राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक विधेयक, 2021 | 27 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्यसभा द्वारा राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (National Bank for Financing Infrastructure and Development- NBFID) विधेयक, 2021 पारित किया गया।

  • इस विधेयक का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये एक प्रमुख विकास वित्तीय संस्थान (Development Financial Institutions- DFIs) के तौर पर राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (NBFID) की स्थापना करना है।
  • NFBID की घोषणा बजट 2021 में की गई थी।

विकास वित्तीय संस्थान (DFI)

  • DFIs का गठन अर्थव्यवस्था के ऐसे क्षेत्रों को दीर्घकालिक वित्त प्रदान करने के लिये किया जाता है जिनसे संबंधित जोखिम वाणिज्यिक बैंकों और अन्य साधारण वित्तीय संस्थानों की स्वीकार्य सीमा से परे हैं।
    • DFIs बैंकों की तरह लोगों से जमा स्वीकार नहीं करते हैं।
  • वे बाज़ार, सरकार और साथ ही बहुपक्षीय संस्थानों से धन जुटाते हैं तथा प्रायः सरकारी गारंटी द्वारा समर्थित होते हैं।

प्रमुख बिंदु

NBFID एक कॉर्पोरेट के रूप में:

  • NBFID का गठन एक कॉरपोरेट निकाय के रूप में किया जाएगा जिसकी अधिकृत शेयर पूंजी एक लाख करोड़ रुपए होगी। 

उद्देश्य:

  • वित्तीय उद्देश्य:
    • इसके वित्तीय उद्देश्यों में पूरी तरह से या आंशिक रूप से भारत में अवस्थित अवसंरचनात्मक परियोजनाओं के लिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उधार देना, निवेश करना या निवेश को आकर्षित करना शामिल है।
  • विकासपरक उद्देश्य:
    • विकासपरक उद्देश्यों में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये बॉण्ड, ऋण और व्युत्पन्नों (डेरिवेटिव्स) के बाज़ार के विकास में मदद करना शामिल है।

NBFID के कार्य: 

  • अवसंरचना परियोजनाओं/इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को लोन तथा एडवांस देना
  • मौजूदा ऋण/लोन का अधिग्रहण कर उसका फिर से वित्तपोषण करना।
  • अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश के लिये निजी क्षेत्र के निवेशकों और संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करना
  • अवसंरचना परियोजनाओं में विदेशी भागीदारी को सरल बनाना
  • अवसंरचना वित्तपोषण के क्षेत्र में विवाद निवारण के लिये विभिन्न सरकारी प्राधिकारियों/प्राधिकरणों से बातचीत को सुविधाजनक बनाना
  • अवसंरचना वित्तपोषण में परामर्श सेवाएँ प्रदान करना। 

धनराशि का स्रोत

  • यह लोन/ऋण के रूप में भारतीय रुपए तथा विदेशी मुद्रा दोनों में धन जुटा सकता है या बॉण्ड्स और डिबेंचर्स सहित विभिन्न वित्तीय साधनों को जारी करके और उन्हें बेचकर धन प्राप्त कर सकता है।
  • यह केंद्र सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक, अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे बहुपक्षीय संस्थानों से धन उधार ले सकता है।
  • प्रारंभ में इस संस्थान में केंद्र सरकार की भागीदारी 100% होगी जो धीरे-धीरे कम होकर 26% तक पहुँच जाएगी।

NBFID का प्रबंधन: 

  • NBFID का प्रबंधन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा किया जाएगा। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा RBI की सलाह से की जाएगी।
  • केंद्र सरकार द्वारा गठित एक निकाय मैनेजिंग डायरेक्टर और डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर्स के पद के लिये उम्मीदवारों के नामों का सुझाव देगा। 
  • आंतरिक समिति के सुझावों के आधार पर बोर्ड स्वतंत्र डायरेक्टर्स की नियुक्ति करेगा।

केंद्र सरकार से सहयोग: 

  • केंद्र सरकार पहले वित्तीय वर्ष के अंत में NBFID को 5,000 करोड़ रुपए का अनुदान देगी।
  • सरकार बहुपक्षीय संस्थानों, सॉवरेन वेल्थ फंड्स और अन्य विदेशी फंड्स से उधारियों के लिये अधिकतम 0.1% की रियायती दर पर गारंटी भी प्रदान करेगी।
  • विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा में उधारियाँ लेने पर) में उतार-चढ़ाव के कारण होने वाली हानि से संबंधित लागत की भरपाई सरकार द्वारा पूरी तरह या आंशिक रूप से की जा सकती है।
  • NBFID द्वारा अनुरोध किये जाने पर सरकार उसके द्वारा जारी बॉण्ड्स, डिबेंचर्स और लोन की गारंटी ले सकती है। 

जाँच और अभियोजन के लिये पूर्व मंज़ूरी:

  • अध्यक्ष और दूसरे डायरेक्टर्स के मामले में केंद्र सरकार तथा अन्य कर्मचारियों के मामले में मैनेजिंग डायरेक्टर की पूर्व मंज़ूरी के बिना NBFID के कर्मचारियों की जाँच शुरू नहीं की जा सकती।
  • NBFID के कर्मचारियों से संबंधित मामलों में अपराधों का संज्ञान लेने के लिये न्यायालयों को भी पूर्व मंज़ूरी लेनी होगी। 

अन्य विकास वित्तीय संस्थान (DFI)

  • विधेयक में यह प्रावधान भी है कि RBI में आवेदन करके कोई भी व्यक्ति DFI बना सकता है।
  • RBI केंद्र सरकार की सलाह से DFI को लाइसेंस दे सकता है।  
  • इन विकास वित्तीय संस्थानों के लिये विनियम RBI द्वारा निर्दिष्ट किये जाएंगे।

स्रोत: द हिंदू