कवच: स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली | 05 Mar 2022

प्रिलिम्स के लिये:

ट्रेन कोलिज़न अवॉइडेंस सिस्टम, कवच टेक्नोलॉजी, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन।

मेन्स के लिये:

आधारभूत संरचना, संसाधनों जुटाना,, ट्रेन कोलिजन सुरक्षा प्रणाली का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रेलवे ने दो ट्रेनों को एक-दूसरे की ओर पूरी गति से आगे बढ़ाते हुए 'कवच'-स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली का परीक्षण किया।

  • कवच प्रणाली की घोषणा वर्ष 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के एक भाग के रूप में की गई थी। वर्ष 2022-23 में सुरक्षा और क्षमता वृद्धि को हेतु लगभग 2,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क को स्वदेशी प्रणाली के तहत लाने की योजना है।

कवच (Kavach):

  • यह भारत की अपनी स्वचालित सुरक्षा प्रणाली है, जो ट्रेन कोलिज़न बचाव प्रणाली (Train Collision Avoidance System-TCAS) के नाम से वर्ष 2012 से विकासशील है, जिसे Armour या "कवच" नाम दिया गया है।
  • यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) उपकरणों का एक सेट है जो लोकोमोटिव तथा सिग्नलिंग सिस्टम के साथ-साथ पटरियों में भी स्थापित होता है।
  • वे ट्रेनों के ब्रेक को नियंत्रित करने के लिये अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करके एक-दूसरे से जुड़ते हैं तथा ड्राइवरों को सतर्क भी करते हैं, ये सभी प्रोग्राम के आधार पर होते हैं।
    • TCAS या कवच में यूरोपीय ट्रेन सुरक्षा एवं चेतावनी प्रणाली, स्वदेशी एंटी कोलिज़न डिवाइस जैसे परीक्षण किये गए प्रमुख घटक पहले से ही शामिल हैं।
    • इसमें भविष्य में हाई-टेक यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लेवल-2 जैसी विशेषताएँ भी होंगी।
  • कवच का वर्तमान स्वरूप सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल ( Safety Integrity Level-SIL) 4 नामक उच्चतम स्तर की सुरक्षा और विश्वसनीय मानक का पालन करता है।
    • SIL दो स्वैच्छिक मानकों के साथ खतरनाक कार्यों के लिये सुरक्षा प्रदर्शन आवश्यकताओं को मापने हेतु संयंत्र मालिकों/संचालकों द्वारा उपयोग किया जाता है।
    • चार SIL स्तर (1-4) हैं। एक उच्च SIL स्तर का अर्थ है कि प्रक्रियात्मक खतरा अधिक है और उच्च स्तर की सुरक्षा की आवश्यकता है।
  • नए रूप में, भारत ‘कवच’ को एक निर्यात योग्य प्रणाली के रूप में स्थापित करना चाहता है, जो दुनिया भर में प्रचलित यूरोपीय प्रणालियों का एक सस्ता विकल्प है।
  • जबकि अब कवच अल्ट्रा हाई फ्रिक्वेंसी का उपयोग करता है, इसे 4G लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (LTE) तकनीक के साथ संगत और वैश्विक बाज़ारों के लिये उत्पाद बनाने हेतु काम चल रहा है।
  • सिस्टम को ऐसा बनाने के लिये काम जारी है कि यह विश्व स्तर पर पहले से स्थापित अन्य सिस्टम्स के साथ संगत हो सके।

tcas-system-configuration

महत्त्व:

  • सुरक्षा:
    • कवच प्रणाली से रेल पटरियों पर ट्रेनों की टक्कर जैसी दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
    • एक बार सिस्टम सक्रिय हो जाने के बाद 5 किलोमीटर की सीमा के भीतर सभी ट्रेनें आसन्न पटरियों पर ट्रेनों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये रुकेंगी।
      • वर्तमान में लोको-पायलट या सहायक लोको-पायलट को सावधानी संकेतों को देखना होता है।
  • लागत:
    • दुनिया भर में इस प्रकार की परियोजनाओं (लगभग 2 करोड़ रुपए) की तुलना में इसे संचालित करने में केवल 50 लाख रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च ही आएगा।
  • संचार:
    • इसमें सिग्नलिंग इनपुट को इकट्ठा करने के लिये स्थिर उपकरण भी शामिल होंगे और ट्रेन के चालक दल तथा स्टेशनों के साथ निर्बाध संचार को सक्षम करने के लिये उन्हें एक केंद्रीय प्रणाली में रिले किया जाएगा।

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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस