भारत में मसूर उत्पादन | 15 Jan 2024

प्रिलिम्स के लिये:

दलहन के बारे में, मसूर उत्पादक क्षेत्र, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED), लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (SFAC), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)-दालें, अनुसंधान और विविधता विकास में ICAR की भूमिका, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) योजना

मेन्स के लिये:

भारत में दलहन उत्पादन की स्थिति, भारत में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा की गई पहल

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, अधिक क्षेत्रफल के कारण भारत वर्ष 2023-24 फसल वर्ष के दौरान मसूर (Lentil) का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक बनने के लिये तैयार है।

  • अधिक क्षेत्रफल के कारण वर्ष 2023-24 रबी सीज़न में देश का मसूर उत्पादन 1.6 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर तक पहुँचने  का अनुमान है।
  • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, फसल वर्ष 2022-23 में देश का मसूर उत्पादन 1.56 मिलियन टन रहा।

दलहन क्या हैं?

  • परिचय:
    • मसूर ‘फली (Legume) परिवार’ का एक झाड़ीदार वार्षिक शाकाहारी पौधा है।
    • ये खाने योग्य फलियाँ हैं, जो अपने लेंस के आकार के, चपटे टुकड़ों वाले बीजों के लिये जानी जाती हैं।
    • मसूर के पौधे आम तौर पर छोटे होते हैं और उनमें स्व-परागण वाले फूल लगते हैं।
    • मसूर की दाल ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, फाइबर, फास्फोरस, लौह, जस्ता, कैरोटीन, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट के उत्कृष्ट स्रोत हैं।
  • जलवायु संबंधी स्थिति:
    • मसूर मुख्यतः वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाई जाती है।
    • इसकी वानस्पतिक वृद्धि के समय ठंडे तापमान और परिपक्वता के समय गर्म तापमान की आवश्यकता होती है।
    • मसूर की खेती रबी मौसम में की जाती है।
  • मृदा प्रकार: 
    • मसूर की दलहन का उत्पादन विभिन्न प्रकार की मृदा में किया जा सकता है जिसमें रेत से लेकर चिकनी दुमट इत्यादि जैसी मृदाएँ शामिल हैं किंतु इसका सबसे अच्छा उत्पादन मध्यम उर्वरता वाली गहरी बलुई दुमट मृदा में होता है।
    • 7 pH मान के आसपास की मृदा इसके लिये सबसे उपयुक्त मानी जाती है। बाढ़ अथवा जलभराव की स्थिति मसूर की फसल को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
  • मसूर उत्पादक क्षेत्र:
    • इसकी कृषि मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ तथा झारखंड में की जाती है।
      • उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र मसूर का कटोरा माना जाता है जो देश के कुल मसूर उत्पादन में लगभग 25% का योगदान देता है।
    • खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) के अनुसार वर्ष 2022 में विश्व के शीर्ष मसूर उत्पादक कनाडा, भारत, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की तथा रूस थे।
      • मसूर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत वर्तमान में भी अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये आयात, मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, सिंगापुर और तुर्की पर निर्भर रहता है। 

भारत में दलहन उत्पादन की स्थिति क्या है?

  • भारत विश्व में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक उत्पादन का 25%), उपभोक्ता (विश्व खपत का 27%) तथा आयातक (14%) है।
  • खाद्यान्न के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में दलहन की हिस्सेदारी लगभग 20% है तथा देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7-10% है।
  • चना सबसे प्रमुख दलहन है जिसकी कुल उत्पादन में हिस्सेदारी लगभग 40% है, इसके बाद तुअर/अरहर की हिस्सेदारी 15 से 20% तथा उड़द/ब्लैक मेटपे एवं मूंग दलहन की हिस्सेदारी लगभग 8-10% है।
  • हालाँकि दलहन का उत्पादन खरीफ तथा रबी दोनों सीज़न में किया जाता है, रबी सीज़न में उत्पादित दलहन का कुल उत्पादन में 60% से अधिक का योगदान है।
  • मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक शीर्ष पाँच दलहन उत्पादक राज्य हैं।

भारत में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा कौन-सी पहलें की गई हैं?

  UPSC,सिविल सेवा परीक्षा ,विगत वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत में दालों के उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020) 

  1. उड़द की खेती खरीफ और रबी दोनों फसलों में की जा सकती है।
  2.  कुल दाल उत्पादन का लगभग आधा भाग केवल मूँग का होता है।
  3.  पिछले तीन दशकों में, जहाँ खरीफ दालों का उत्पादन बढ़ा है, वहीं रबी दालों का उत्पादन घटा है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. दालों की कृषि के लाभों का उल्लेख कीजिये जिनके कारण संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष घोषित किया गया था।(2017)