भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति | 20 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992, अनुच्छेद 29, अनुच्छेद 30, अनुच्छेद 350 (B)।

मेन्स के लिये:

भारत में अल्पसंख्यकों का निर्धारण और संबंधित संवैधानिक प्रावधान, अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि धार्मिक और भाषायी समुदायों की अल्पसंख्यक स्थिति "राज्य-निर्भर" है।

संबंधित याचिका:

  • याचिका में शिकायत की गई है कि लद्दाख, मिज़ोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, पंजाब और उत्तर-पूर्वी राज्यों में यहूदी, वहाबी तथा हिंदू धर्म के अनुयायी वास्तविक अल्पसंख्यक हैं।
  • हालाँकि वे राज्य स्तर पर 'अल्पसंख्यक' की पहचान न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना एवं उनका प्रशासन नहीं कर सकते हैं।
  • यहांँ हिंदू जैसे धार्मिक समुदाय सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप से गैर-प्रमुख और कई राज्यों में संख्या में न्यून हैं।

निर्णय:

  • भारत का प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी राज्य में अल्पसंख्यक हो सकता है।
  • एक मराठी अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के बाहर अल्पसंख्यक हो सकता है।
  • इसी तरह एक कन्नड़ भाषी व्यक्ति कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों में अल्पसंख्यक हो सकता है।
  • कोर्ट ने संकेत दिया कि एक धार्मिक या भाषायी समुदाय जो किसी विशेष राज्य में अल्पसंख्यक है, संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने के अधिकार का दावा कर सकता है।

भारत सरकार द्वारा अधिसूचित अल्पसंख्यक:

  • वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (C) के तहत अधिसूचित समुदायों को ही अल्पसंख्यक माना जाता है।
    • टीएमए पाई मामले में सर्वोच्च न्यायलय के 11 न्यायाधीशों की बेंच के फैसले, जिसने स्पष्ट रूप से निर्धारित किया कि भाषायी और धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान राष्ट्रीय स्तर के बज़ाय राज्य स्तर पर की जानी चाहिये, के बावजूद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) अधिनियम, 1992 की धारा 2 (C) ने अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने के लिये केंद्र को "बेलगाम शक्ति" दी।
  • NCM अधिनियम, 1992 के अधिनियमन के साथ ही वर्ष 1992 में MC वैधानिक निकाय बन गया, जिसका नाम बदलकर NCM कर दिया गया।
  • वर्ष 1993 में पहला सांविधिक राष्ट्रीय आयोग स्थापित किया गया था और पाँच धार्मिक समुदाय अर्थात् मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध तथा पारसी को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया था।
  • वर्ष 2014 में जैनियों को भी अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया था।

अल्पसंख्यकों हेतु संवैधानिक प्रावधान:

  • अनुच्छेद 29:
    • यह प्रावधान करता है कि भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग की अपनी एक अलग भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे संरक्षित करने का अधिकार होगा।
    • यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ भाषायी अल्पसंख्यकों दोनों को सुरक्षा प्रदान करता है।
    • हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि इस अनुच्छेद का दायरा केवल अल्पसंख्यकों तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि अनुच्छेद में 'नागरिकों के वर्ग' शब्द के उपयोग में अल्पसंख्यकों के साथ-साथ बहुसंख्यक भी शामिल हैं।
  • अनुच्छेद 30:
    • सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार होगा।
    • अनुच्छेद 30 के तहत सुरक्षा केवल अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषायी) तक ही सीमित है और नागरिकों के किसी भी वर्ग (अनुच्छेद 29 के तहत) तक नहीं है।
  • अनुच्छेद 350(B):
    • 7वें संवैधानिक (संशोधन) अधिनियम, 1956 ने इस अनुच्छेद को सम्मिलित किया जो भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त विशेष अधिकारी का प्रावधान करता है।
    • इस विशेष अधिकारी का कर्तव्य होगा कि वह संविधान के तहत भाषायी अल्पसंख्यकों हेतु प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच करे।

प्रश्न. भारत में यदि किसी धार्मिक संप्रदाय/समुदाय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाता है, तो वह किस विशेष लाभ का हकदार है? (2011)

  1. यह विशिष्ट शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन कर सकता है।
  2. भारत का राष्ट्रपति स्वतः ही लोकसभा के लिये किसी समुदाय के एक प्रतिनिधि को नामित करता है।
  3. इसे प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम का लाभ मिल सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल  2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

  • वर्तमान में मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी को भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है। ये समुदाय भारत के संविधान के साथ-साथ विभिन्न अन्य विधायी और प्रशासनिक उपायों के हकदार हैं।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि के शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने और उनके प्रशासन के अधिकार का समर्थन करता है। अत: कथन 1 सही है।
  • भारत के राष्ट्रपति द्वारा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय के किसी सदस्य को लोकसभा के लिये स्वतः मनोनीत करने का कोई प्रावधान नहीं है। यह प्रावधान पहले संविधान के अनुच्छेद 331 के तहत एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों के लिये उपलब्ध था। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • धार्मिक अल्पसंख्यक प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम का लाभ उठा सकते हैं। शिक्षा, कौशल विकास, रोज़गार और सांप्रदायिक संघर्षों की रोकथाम जैसे क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 2005 में यह कार्यक्रम शुरू किया गया था। अत: कथन 3 सही है।
  • अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू