आदिवासी छात्रों के लिये 'मेगा शैक्षणिक परिसर' | 08 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये:

उड़ीसा में जनजातीय समुदायों की स्थिति, जनजातीय साक्षरता की स्थिति

मेन्स के लिये:

जनजातीय समुदाय की शिक्षा से जुड़े मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

ओडिशा सरकार जनजातीय जिलों में ‘मेगा शैक्षणिक परिसरों’ (Mega Educational Complexes) का निर्माण करने की योजना बना रही है, जहाँ छात्रों को शैक्षणिक (Academi) तथा खेल कौशल (Sporting Skills) दोनों से संबंधित शिक्षा प्रदान की जाएगी।

प्रमुख बिंदु:

  • ‘मेगा शैक्षणिक परिसरों’ की स्थापना उड़ीसा के जनजातीय बहुल ज़िलों जैसे- क्योंझर, सुंदरगढ़ और मयूरभंज में की जाएगी। इन ज़िलों में संथाल और भुइया प्रमुख जनजातीय समूह हैं।
  • एक निजी शैक्षिक समूह द्वारा पहले से ही उड़ीसा के विभिन्न ज़िलों में इस प्रकार के शैक्षणिक परिसर स्थापित किये जा चुके हैं।

मेगा शैक्षणिक परिसर (Mega Educational Complex):

  • प्रत्येक शैक्षणिक परिसर में 3,000 जनजातीय छात्रों की शिक्षा की व्यवस्था होगी। परिसर में कक्षा 1 से 12 तक के आदिवासी छात्रों के लिये शैक्षणिक के साथ-साथ खेल-कूदों में कौशल सुधार के लिये भी अत्याधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
  • इन परिसरों में 'कौशल विकास केंद्रों' को भी आवश्यक रूप से स्थापित किया जाएगा।
  • इन मेगा शैक्षणिक परिसरों की स्थापना के लिये निधि 'ओडिशा खनिज असर क्षेत्र विकास निगम (Odisha Mineral Bearing Areas Development Corporation OMBADC) प्रदान करेगा। 
  • OMBADC की स्थापना उड़ीसा के खनिज समृद्ध ज़िलों के विकास के लिये की गई। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अधिकांश खनिज समृद्ध ज़िले, आदिवासी बहुल भी हैं।

उड़ीसा में जनजातीय समुदायों की स्थिति:

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की कुल जनजातीय आबादी का लगभग 9.17% उड़ीसा में है। उड़ीसा की कुल जनसंख्या में जनजातीय आबादी का प्रतिशत लगभग 22.8 है।
  • उड़ीसा में 62 जनजातीय समुदाय पाए जाते हैं अर्थात भारत में सबसे अधिक जनजातीय विविधता उड़ीसा में है। भारत में जनजातियों की सर्वाधिक जनसंख्या के अनुसार राज्यों का विश्लेषण किया जाए तो मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र के बाद उड़ीसा तीसरे स्थान पर है।
  • भारत के 75 ‘विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों’ (Particularly Vulnerable Tribal Groups) में से 13 उड़ीसा में निवास करती हैं।
    • ओडिशा राज्य के घोषित समस्त पी.वी.टी.जी. की सूची में 1. चुकटिया भुंजिया  2. बिरहोर  3. बोंडो  4. दिदायी   5. डोंगरिया कोंध   6. जुआंग   7. खरिया   8. कुटिया कंधा  9. लांजिया सौरा   10. लोढ़ा   11. मनकीडिया  12. पौड़ी भुइया  13. सुरा शामिल हैं।
  • उड़ीसा के क्योंझर ज़िले में व्यापक लौह खनन का कार्य किया जाता है। क्योंझर ज़िले में, ओडिशा के कुल लौह अयस्क भंडार का 70% से अधिक पाया जाता है। इसके अलावा कोरापुट और मयूरभंज ज़िलों में भी व्यापक खनन कार्य किया जाता हैं।

जनजातीय साक्षरता की स्थिति व कारण:

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में कुल आबादी में जनजातीय समुदाय की आबादी 8.6% हैं तथा जनजातीय समुदाय की साक्षरता दर 58.96% है।
  • शिक्षा का माध्यम:
    • जनजातीय समुदायों को शिक्षा प्रदान करने में भाषा सबसे बड़ी बाधा रही है। अधिकतर  स्कूली पाठ्यक्रम राज्य या केंद्र की आधिकारिक भाषाओं में डिज़ाइन किये गए हैं जो जनजातीय समुदाय के अनुकूल नहीं हैं।
  • माता-पिता का दृष्टिकोण:
    • जनजातीय समुदायों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण लोग अपने बच्चों को  श्रमिक कार्यों तथा खनन कार्यों में लगाने को वरीयता देते हैं। चूंकि शिक्षा से कोई तात्कालिक आर्थिक लाभ नहीं मिलता है, अत: लोग अपने बच्चों को पारिश्रमिक रोज़गार में संलग्न करना पसंद करते हैं।
  • अवसंरचना की कमी:
    • जनजातीय क्षेत्रों में स्थित अधिकांश विद्यालयों में न्यूनतम आवश्यक अवसंरचनाओं की भी कमी है। विशेषकर छात्राओं के लिये 'सैनिटरी सुविधाओं' की कमी है।

सरकार द्वारा किये गए प्रयास:

  • एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential Schools- EMRSs):
    • वर्ष 2018 में 50 प्रतिशत से ज़्यादा जनजातीय आबादी एवं 20,000 जनजातीय जनसंख्या वाले प्रत्येक प्रखंड (block) में ‘एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय’ अथवा एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल खोलने को सैद्धांतिक मंज़ूरी प्रदान की थी। 
    • 163 जनजातीय बहुल ज़िलों में प्रति 5 करोड़ रुपए लागत वाली खेल सुविधाएँ (Sports Facilities) स्थापित की जाएंगी, इसमें से प्रत्‍येक का निर्माण वर्ष 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा।
  • राजीव गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप योजना (Rajiv Gandhi National Fellowship Scheme -RGNF):
    • RNGF को वर्ष 2005-2006 में जनजातीय समुदाय से संबंधित छात्रों को उच्च शिक्षा के लिये प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया था।
  • जनजातीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र (Vocational Training Center in Tribal Areas): 
    • जनजातीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र को जनजातीय समुदाय के छात्रों के कौशल को उनकी योग्यता तथा वर्तमान बाज़ार के रुझान के आधार पर विकसित करने के उद्देश्य के आधार पर प्रारंभ किया गया था।

आगे की राह:

  • जनजातीय क्षेत्रों सहित कहीं भी शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को अपने परिवेश और समाज की समझ प्रदान करना होना चाहिये, ताकि उनमें योग्यता का विकास किया जाए, ताकि वे अपने स्थानीय समाज में अथवा जिनके पास इच्छा व क्षमता हो, राष्ट्रीय रोज़गार बाज़ार में आजीविका अर्जित कर सकें।
  • पाठ्यक्रम में स्थानीय संस्कृति, लोक कथाओं और इतिहास को शामिल करने से जनजातीय बच्चों के आत्मविश्वास का निर्माण करने और उनके जीवन में शिक्षा की प्रासंगिकता बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
  • पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से जनजातीय समुदाय के शैक्षणिक संस्थानों में समावेश को संस्थागत रूप देने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू