भारतीय उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण | 28 Oct 2025
प्रिलिम्स के लिये: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन विनियम 2023, सकल नामांकन अनुपात (GER), मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, सार्वजनिक-निजी भागीदारी।
मेन्स के लिये: भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन को प्रेरित करने वाले महत्त्वपूर्ण नीतिगत सुधार, भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश से जुड़ी उभरती संभावनाएँ और चुनौतियाँ।
चर्चा में क्यों?
UGC’ के 2023 के विनियमों के तहत मुख्यतः ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की 17 विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर स्थापित करने की मंज़ूरी मिली है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है और भारत में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग के बीच उठाया गया है।
भारत उच्च शिक्षा में वैश्विक साझेदारी को कैसे आगे बढ़ा रहा है?
- NEP 2020 विज़न: सुलभता, समता, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के सिद्धांतों से निर्देशित, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- यह भारत में शीर्ष 100 वैश्विक विश्वविद्यालयों को कार्य करने की अनुमति देता है, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, छात्र एवं शिक्षकों की गतिशीलता और शैक्षणिक क्रेडिट हस्तांतरण को बढ़ावा देता है ताकि संपूर्ण शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक मानकों तक उठाया जा सके।
- UGC के विनियम 2023: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के विज़न को कार्यान्वित करने के लिये, “भारत में विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन” संबंधी UGC विनियमन 2023 लागू किये गए।
- योग्य FHEI को शीर्ष 500 QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में रैंक किया जाना चाहिये।
- इन संस्थानों को अपने मूल परिसरों के समान शैक्षणिक मानक, पाठ्यक्रम और डिग्री समकक्षता बनाए रखना अनिवार्य है।
- उन्हें संचालनात्मक स्वायत्तता प्रदान की गई है जिसमें भारतीय एवं विदेशी संकाय की भर्ती में लचीलापन शामिल है और वे भारतीय विश्वविद्यालयों पर लागू फीस की सीमा से बाध्य नहीं हैं।
कौन-से कारक विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने हेतु प्रेरित कर रहे हैं?
- गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग: भारत की आधी से अधिक जनसंख्या 30 वर्ष से कम आयु की है तथा सकल नामांकन अनुपात (GER) अभी भी 30% से कम है, जिससे भारत एक विशाल और अब तक अप्रयुक्त उच्च शिक्षा बाज़ार के रूप में उभर रहा है।
- बढ़ती आय, विस्तारित मध्यम वर्ग, अंग्रेज़ी भाषा में दक्षता और वैश्विक स्तर पर सीखने की मांग जैसे कारक भारत को विदेशी विश्वविद्यालयों के लिये एक आकर्षक गंतव्य बना रहे हैं।
- सहायक नीतिगत वातावरण: NEP 2020 शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देती है, जिसके तहत शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों को भारत में आमंत्रित किया जा रहा है। वहीं UGC के 2023 विनियम इन विश्वविद्यालयों के परिसर स्थापित करने के लिये एक सहायक ढाँचा प्रदान करते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की घटती संख्या: हाल के आँकड़ों से पता चलता है कि भारतीय छात्रों की संख्या में तीव्र गिरावट आई है। इसका प्रमुख कारण कड़े आप्रवासन नियम हैं, जिनमें विदेशी छात्रों द्वारा आश्रितों को साथ लाने पर प्रतिबंध और ब्रिटेन, अमेरिका तथा कनाडा में आप्रवासन को सीमित करने के लिये उठाए गए अन्य कदम शामिल हैं।
- राजस्व का विविधीकरण: घरेलू नामांकन में ठहराव और सार्वजनिक वित्तपोषण में कमी के कारण ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के विश्वविद्यालय राजस्व विविधीकरण एवं वित्तीय स्थिरता के लिये भारत को एक रणनीतिक बाज़ार के रूप में देख रहे हैं।
- रणनीतिक वैश्विक साझेदारियाँ: भारतीय परिसरों ने संस्थागत संबंधों को सुदृढ़ किया है, अनुसंधान सहयोग और छात्र विनिमय को बढ़ावा दिया है तथा भविष्य के स्नातकोत्तर छात्रों एवं वैश्विक पूर्व छात्रों के नेटवर्क के लिये एक कुशल मानव संसाधन शृंखला का निर्माण किया है।
- उदाहरण के लिये, ब्रिटेन–इंडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनिशिएटिव (UKIERI) द्विपक्षीय छात्र और संकाय विनिमय को बढ़ावा देती है।
भारत की उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के क्या प्रभाव हैं?
- वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता: विदेशी विश्वविद्यालय वैश्विक पाठ्यक्रम, शिक्षण मानक और गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली लेकर आते हैं, जिससे भारत की शैक्षणिक पारिस्थितिकी का स्तर ऊँचा होता है। साथ ही यह नवाचार और अनुसंधान वित्तपोषण को आकर्षित करता है।
- ब्रेन ड्रेन पर नियंत्रण: अब उच्च कौशल और प्रतिभाशाली छात्र भारत में ही रहकर पढ़ाई कर सकेंगे, जिससे विदेशों में पढ़ाई पर खर्च होने वाले अरबों डॉलर के वार्षिक बहिर्गमन में कमी आएगी।
- प्रणालीगत सुधार: विदेशी विश्वविद्यालयों की उपस्थिति भारतीय संस्थानों को नवाचार, गुणवत्ता सुधार और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये प्रेरित करेगी। इनके शासन मॉडल और उद्योग-अकादमिक साझेदारी भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में संरचनात्मक सुधार के लिये एक ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय लक्ष्यों की अनुरूपता: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डेटा साइंस और वित्त जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों में संचालित पाठ्यक्रम मेक इन इंडिया तथा डिजिटल इंडिया जैसे राष्ट्रीय अभियानों के अनुरूप एक कुशल कार्यबल तैयार करेंगे, साथ ही एक विविध एवं विश्वनगरीय शैक्षणिक वातावरण को भी प्रोत्साहित करेंगे।
- वहनीय अंतर्राष्ट्रीय डिग्रियाँ: भारत में विदेशी विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करना विदेश जाकर पढ़ाई करने की तुलना में कहीं अधिक वहनीय है। उदाहरण के लिये, साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के स्नातक (UG) पाठ्यक्रमों के लिये वर्ष 2026 की फीस लगभग ₹13.86 से ₹23.10 लाख है — जो ब्रिटेन के कैंपस लागत का लगभग आधा है।
भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसर स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ और उनके समाधान क्या हैं?
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चुनौतियाँ |
आगे की राह |
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स्वायत्तता संबंधी चुनौतियाँ: फीस, पाठ्यक्रम और संकाय पर सीमित स्वायत्तता; UGC की जटिल स्वीकृति प्रक्रिया। |
स्थिर नियामक ढाँचा: एकल-खिड़की प्रणाली से त्वरित स्वीकृति; स्वायत्तता, कराधान और निधि प्रत्यावर्तन पर पारदर्शी नीतियाँ। |
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वित्तीय व्यवहार्यता: वहनीयता और लागत के बीच संतुलन; न्यूनतम नामांकन लक्ष्य प्राप्त कर वित्तीय संतुलन बनाए रखना। |
सतत् वित्तीय मॉडल: चरणबद्ध निवेश, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और पुनर्निवेश प्रावधानों के साथ अधिशेष प्रत्यावर्तन की अनुमति। |
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प्रतिस्पर्द्धात्मक चुनौतियाँ: IIT/IIM जैसी प्रतिष्ठित भारतीय संस्थाओं से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा; डिग्री के मूल्य को लेकर छात्रों में संदेह। |
रणनीतिक शैक्षणिक साझेदारी: संयुक्त डिग्रियाँ, क्रेडिट ट्रांसफर; भारत-केंद्रित विषयों पर सहयोगात्मक अनुसंधान। |
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गुणवत्ता आश्वासन संबंधी मुद्दे: शीर्ष संकाय को आकर्षित करना; पाठ्यक्रम या शिक्षण मानकों में कमी से बचना। |
मज़बूत निगरानी एवं मूल्यांकन प्रणाली: अनुसंधान, रोज़गार योग्यता और सामाजिक प्रभाव जैसे मानकों पर सफलता का मूल्यांकन। |
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बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: भूमि अधिग्रहण, कराधान, श्रम कानून और भौतिक अवसंरचना की तैयारी। |
सांस्कृतिक एकीकरण: भारतीय संदर्भ और मूल्यों के अनुरूप पाठ्यक्रम विकसित करना; स्थानीय कौशल और ज्ञान अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना। |
निष्कर्ष:
NEP 2020 और UGC 2023 द्वारा संचालित भारत का विदेशी विश्वविद्यालयों के लिये ढाँचा उच्च शिक्षा को रूपांतरित करने का उद्देश्य रखता है जिसमें गुणवत्ता में सुधार, ब्रेन ड्रेन पर नियंत्रण और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना प्रमुख लक्ष्य हैं। इस पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत विदेशी विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और राष्ट्रीय हितों के बीच संतुलन कैसे बनाता है, शिक्षा की वहनीयता को कैसे सुनिश्चित करता है तथा दीर्घकालिक प्रभाव के लिये सतत् एवं पारस्परिक रूप से लाभकारी शैक्षणिक साझेदारियाँ कैसे स्थापित करता है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. विश्लेषण कीजिये कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और UGC विनियम 2023 भारत में उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को किस प्रकार प्रोत्साहित करते हैं तथा इनके नीतिगत प्रभावों का मूल्यांकन कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा परिसर स्थापित करने के लिये नीतिगत ढाँचा क्या है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और UGC विनियम 2023 शीर्ष रैंक वाले विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों (FHEIs) को भारत में परिसर स्थापित करने की अनुमति देते हैं, जिससे शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण एवं गुणवत्ता समानता को बढ़ावा मिलता है।
2. UGC के नियमों के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों को कौन-सा पात्रता मानदंड पूरा करना होता है?
विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों को वैश्विक स्तर पर शीर्ष 500 (कुल या विषय-वार) में रैंक किया जाना चाहिये या UGC के मूल्यांकन के अनुसार किसी विशेष क्षेत्र में असाधारण विशेषज्ञता प्रदर्शित करनी चाहिये।
3.विदेशी विश्वविद्यालयों का भारत में प्रवेश राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के अनुरूप कैसे है?
यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों को सशक्त करती है, क्योंकि यह उच्च मांग वाले क्षेत्रों में कुशल कार्यबल तैयार करने, ब्रेन ड्रेन को कम करने तथा देश के भीतर अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने में सहायक है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)
- राज्य नीति के निदेशक तत्त्व
- ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय
- पाँचवीं अनुसूची
- छठी अनुसूची
- सातवीं अनुसूची
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: (d)
मेन्स
प्रश्न. जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डालिये। (2021)
प्रश्न. भारत में डिजिटल पहल ने किस प्रकार से देश की शिक्षा व्यवस्था के संचालन में योगदान किया है? विस्तृत उत्तर दीजिये। (2020)