भारत में सीप्लेन सेवाओं के लिये समझौता ज्ञापन | 17 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये

सी-प्लेन सेवा, सागरमाला सी-प्लेन सेवाएँ 

मेन्स के लिये 

सीप्लेन सेवाओं का विकास : आवश्यकता एवं महत्त्व

चर्चा में क्यों?

बंदरगाह, नौवहन तथा जलमार्ग मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारत में सी-प्लेन सेवाओं के विकास के लिये समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।

प्रमुख बिंदु

समझौता ज्ञापन (MoU) के बारे में:

  • इस समझौता ज्ञापन में भारत के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के भीतर सी-प्लेन सेवाओं के गैर-अधिसूचित/अधिसूचित प्रचालन की परिकल्पना की गई है।
  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय की पहल आरसीएस-उड़ान (Regional Connectivity Scheme-Ude Desh Ka Aam Nagrik) के एक हिस्से के रूप में सी-प्लेन सेवाओं को विकसित किया जाएगा।
  • यह जहाज़रानी मंत्रालय वाटरफ्रंट एयरोड्रोम तथा अन्य आवश्यक बुनियादी ढाँचे की पहचान और विकास करेगा।
  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय बिडिंग प्रक्रिया के माध्यम से संभावित एयरलाइन ऑपरेटरों का चयन करेगा। इसमें नौवहन मंत्रालय द्वारा पहचाने गए स्थान और मार्गों को भी शामिल किया जाएगा।

लाभ:

  • यह समझौता ज्ञापन भारत में नए जल हवाई अड्डों के विकास और नए सी-प्लेन मार्गों के संचालन में तेज़ी लाने में मदद करेगा।
  • यह न केवल समुद्री विमानों के माध्यम से पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देकर पूरे देश में सहज संपर्क को बढ़ाएगा बल्कि पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देगा।
  • इससे स्थानीय स्तर पर पर्यटन और होटल व्यवसाय में वृद्धि होगी और स्थानीय लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।
  • जल हवाई अड्डों की स्थापना प्रस्तावित स्थलों पर वर्तमान सामाजिक आधारभूत सुविधाओं (स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सामुदायिक आवास आदि) के स्तर में वृद्धि में योगदान देगी।

उड़ान योजना के बारे में:

  • ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) योजना को वर्ष 2016 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के रूप में लॉन्च किया गया था।
  • इस योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय मार्गों पर किफायती तथा आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक उड़ानों की शुरुआत करना है, ताकि छोटे शहरों में भी आम आदमी के लिये सस्ती उड़ानें शुरू की जा सकें।
  • यह योजना मौजूदा हवाई-पट्टी और हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के माध्यम से देश के गैर-सेवारत और कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करने की परिकल्पना करती है। यह योजना 10 वर्षों की अवधि के लिये संचालित की जाएगी।
    • कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डे वे हैं, जहाँ एक दिन में एक से अधिक उड़ान नहीं भरी जाती, जबकि गैर-सेवारत हवाई अड्डे वे हैं जहाँ से कोई भी उड़ान नहीं भारी जाती है।
  • चयनित एयरलाइंस को केंद्र, राज्य सरकारों और हवाई अड्डा संचालकों द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है, ताकि वे गैर-सेवारत और कम उपयोग होने वाले हवाई अड्डों पर सस्ती उड़ानें उपलब्ध करा सकें।

उड़ान 4.1 के बारे में:

  • उड़ान 4.1 मुख्यतः छोटे हवाई अड्डों, विशेष तौर पर हेलीकॉप्टर और सी-प्लेन मार्गों को जोड़ने पर केंद्रित है।
  • सागरमाला विमान सेवा के तहत कुछ नए मार्ग प्रस्तावित किये गए हैं।

सागरमाला सीप्लेन सेवाएँ:

  • यह बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है।
  • इस परियोजना को भावी एयरलाइन ऑपरेटरों के माध्यम से एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle- SPV) ढाँचे के तहत शुरू किया जा रहा है।
  • इस परियोजना को सागरमाला विकास कंपनी लिमिटेड (Sagarmala Development Company Ltd- SDCL) के माध्यम से लागू किया जाएगा जो कि बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
  • दूरदराज़ के स्थानों तक कनेक्टिविटी और आसान पहुँच प्रदान करने के लिये SDCL सी-प्लेन संचालन शुरू करके पूरे भारत में विशाल समुद्र तट और कई जल निकायों/नदियों की क्षमता का लाभ उठाने की योजना तलाश रहा है।
    • सी-प्लेन संचालन के लिये कई गंतव्यों की परिकल्पना की गई है। सी-प्लेन टेक-ऑफ और लैंडिंग हेतु आस-पास के जल निकायों का उपयोग करेंगे और इस तरह उन स्थानों को किफायती तरीके से जोड़ेंगे क्योंकि सी-प्लेन संचालन के लिये रनवे और टर्मिनल बिल्डिंग जैसे पारंपरिक हवाई अड्डे के बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता नहीं होती है।
  • मार्गों को सरकार की सब्सिडी वाली उड़ान योजना के तहत संचालित किया जा सकता है।

स्रोत: पीआईबी