‘हाई एल्टीट्यूड बैलून’ के माध्यम से इंटरनेट | 20 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये:

हाई एल्टीट्यूड बैलून, लून बैलून, कोविड-19

मेन्स के लिये:

‘हाई एल्टीट्यूड बैलून’ के माध्यम से इंटरनेट सर्विस प्रदान करने की विधि

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका ने क्यूबा में ‘हाई एल्टीट्यूड बैलून’ के माध्यम से लोगों तक इंटरनेट के प्रसार की योजना बनाई है जब उनकी सरकार ने इंटरनेट की पहुँच को अवरुद्ध कर दिया है।

  • क्यूबा में लंबे समय से अधिकारों पर प्रतिबंध, भोजन और दवाओं की कमी तथा कोविड-19 महामारी को लेकर सरकार की खराब प्रतिक्रिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है।

प्रमुख बिंदु:

इंटरनेट हेतु हाई एल्टीट्यूड बैलून:

  • इन्हें आमतौर पर ‘लून बैलून’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इंटरनेट प्रदान करने के लिये पहले ‘हाई एल्टीट्यूड बैलून’ का इस्तेमाल ‘प्रोजेक्ट लून’ के तहत किया गया था।
  • वे सामान्य प्लास्टिक की पॉलीथीन से बने होते हैं और एक टेनिस कोर्ट के आकार के होते हैं।
  • वे सौर पैनलों द्वारा संचालित होते हैं एवं ज़मीन पर सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित होते हैं।
  • हवा में ऊपर रहते हुए वे ‘फ्लोटिंग सेल टावरों’ के रूप में कार्य करते हैं तथा इंटरनेट सिग्नल को ग्राउंड स्टेशनों और व्यक्तिगत उपकरणों तक पहुँचाते हैं।
    • वे वाणिज्यिक जेटलाइनर मार्गों (पृथ्वी से 60000 से 75000 फीट ऊपर) के ऊपर उड़ते रहते हैं।
  • पृथ्वी पर वापस आने से पहले वे समताप मंडल में 100 दिनों से अधिक समय तक रहते हैं।
  • प्रत्येक गुब्बारा हज़ारों लोगों की सेवा कर सकता है लेकिन समताप मंडल में कठोर परिस्थितियों के कारण उन्हें हर पाँच महीने में बदलना और गुब्बारों को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।

आवश्यकताएँ:

  • नेटवर्क:
    • गुब्बारों से परे इसे क्षेत्र में ज़मीन पर सेवा और कुछ उपकरण प्रदान करने के लिये दूरसंचार के साथ नेटवर्क एकीकरण की आवश्यकता थी।
  • अनुमति:
    • इसे स्थानीय नियामकों से भी अनुमति की आवश्यकता है पर क्यूबा सरकार द्वारा अनुमति दिये जाने की संभावना नहीं है।

महत्त्व:

  • सुलभ:
    • फोन कंपनियों को ज़रूरत पड़ने पर अपने कवरेज का विस्तार करने की अनुमति देकर, इस बैलून का उद्देश्य देशों को केबल बिछाने या सेल टावर बनाने की तुलना में एक सस्ता विकल्प प्रदान करना है।
  • दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच:
    • ये दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ मौजूदा प्रावधानों के तहत खराब सेवा प्रदान की जा रही है, इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम हैं और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में संचार में सुधार करने में सक्षम हैं।

चुनौतियाँ:

  • अप्रयुक्त बैंड की आवश्यकता:
    • इसे क्यूबा से एक कनेक्शन संचारित करने के लिये स्पेक्ट्रम या रेडियो फ्रीक्वेंसी के अप्रयुक्त बैंड की आवश्यकता होगी और स्पेक्ट्रम का उपयोग प्रायः राष्ट्रीय सरकारों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
    • इस प्रकार की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को स्पेक्ट्रम का एक फ्री ब्लॉक ढूँढना होगा जिसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
  • अलाभकारी:
    • लंबी अवधि में बैलून या ड्रोन-संचालित नेटवर्क के किफायती होने की संभावना नहीं है।
  • परिचालन चुनौतियाँ:
    • बैलून की स्थिति को उचित रूप से मैप करने के लिये एल्गोरिदम विकसित करना, खराब मौसम से निपटने के लिये एक अच्छी रणनीति निर्धारित करना और गैर-नवीकरणीय संसाधनों पर भरोसा करने की चिंता को संबोधित करना अन्य चुनौतियों हैं।

प्रोजेक्ट लून (Project Loon):

  • इसकी शुरुआत वर्ष 2011 में गूगल (Google) की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट (Alphabet) ने की थी। यह समताप मंडल में बैलून्स का एक नेटवर्क था जिसे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
  • जनवरी 2020 में इस परियोजना को बंद कर दिया गया\ क्योंकि यह व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं थी।
  • शटडाउन से पहले लून बैलून एक स्थानीय दूरसंचार के साथ साझेदारी के माध्यम से केन्या के पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा प्रदान कर रहा था।
  • इस सेवा ने तूफान मारिया के बाद प्यूर्टो रिको में वायरलेस संचार प्रदान करने में भी मदद की।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस