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मौद्रिक नीति समीक्षा अगस्त 2019 | 08 Aug 2019 | भारतीय अर्थव्यवस्था

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने रेपो दर (Repo Rate) में 35 आधार अंकों अर्थात् 0.35% की कटौती की है। यह लगातार चौथी बार है जब भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो दर को कम किया है।

प्रमुख निर्णय:

रेपो दर में कमी

24 घंटे NEFT की सुविधा

NBFCs के लिये ऋण की उपलब्धता

सभी पुनरावृत्तीय बिलों BBPS के तहत कवर करने का निर्णय

मौद्रिक नीति समिति

मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है जिसका गठन ब्याज दर निर्धारण को अधिक उपयोगी एवं पारदर्शी बनाने के लिये 27 जून, 2016 को किया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में संशोधन करते हुए भारत में नीति निर्माण को नवगठित मौद्रिक नीति समिति (MPC) को सौंप दिया गया है।

रेपो दर क्या है?

रेपो दर वह दर है, जिस पर बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण लेते हैं। रेपो दर में कटौती कर RBI बैंकों को यह संदेश देता है कि उन्हें आम लोगों और कंपनियों के लिये ऋण को सस्ता करना चाहिये।

प्रभाव

निष्कर्ष

एक ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था की धीमी हो रही रफ्तार के चलते व्यापार युद्ध की संभावनाएँ बढ़ रही हों; घरेलू स्तर पर भी महंगाई की दर काफी नीचे हो; शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही बाज़ारों में मांग में कमी हो रही हो; निर्यात तथा आयात दोनों में कमी हो रही हो, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उठाए गए कदम अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने में सहायक हो सकते है बशर्ते बैंकों द्वारा रेपो दर में इस कटौती का लाभ ग्राहकों और उद्योगों को उपलब्ध कराया जाए।

स्रोत: द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस एवं अन्य