मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम | 04 Sep 2020

प्रिलिम्स के लिये:

मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम, आयात निर्यात कोड, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइज़ेशन

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था में निर्यात से संबंधित रणनीति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने ‘मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (Merchandise Exports from India Scheme- MEIS) के तहत प्राप्त कुल लाभों की उच्चतम सीमा लागू करने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • MEIS योजना के तहत किसी आयात निर्यात कोड (Import Export Code- IEC) धारक को दिया जाने वाला कुल लाभ 01 सितंबर, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 तक की अवधि के दौरान किये गए निर्यातों के प्रति IEC पर 2 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होगा।

आयात निर्यात कोड (Import Export Code- IEC):

  • यह कोड केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Union Ministry of Commerce and Industry) के विदेश व्यापार महानिदेशक (Director General of Foreign Trade) द्वारा जारी किया जाता है।
  • IEC एक 10-अंकीय कोड है जिसकी वैधता जीवन भर की है। 
  • मुख्य रूप से आयातक, आयात निर्यात कोड के बिना माल आयात नहीं कर सकते हैं और इसी तरह, निर्यातक व्यापारी IEC के बिना निर्यात योजना आदि के लिये DGFT से लाभ नहीं प्राप्त कर सकते हैं। 
  • कोई भी IEC धारक जिसने 01 सितंबर, 2020 से पहले एक वर्ष की अवधि के दौरान कोई निर्यात नहीं किया है या एक सितंबर या उसके बाद नई IEC प्राप्‍त की है, वे MEIS के तहत कोई भी दावा प्रस्तुत करने के हकदार नहीं होंगे।
  • उपरोक्‍त उच्‍चतम सीमा अधोमुखी संशोधन के अधीन होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 01 सितंबर, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 तक की अवधि के दौरान MEIS के तहत कुल दावा राशि भारत सरकार द्वारा निर्धारित 5000 करोड़ रुपए के निर्धारित आवंटन से अधिक न हो।
  • MEIS, विश्व व्यापार संगठन (WTO) की अनुपालक नहीं है और MEIS योजना के वापस आने से एक नई योजना का मार्ग प्रशस्त होगा। 
  • भारत सरकार ने एक नई डब्ल्यूटीओ-अनुपालन योजना (WTO-Compliant Scheme) की घोषणा की है जिसका नाम निर्यात किये जाने वाले उत्पादों को निर्यात शुल्क और कर में छूट (Remission of Duties or Taxes on Export Product-RoDTEP) है।

‘मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम’

(Merchandise Exports from India Scheme- MEIS): 

  • MEIS को विदेशी व्यापार नीति: 2015-20 के तहत 1 अप्रैल, 2015 को शुरू किया गया था।
  • इसका उद्देश्य MSME क्षेत्र द्वारा उत्पादित/निर्मित उत्पादों सहित भारत में उत्पादित/निर्मित वस्तुओं/उत्पादों के निर्यात में शामिल अवसंरचनात्मक अक्षमताओं एवं संबंधित लागतों की भरपाई करना है।
  • MEIS के तहत, भारत सरकार उत्पाद एवं देश के आधार पर शुल्क लाभ प्रदान करती है।  
  • इस योजना के तहत पुरस्कार वास्तविक रूप से मुक्त बोर्ड मूल्य (2%, 3% एवं 5%) के प्रतिशत मूल्य के रूप में देय हैं और मूल सीमा शुल्क सहित कई शुल्कों के भुगतान के लिये ‘MEIS ड्यूटी क्रेडिट पत्रक’ (MEIS Duty Credit Scrip) को स्थानांतरित या उपयोग किया जा सकता है।
  • MEIS ने विदेश व्यापार नीति 2009-14 में मौजूद अन्य पाँच समान प्रोत्साहन योजनाओं को प्रतिस्थापित किया है:
    • फोकस प्रोडक्ट स्कीम (FPS)
    • फोकस मार्केट स्कीम (FMS)
    • मार्केट लिंक्ड फोकस मार्केट स्कीम (MLFMS)
    • अवसंरचना प्रोत्साहन योजना
    • विशेष कृषि ग्रामीण योजना (VKGUY)

चिंताएँ:

  • MEIS की जगह नई योजना लाने के लिये डेटा की कमी: RoDTEP के तहत दरों को अंतिम रूप देने के लिये वित्त मंत्रालय ने पूर्व वाणिज्य एवं गृह सचिव जी. के. पिल्लई (G. K. Pillai) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है किंतु लगातार स्थानीय लॉकडाउन, परिवहन की अनुपलब्धता एवं लेखा परीक्षकों के गैर-कामकाज के कारण डेटा प्रदान करने में उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइज़ेशन’ (Federation of Indian Export Organisations- FIEO) का मानना है कि सितंबर-दिसंबर, 2020 के दौरान निर्यात उन आदेशों पर आधारित है जिन्हें मौजूदा MEIS लाभ में फैक्टरिंग के बाद पहले ही अपनाया गया था।
    • ये लाभ निर्यात प्रतिस्पर्द्धा का हिस्सा हैं और इसलिये अचानक परिवर्तन निर्यातकों के वित्तीय हितों को प्रभावित करेगा क्योंकि खरीदार अपनी कीमतों में संशोधन नहीं करेंगे।

‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइज़ेशन’ (FIEO):

  • यह वैश्विक बाज़ार के उद्यम क्षेत्र में भारतीय उद्यमियों की भावना का प्रतिनिधित्त्व करता है। इसकी स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी।
  • यह भारत में निर्यात संवर्द्धन परिषदों, सामुदायिक बोर्डों एवं विकास प्राधिकरणों का एक सर्वोच्च निकाय है।
  • यह भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक समुदाय तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों, वित्तीय संस्थानों, बंदरगाहों, रेलवे एवं सभी निर्यात व्यापार सुविधाओं में लगे हुए समुदायों के बीच महत्त्वपूर्ण इंटरफेस प्रदान करता है।

स्रोत: पीआईबी