महात्मा ज्योतिराव फुले ऋण माफी योजना | 28 Dec 2019

प्रीलिम्स के लिये:

महात्मा ज्योतिराव फुले ऋण माफी योजना

मेन्स के लिये:

किसानों की ऋण माफी से संबंधित विभिन्न मुद्दे

चर्चा में क्यों?

21 दिसंबर, 2019 को महाराष्ट्र सरकार ने 30 सितंबर, 2019 की कट ऑफ डेट के साथ किसानों के लिये दो लाख रुपए तक की ऋण माफी की घोषणा की है। इस घोषणा के साथ ही किसानों की ऋण माफी का मुद्दा पुन: प्रकाश में आ गया है।

प्रमुख बिंदु

  • महाराष्ट्र सरकार द्वारा किसानों की ऋण माफी के लिये शुरू की गई इस योजना को महात्मा ज्योतिराव फुले ऋण माफी योजना (Mahatma Jyotirao Phule loan waiver scheme) के नाम से जाना जाएगा।
  • इस योजना की शुरुआत मार्च 2020 से होगी।
  • इस योजना के अलावा महाराष्ट्र सरकार ने नियमित रूप से अपने ऋण की किश्तों का भुगतान करने वाले किसानों के लिये भी जल्दी ही एक विशेष योजना शुरू करने की घोषणा की है।

योजना का वित्तीय प्रारूप

  • महाराष्ट्र सरकार फसल ऋण माफी योजना पर 21,216 करोड़ रुपए खर्च करेगी। सरकार का मानना है कि इससे 30.57 लाख किसान लाभान्वित होंगे।
  • यदि किसानों का व्यक्तिगत फसल ऋण 2 लाख रुपए से अधिक है, तो सरकार बैंकों से जानकारी प्राप्त कर उन किसानों के लिये एक नई योजना की घोषणा करेगी।
  • यदि फसल ऋण की कुल राशि 2 लाख रुपए से कम राशि है तो योजना के अंतर्गत किसान के एक से अधिक खाते शामिल किये जाएंगे।
  • बकाया ऋण के साथ धनराशि को सीधे किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित किया जाएगा, इसके लिये किसी भी प्रकार के फॉर्म जमा नहीं किये जाएंगे, न ही किसान के जीवनसाथी के साक्षात्कार और ऑनलाइन प्रक्रिया को इसमें शामिल किया जाएगा।

लाभार्थी

  • 1 अप्रैल, 2015 से 30 सितंबर, 2019 तक 2 लाख रुपए तक के फसल ऋण (इतनी धनराशि के लिये आवश्यक भूमि की उपलब्धता पर विचार किये बिना) लेने वाले किसान इस योजना के पात्र होंगे।

ऋण माफी की प्रकिया:

  • इस पूरी प्रक्रिया में चार चरण शामिल होंगे:
    • पहला चरण: योजना की घोषणा एवं प्रचार, पात्रता और आधार को इससे संबद्ध करना।
    • दूसरा चरण: बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान आधार से जुड़े ऋण खातों और बगैर आधार लिंक वाले ऋण खातों की एक सूची तैयार करेंगे।
    • तीसरा चरण: योजना के तहत फसल ऋण माफी के दावों की जाँच के लिये एक वेब पोर्टल विकसित किया जाएगा और प्रत्येक खाते के साथ एक विशेष नंबर संलग्न किया जाएगा। लाभार्थियों की ग्रामवार सूची घोषित की जाएगी।
    • चौथा और अंतिम चरण: प्रत्येक किसान आधार लिंक की जाँच करेगा और यदि उसे कोई शिकायत है, तो वह ज़िला शिकायत निवारण समिति (District Complaint Redressal Committe) से संपर्क कर सकता है। कोई भी शिकायत प्राप्त न होने पर धन वितरित किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

  • महा विकास अघडी (Maha Vikas Aghadi- MVA) सरकार अर्थात् राकांपा-कांग्रेस-शिवसेना गठबंधन ने नवंबर 2019 में सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम (Common Minimum Program-CMP) की घोषणा की थी जिसमें कृषि ऋण माफी को अपने एजेंडे के मुख्य बिंदुओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया था।

कृषि ऋण माफी के विपक्ष में तर्क

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, कृषि ऋण छूट एक ‘त्वरित सुधार’ है। इससे स्थायी कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, यदि सभी राज्यों ने कृषि ऋण माफी योजना पर अमल करना शुरू कर दिया तो करीब 2.2 से 2.7 लाख करोड़ रुपए तक का कर्ज़ माफ करना होगा। इससे अर्थव्यवस्था को अपस्फीति का सामना करना पड़ सकता है।
  • राज्यों को ऋण माफी के बाद खजाने का वित्तपोषण करना होगा, ताकि राजकोषीय घाटे को नियंत्रण योग्य स्तर पर रखा जा सके। यद्यपि केंद्र सरकार राजकोषीय समेकन के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास करती है, फिर भी राज्यों पर कर्ज़ का बोझ बढ़ने से सरकारी ऋण में वृद्धि हो सकती है।

कृषि ऋण माफी के संदर्भ में क्या किया जाना चाहिये?

इसमें कोई शक नहीं है कि ऋण माफी से किसानों को काफी राहत मिली है, लेकिन इस तरह की माफी का कोई दीर्घकालिक प्रभाव अभी तक देखने को नहीं मिला है। हालाँकि कर्ज़ माफी से किसानों को अस्थायी राहत मिल सकती है, फिर भी कृषि को स्थायी बनाने के लिये एक दीर्घकालिक प्रभावी उपाय की आवश्यकता है। दीर्घकालिक उपायों में शामिल हैं:

  • तकनीक उन्नयन से अक्षमता में कमी लाना।
  • कृषि लागत में कमी लाना।
  • किसानों की आय में वृद्धि का प्रयास करना।
  • बीमा योजनाओं के माध्यम से फसल सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • सिंचाई क्षमता को बढ़ाना और कोल्ड स्टोरेज़ चेन का निर्माण करना।
  • कृषि क्षेत्र को सीधे बाज़ार से जोड़ना।

स्रोत: द हिंदू