राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019 | 31 Jan 2020

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019, होम्योपैथी

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019 में संशोधन का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 (Homoeopathy Central Council Act, 1973) में संशोधन के लिये राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019 (National Commission for Homoeopathy Bill, 2019) में आधिकारिक संशोधनों को अपनी मंजूरी दे दी है।

मुख्य बिंदु:

  • इस मसौदा विधेयक में होम्योपैथी के लिये राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करने तथा केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 में संशोधन कर केंद्रीय होम्योपैथी परिषद को प्रतिस्थापित करने संबंधी प्रावधान किया गया है।
  • वर्तमान में यह विधेयक राज्य सभा में लंबित है।

पृष्ठभूमि:

  • होम्योपैथी की शिक्षा एवं प्रैक्टिस के नियमन, केंद्रीय होम्योपैथी रजिस्टर के रखरखाव तथा संबंधित मामलों को लेकर केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के गठन के लिये होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 को लागू किया गया था।
  • इस अधिनियम को भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 (Indian Medical Council Act, 1956) के प्रारूप पर तैयार किया गया है।
  • भारतीय चिकित्सा परिषद के मुख्य क्रियाकलापों में शक्तियों का निर्धारण एवं नियमन करना शामिल है।
  • यह अधिनियम होम्योपैथी चिकित्सा शिक्षा एवं प्रैक्टिस के विकास के लिये एक ठोस आधार प्रदान करता है।
  • परिषद के क्रियाकलापों में अनेक बाधाओं का अनुभव किया गया है जिसके परिणामस्वरूप चिकित्सा शिक्षा के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण होम्योपैथी स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर गंभीर हानिकारक प्रभाव पड़ा है।

संशोधन से लाभ:

  • यह संशोधन होम्योपैथिक शिक्षा में कई आवश्यक नियामक सुधारों को सुनिश्चित करेगा।
  • आम जनता के हितों की रक्षा के लिये पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित होंगे।
  • यह आयोग देश के सभी हिस्सों में किफायती स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ावा देगा।

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019:

  • राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019 को केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा 7 जनवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था।
  • यह विधेयक होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 को रद्द करता है और ऐसी चिकित्सा शिक्षा प्रणाली का प्रावधान करता है जो निम्नलिखित उद्देश्य सुनिश्चित करे-
    • उच्च स्तरीय होम्योपैथिक मेडिकल प्रोफेशनल्स को पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराना।
    • होम्योपैथिक मेडिकल प्रोफेशनल्स द्वारा नवीनतम चिकित्सा अनुसंधानों को अपनाना।
    • मेडिकल संस्थानों का समय-समय पर मूल्यांकन करना।
    • एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली की स्थापना करना।

होम्योपैथी

  • होम्योपैथी की खोज एक जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन (Christian Friedrich Samuel Hahnemann) (1755-1843) द्वारा अठारहवीं सदी के अंत के दशक में की गई थी।
  • यह ‘सम: समम् शमयति’ (Similia Similibus Curentur) या ‘समरूपता’ (let likes be treated by likes) दवा सिद्धांत पर आधारित एक चिकित्सीय प्रणाली है।
  • यह प्रणाली दवाओं द्वारा रोगी का उपचार करने की एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किया जाता है जिससे रोगग्रस्त व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है।

स्रोत: पीआईबी