देश के कई हिस्सों में भूजल का तेजी से क्षरण हो रहा है।
      • भारत में कुल अनुमानित भूजल की कमी 122-199 बिलियन मीटर क्यूब की सीमा में है।

संबंधित पहल

आगे की राह

  • लोग जल संरक्षण के महत्त्व की उपेक्षा करते हैं क्योंकि ज़्यादातर जगहों पर यह मुफ़्त है या नाममात्र का शुल्क लिया जाता है, इसलिये उनके लिये इसके महत्त्व को समझना और इसके दोहन की स्थिति से अवगत होना महत्त्वपूर्ण है।
  • राष्ट्रीय जल पुरस्कार जैसी पहल, अन्य सरकारी पहलों के साथ जागरूकता पैदा करने में मदद करेगी और सर्वोत्तम जल उपयोग प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रेरित करेगी जो भारत को 'जल समृद्ध भारत' बनने में मदद करेगी।

स्रोत- पी.आई.बी