शनि ग्रह के चंद्रमाओं पर मीथेन | 09 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये:

शनि, मेथेनोजेन, मीथेन 

मेन्स के लिये: 

महत्त्वपूर्ण नहीं

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration- NASA) के कैसिनी अंतरिक्षयान द्वारा शनि ग्रह के चंद्रमाओं (टाइटन और एनसीलाडस) के पल्म से उड़ान के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड एवं डाइहाइड्रोजन के साथ असामान्य रूप से मीथेन की उच्च सांद्रता की उपस्थिति दर्ज की गई।

  • यह पाया गया कि शनि (Titan) के वायुमंडल में मीथेन विद्यमान है और एनसीलाडस (Enceladus) के पास एक तरल महासागर है जिसमें गैस व पानी का प्रस्फुटन होता है।
  • एक अंतर्राष्ट्रीय शोध दल ने इस बात को समझने हेतु नए सांख्यिकीय तरीकों का इस्तेमाल किया है कि क्या सूक्ष्मजीवों द्वारा मीथेनोजेनेसिस या मीथेन उत्पादन (Methanogenesis or Methane Production) आणविक हाइड्रोजन और मीथेन की व्याख्या कर सकता है।

प्रमुख बिंदु:

शोध के परिणाम:

  • कैसिनी के प्लम (Plumes) पर बर्फ के कण, लवण, हाइड्रोजन और कार्बनिक अणु पाए गए, जो  एक महासागर की पुष्टि के अस्थायी संकेत है तथा जो संरचना में पृथ्वी के महासागरों के समान है।
  • एनसीलाडस के समुद्री तल पर क्षारीय हाइड्रोथर्मल छिद्रों (Alkaline Hydrothermal Vents) के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं, जो पृथ्वी के महासागरों में मेथेनोजेन (Methanogens) के समान हैं।

मेथेनोजेन के विषय में:

  • ज्ञात हो कि पृथ्वी पर मौजूद अधिकांश मीथेन मूलतः जैविक रूप से उत्पन्न हुई है। मेथेनोजेन नामक सूक्ष्मजीव एक चयापचय उपोत्पाद के रूप में मीथेन उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं।
  • इन्हें जीवित रहने के लिये ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है और ये प्रकृति में व्यापक रूप से वितरित होते हैं।
  • ये दलदल, मृत कार्बनिक पदार्थों और यहाँ तक कि मानव आँत में भी पाए जाते हैं।
  • इन्हें उच्च तापमान में भी जीवित रहने के लिये जाना जाता है, कई अध्ययनों से यह पता चला है कि ये मंगल ग्रह की विशिष्ट परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग में मेथेनोजेन के योगदान को समझने के लिये भी इनका व्यापक अध्ययन किया गया है।

एनसीलाडस पर मेथेनोजेन की संभावना  :

  •  एनसीलाडस के कोर में मौजूद कार्बनिक पदार्थों के रासायनिक के टूटने से मीथेन का निर्माण हो सकता है।
  • हाइड्रोथर्मल प्रक्रियाएँ कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन के निर्माण में मदद कर सकती हैं। 
  • एनसीलाडस के हाइड्रोथर्मल वेंट पृथ्वी जैसे सूक्ष्मजीवों (मेथेनोजेन) के रहने योग्य हो सकते हैं।

शनि ग्रह 

  • शनि सूर्य से छठे स्थान पर स्थित ग्रह है तथा सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
  • अन्य ग्रहों की तुलना में हज़ारों सुंदर छल्लों/रिंग से सुशोभित शनि अद्वितीय है। यह एकमात्र ऐसा ग्रह नहीं है जिसके छल्ले हैं जो बर्फ और चट्टान के टुकड़ों से बने हैं लेकिन कोई भी इतना आकर्षक या इतना जटिल नहीं है जितना कि शनि के रिंग हैं।
  •  गैस से बने विशाल बृहस्पति की तरह, शनि एक वृहद् गेंद के समान है जो ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम से बना है।
  • कुछ मिशनों ने शनि का दौरा किया है: पायनियर 11 ( Pioneer 11) तथा वोयाजर्स 1 तथा 2 (Voyagers 1 and 2) ने उड़ान भरी; लेकिन कैसिनी (Cassini) ने 2004 से 2017 तक 294 बार शनि की परिक्रमा की।

टाइटन

  • टाइटन (Titan) शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है और हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है।
    • बृहस्पति का उपग्रह गैनीमेड (Ganymede) इससे बस थोड़ा बड़ा है।
  • इसकी सतह पर नदियाँ, झीलें और समुद्र हैं (हालाँकि इनमें पानी की जगह मीथेन तथा ईथेन जैसे हाइड्रोकार्बन होते हैं)।
  • टाइटन का वायुमंडल पृथ्वी की तरह ज़्यादातर नाइट्रोजन से बना है, लेकिन यह इससे चार गुना अधिक सघन है।
  • पृथ्वी के विपरीत इसमें बादल और मीथेन की वर्षा होती है।
  • चूँकि यह सूर्य से बहुत दूर है, इसलिये इसकी सतह का तापमान (-179 डिग्री सेल्सियस) है।

एनसीलाडस

  • एनसीलाडस (Enceladus) एक छोटा सा उपग्रह है जिसके बर्फीले भू-पटल के नीचे द्रव जल का महासागर है, जिसमें हाइड्रोजन अणुओं की प्रचुरता है। इसमें 98% गैस, जल के रूप में और 1% हाइड्रोजन तथा शेष कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन एवं अमोनिया के अणुओं के मिश्रण के रूप में पाई गई।
  • एनसीलाडस पर मौजूद अंडरवाटर वेंट (Vent) पृथ्वी के समुद्र तल पर मौजूद वेंट से मिलते- जुलते हैं, जहाँ रोगाणु और अन्य समुद्री जीवन होते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस