नासा का बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्षयान | 04 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, लो अर्थ ऑर्बिट, वाणिज्यिक क्रू मिशन, कमर्शियल ऑर्बिटल ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज़, क्रू स्पेस ट्रांसपोर्टेशन -100

मेन्स के लिये:

नासा द्वारा प्रायोजित विभिन्न मिशन एवं उनके उद्देश्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चालक रहित बोइंग के स्टारलाइनर ऑर्बिटल फ्लाइट टेस्ट-2 (OFT-2) की लॉन्चिंग को एक बार फिर टाल दिया गया है।

  • अंतरिक्षयान, जिसे क्रू स्पेस ट्रांसपोर्टेशन-100 (CST-100) कहा जाता है, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) हेतु एक मानव रहित परीक्षण उड़ान का हिस्सा है।
  • यह मिशन नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम का हिस्सा है।

प्रमुख बिंदु

CST-100 के बारे में:

  • इस अंतरिक्षयान को ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में मिशन के लिये सात यात्रियों या चालक दल और कार्गो के मिश्रण को समायोजित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
  • यह मिशन ISS के लिये नासा द्वारा प्रायोजित मिशनों में से एक है तथा यह चार चालक दल के सदस्यों के साथ कम समय में महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान में सहायता करेगा।
    • स्टारलाइनर अंतरिक्षयान 400 पाउंड से ज़्यादा के नासा के कार्गो और चालक दल को अंतरिक्ष स्टेशन तक ले जाएगा। 
  • स्टारलाइनर में एक नई, वेल्डलेस (weldless) संरचना विद्यमान है जिसे छह महीने के टर्नअराउंड समय (Turnaround Time) में 10 बार पुन: प्रयोग किया जा सकता है।

उद्देश्य: 

  • जब इस परीक्षण हेतु उड़ान भरी जाएगी तो यह अंतरिक्षयान की लॉन्चिंग, डॉकिंग, वायुमंडलीय पुन: प्रवेश और अमेरिका में एक रेगिस्तान में लैंडिंग की क्षमताओं की जांँच करेगा। 
  • स्पेसफ्लाइट भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाने के लिये  परिवहन प्रणाली का पता लगाने और प्रमाणित करने में नासा की भी मदद करेगा।

नासा का वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम:

  • इसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्षयान की लागत को कम करके अंतरिक्ष तक पहुँच को आसान बनाना है, ताकि ISS से कार्गो और चालक दल को आसानी से ले जाया जा सके और अधिक-से-अधिक वैज्ञानिक अनुसंधान को सक्षम बनाया जा सके।
  • इस कार्यक्रम के माध्यम से नासा ने बोइंग और स्पेसएक्स’ (SpaceX) जैसे वाणिज्यिक भागीदारों के साथ साझेदारी कर लागत कम करने की योजना बनाई है।
  • यह कमर्शियल ऑर्बिटल ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज़ (COTS) के डिज़ाइन और निर्माण के लिये कंपनियों को प्रोत्साहन देने की भी योजना बना रहा है।
    • COTS एक नासा कार्यक्रम था, जिसे 2006 में निजी कंपनियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में चालक दल और कार्गो के वितरण के समन्वय हेतु घोषित किया गया था।
  • बोइंग और स्पेसएक्स जैसी निजी कंपनियों को लो-अर्थ ऑर्बिट’ के लिये चालक दल व परिवहन सेवाएँ प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित करके नासा गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों के लिये अंतरिक्षयान और रॉकेट बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
  •  ‘क्रू-2’ मिशनस्पेसएक्स क्रू ड्रैगन’ का दूसरा क्रू रोटेशन मिशन और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ पहला मिशन है।
    • ‘क्रू-2’ मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री, ‘एक्सपीडिशन-65’ (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 65वाँ दीर्घावधि अभियान) के सदस्यों में शामिल हो जाएंगे।
  • मई 2020 में नासा की स्पेसएक्स डेमो-2 परीक्षण उड़ान दो अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ‘अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन’ (ISS) के लिये रवाना हुई थी।
    • उड़ान का उद्देश्य इस तथ्य का परीक्षण करना था कि क्या स्पेसएक्स द्वारा निर्मित कैप्सूल का उपयोग नियमित रूप से अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन तक ले जाने और वहाँ से लाने के लिये किया जा सकता है या नहीं। 

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS)

  • यह निवास करने योग्य एक कृत्रिम उपग्रह है जो पृथ्वी की निम्न कक्षा में मानव निर्मित सबसे बड़ी संरचना है। इसका पहला हिस्सा वर्ष 1998 में ‘लो-अर्थ ऑर्बिट’ में लॉन्च किया गया था।
  • यह पृथ्वी का लगभग 92 मिनट में चक्कर लगाता है और प्रतिदिन 15.5 परिक्रमा पूरी करता है।
  • ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ कार्यक्रम पाँच प्रतिभागी अंतरिक्ष एजेंसियों की एक संयुक्त परियोजना है: नासा (अमेरिका), रॉसकॉसमॉस (रूस), जाक्सा (जापान), ESA (यूरोप) और CSA (कनाडा)। हालाँकि इसके स्वामित्व और उपयोग को अंतर-सरकारी संधियों और समझौतों के माध्यम से शासित किया जाता है।
  • यह एक माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष पर्यावरण अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है जिसमें चालक दल के सदस्य जीव विज्ञान, मानव जीव विज्ञान, भौतिकी, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान और अन्य विषयों से संबंधित प्रयोग करते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के कारण ही ‘लो-अर्थ ऑर्बिट’ में निरंतर मानव उपस्थिति संभव हो पाई है।
  • इसके वर्ष 2030 तक संचालित रहने की उम्मीद है।
  • हाल ही में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस (Russian Space Agency Roscosmos) ने अपनी सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रयोगशाला नौका को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में लॉन्च किया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस