ब्रॉडबैंड तैयारी सूचकांक | 17 Jul 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दूरसंचार विभाग (The Department of Telecom-DoT) और भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (Indian Council for Research on International Economic Relations-ICRIER) ने देश के राज्‍यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिये ब्रॉडबैंड तैयारी सूचकांक (Broadband Readiness Index-BRI) तैयार करने के उद्देश्‍य से एक सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किये हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इस सूचकांक के अंतर्गत प्रथम अनुमान वर्ष 2019 में ही जारी किये जाएंगे और इसके बाद वर्ष 2022 तक इस तरह के अनुमान हर साल जारी किये जाएंगे।
  • राष्‍ट्रीय डिजिटल संचार नीति (National Digital Communication Policy-NDCP) 2018’ में ब्रॉडकास्टिंग एवं विद्युत क्षेत्रों की मौज़ूदा परिसंपत्तियों का उपयोग कर एक सुदृढ़ डिजिटल संचार बुनियादी ढाँचा बनाने की आवश्यकता को चिह्नित किया गया है जिसमें राज्‍यों, स्‍थानीय निकायों एवं निजी क्षेत्र के सहयोगात्‍मक मॉडल/प्रारूप भी शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति में यह सिफारिश की गई है कि निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ देश भर में मार्ग के अधिकार यानी राइट ऑफ वे (Right Of Way) से जुड़ी चुनौतियों से निपटने हेतु राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एक BRI तैयार किया जाना चाहिये।
  • यह सूचकांक राज्‍य/केंद्रशासित प्रदेश के स्‍तर पर अंतर्निहित डिजिटल बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं की मौजूदा स्थिति के साथ-साथ अ‍न्‍य संबंधित बातों का आकलन करेगा।
  • ब्रॉडबैंड तैयारी सूचकांक के दो हिस्‍से होंगे। पहले हिस्‍से में बुनियादी ढाँचागत विकास पर फोकस किया जाएगा जो नौ पैमानों पर आधारित होगा। दूसरे हिस्‍से में मांग पक्ष से जुड़े पैमाने या मानदंड शामिल होंगे जिन्‍हें प्राथमिक सर्वेक्षणों के ज़रिये दर्ज किया जाएगा।
  • इसमें कई संकेतक जैसे कि इंटरनेट कनेक्‍शन युक्‍त कंप्यूटर/लैपटॉप का उपयोग करने वाले परिवारों की संख्या (प्रतिशत में), फि‍क्‍स्‍ड ब्रॉडबैंड कनेक्‍शन (Fixed Broadband Connection) वाले परिवारों की संख्या (प्रतिशत में), कुल इंटरनेट उपयोगकर्ता या यूज़र (आबादी के प्रतिशत के रूप में) इत्‍यादि शामिल होंगे। प्राथमिक सर्वेक्षण वर्ष 2022 तक प्रतिवर्ष किया जाएगा।

प्रस्तावित सूचकांक में शामिल संकेतक

  1. ROW और टॉवर पर राज्‍य की नीति की उपलब्‍धता (दूरसंचार विभाग के ROW नियम 2016 पर आधारित)।
  2. ROW से जुड़े अधिकतर वे मामले जिनमें प्रथम आवेदन के 60 दिनों के भीतर अनुमति दे दी गई है।
  3. भूमि एवं भवन के स्‍वामित्‍व वाले सभी सरकारी प्राधिकरणों में ROW मंज़ूरी के लिये एक केंद्रीकृत IT पोर्टल की उपलब्‍धता।
  4. राज्‍यों द्वारा राष्‍ट्रीय भवन निर्माण संहिता 2016 (National Building Code 2016) को अपनाना।
  5. फाइबर युक्‍त मोबाइल टॉवर (प्रतिशत में)।
  6. प्रति वर्ग किलोमीटर/प्रति व्‍यक्ति/प्रति 100 परिवार फाइबर किलोमीटर की संख्‍या।
  7. FTTX (PHCs सहित अस्‍पताल, पुलिस स्‍टेशन, स्‍कूल एवं सीएससी) से जुड़े सार्वजनिक संस्‍थान/कार्यालय (प्रतिशत में)।
  8. ग्रि‍ड आपूर्ति प्राप्‍त करने वाले टावर (प्रतिशत में) (अवधि : शहर 20 घंटे, गांव 12 घंटे)।
  9. नगरनेट (NagarNet)– शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक वाई-फाई हॉट स्‍पॉटों की संख्‍या।
  10. जन वाई-फाई (Jan Wi-Fi)– ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक वाई-फाई हॉट स्‍पॉटों की संख्‍या।

सूचकांक से होने वाले लाभ

  • इस तरह के प्रयासों से राज्‍यों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से जुड़े कार्यक्रमों में निवेश आकर्षण संबंधी रणनीतिक विकल्‍पों को समझने में मदद मिलेगी।
  • सहकारी संघवाद की भावना के अंतर्गत यह सूचकांक राज्‍यों को भारत के डिजिटल समावेश एवं विकास के समग्र उद्देश्‍य की पूर्ति हेतु एक दूसरे से सीखने और संयुक्‍त रूप से भागीदारी करने के लिये प्रोत्‍साहित करेगा।
  • इस अनुसंधान के तहत विकसित की गई पद्धति को अपनाने के साथ-साथ हर साल इस्‍तेमाल में लाया जाएगा, ताकि नई नीति के तहत वर्ष 2022 के लिये लक्ष्‍यों के रूप में तय किये गए विभिन्‍न मानदंडों पर राज्‍यों के प्रदर्शन का सुव्‍यवस्थित ढंग से आकलन किया जा सके। इसके परिणामस्‍वरूप राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग करने के साथ-साथ उनके प्रदर्शन को सही ढंग से समझना इस कवायद का एक महत्त्वपूर्ण हिस्‍सा हो जाएगा।

स्रोत: PIB