सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ के लिये लैंसेट सिटिज़न्स कमीशन | 14 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत में दस वर्षों की अवधि में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ (Universal Health Coverage) और प्रत्येक नागरिक के लिये गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने हेतु रूपरेखा तैयार करने के उद्देश्य से लैंसेट सिटिज़न्स कमीशन (Lancet Citizens’ Commission) के साथ मिलकर एक पैनल का गठन किया गया है।

मुख्य बिंदु

भारत की स्वास्थ्य प्रणाली पर लैंसेट सिटिज़न्स कमीशन:

  • प्रतिभागी: यह दुनिया की प्रमुख स्वास्थ्य पत्रिका द लैंसेट, लक्ष्मी मित्तल एंड फैमिली साउथ एशिया इंस्टीट्यूट और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से शुरू की गई अपनी तरह की एक पहली देशव्यापी पहल थी।
  • उद्देश्य: सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ (UHC) के कार्यान्वयन में सार्वजनिक सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु एक नागरिक रूपरेखा विकसित करना।
  • मिशन:
    • भारत में आगामी दशक में सभी हितधारकों के साथ मिलकर UHC को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करना।
    • भारत में अनुकूल स्वास्थ्य प्रणाली को साकार करने हेतु एक रोडमैप तैयार करना जो सभी नागरिकों के लिये व्यापक, जवाबदेह, सुलभ, समावेशी एवं सस्ती गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करे।
    • पूरे भारत से ज़मीनी स्तर का सर्वेक्षण, सार्वजनिक परामर्श और ऑनलाइन चर्चा के माध्यम से संपूर्ण जानकारी एकत्रित करना।
    • सभी क्षेत्रों में संवाद एवं ज्ञान को साझा करने के लिये शैक्षिक संस्थानों, नागरिक समाज और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर सहभागिता विकसित करना।
  • फोकस: यह पूरी तरह से भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण अथवा संरचना पर केंद्रित होगा।
  • सिद्धांत: आयोग को चार सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाएगा:
    • UHC के तहत सभी स्वास्थ्य चिंताओं को कवर किया जाए।
    • रोकथाम और दीर्घकालिक देखभाल पर प्रमुखता से ध्यान दिया जाए।
    • सभी स्वास्थ्य लागतों के लिये वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाए।
    • एक ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली की आकांक्षा जो सभी को समान गुणवत्ता का लाभ दे सके।

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़:

  • UHC का अर्थ है कि सभी व्यक्तियों और समुदायों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बिना वित्तीय कठिनाई की हो सके। इसमें स्वास्थ्य संवर्द्धन, रोकथाम, उपचार, पुनर्वास और उपशामक देखभाल से आवश्यक और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी श्रृंखला शामिल है।
  • UHC का लक्ष्य: सभी के लिये समान गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals 3) में सबसे महत्त्वपूर्ण है।

UHC के लाभ:

  • यह उन सभी सेवाओं का उपयोग करने में सक्षम बनाता है जो बीमारी और मृत्यु के सबसे महत्त्वपूर्ण कारणों में से एक हैं। इसके अलावा UHC यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता अच्छी रहे।
  • यह लोगों पर पड़ने वाले स्वास्थ्य सेवाओं के वित्तीय भार को कम करता है और लोगों को गरीबी की स्थिति में जाने के जोखिम को कम करता है क्योंकि अप्रत्याशित बीमारी से स्वयं के जीवन की रक्षा करने के लिये कभी-कभी अपनी जीवन भर की बचत को लगा देना पड़ता है या संपत्ति को बेचना पड़ता है अथवा उधार लेना पड़ता है। इन परिस्थितियों के कारण इनका भविष्य खराब होने के साथ ही इनके बच्चों का भी भविष्य भी प्रभावित होता है।

अन्य संबंधित पहल:

  • आयुष्मान भारत:
  • यह एक प्रमुख पहल है जो सेवा वितरण के क्षेत्रीय और खंडित दृष्टिकोण की जगह एक व्यापक आवश्यकता-आधारित स्वास्थ्य देखभाल सेवा वितरित पर केंद्रित है।
  • इसकी शुरुआत सरकार द्वारा देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।
  • पोषण अभियान: इसे राष्ट्रीय पोषण मिशन के रूप में भी जाना जाता है, यह बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं हेतु पोषण परिणामों में सुधार करने के लिये भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है।

आगे की राह

  • सरकारी वित्तपोषित कार्यक्रमों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि वित्तीय बाधाओं के कारण लोगों की आवश्यक सेवाओं तक पहुँच प्रभावित न हो। UHC के विकास से गरीब और निकट-गरीबों को पूरी लागत का कवरेज़ मिलना चाहिये जबकि अन्य नियोक्ता वित्तपोषित योजनाओं या निजी तौर पर खरीदे गए बीमा के माध्यम से अपनी स्वास्थ सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • कम समय में लोगों की क्षमता निर्माण की चुनौती को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnerships) के माध्यम से पूरा करने की आवश्यकता है, जिससे ई-लर्निंग मॉडल को विकसित करने तथा अपनाने का एक और अवसर मिल सके।
  • एक समावेशी UHC मॉडल के लिये स्वास्थ्य सेवाओं की लागत, गुणवत्ता और पहुँच के बीच एक समझौताकारी समन्वय को कायम रखना महत्त्वपूर्ण है। अभिनव साझेदारी के साथ रोगियों, दाताओं और प्रदाताओं को संरेखित करने वाला एक सहयोगी दृष्टिकोण जोखिमों तथा प्रतिकूल प्रभावों को कम करने, मज़बूत सामाजिक प्रतिफल प्रदान करने तथा समावेशी UHC लक्ष्यों की प्राप्ति का प्रयास करेगा।

स्रोत: द हिंदू