भारत–ब्रिटेन विज़न 2035 और CETA | 25 Jul 2025
प्रिलिम्स के लिये:मुक्त व्यापार समझौता, द्विपक्षीय निवेश संधि, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, ‘नेट ज़ीरो’ इनोवेशन वर्चुअल सेंटर मेन्स के लिये:भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंध और विकसित होती रणनीतिक साझेदारी, मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का महत्त्व |
स्रोत: पी. आई. बी.
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रधानमंत्री की लंदन यात्रा के दौरान भारत–ब्रिटेन विज़न 2035 का अनावरण किया गया और व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA), जो एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, को औपचारिक रूप दिया गया। इसका उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक करना है।
भारत-ब्रिटेन विज़न 2035 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: नव हस्ताक्षरित CETA विज़न 2035 का केंद्रीय विषय है, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और रोज़गार सृजन करना है।
- संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति (JETCO) इसके कार्यान्वयन की देखरेख करेगी तथा द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) को आगे बढ़ाने की योजना बनाएगी।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार: प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल पर मुख्य ध्यान दिया जा रहा है, जिसका लक्ष्य अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, दूरसंचार और महत्त्वपूर्ण खनिजों में प्रगति करना है।
- रक्षा: दोनों देशों ने 10 वर्षीय रक्षा औद्योगिक रोडमैप पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें जेट इंजन प्रौद्योगिकी, समुद्री सुरक्षा और निर्देशित ऊर्जा हथियारों जैसे क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान और विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- ब्रिटेन हिंद महासागर क्षेत्र में रसद के लिये भी भारत पर निर्भर रहेगा और गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा खतरों से निपटने हेतु क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा उत्कृष्टता केंद्र (RMSCE) की स्थापना हेतु हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) के तहत भारत के साथ काम करेगा।
- जलवायु एवं स्थायित्व: भारत और ब्रिटेन हरित वित्त जुटाने, अपतटीय पवन तथा परमाणु प्रौद्योगिकियों पर सहयोग करने एवं हरित वस्तुओं में संयुक्त आपूर्ति शृंखला बनाने के लिये मिलकर काम करेंगे।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन जैसे मंच इन प्रयासों को सुगम बनाएंगे।
- शिक्षा और कौशल: ब्रिटेन भारत में विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगा तथा दोनों देश हरित कौशल साझेदारी के माध्यम से योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता और जलवायु से जुड़े रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
- वैश्विक शासन: बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है तथा संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, IMF और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं में सुधारों का समर्थन करता है।
भारत-ब्रिटेन CETA की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रमुख विशेषताएँ:
- शुल्क-मुक्त पहुँच: भारत को ब्रिटेन बाज़ार में 99% शुल्क-मुक्त पहुँच प्राप्त होगी, जिससे वस्त्र, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन तथा ऑटो पार्ट्स जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।
- भारत 90% टैरिफ लाइनों पर शुल्क में कटौती करेगा या उसे समाप्त करेगा, जो ब्रिटेन से आयातित 92% वस्तुओं को शामिल करती हैं (जिसमें कार, शराब शामिल हैं)।
- भारत समझौते के छठे वर्ष में ब्रिटेन के इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैरिफ समाप्त कर देगा तथा 40,000 GBP से कम कीमत वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
- सेवा क्षेत्र: भारतीय पेशेवरों और कंपनियों को IT, वित्तीय सेवाएँ, शिक्षा आदि क्षेत्रों में विस्तारित बाज़ार पहुँच प्राप्त होगी। साथ ही, इंजीनियरिंग, वास्तुकला और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों के लिये वीज़ा प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
- डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन: डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन के तहत, भारत-ब्रिटेन CETA भारतीय पेशेवरों और उनके नियोक्ताओं को ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा योगदान से तीन वर्षों के लिये छूट देगा, जिससे भारतीय प्रतिभा की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी।
- समावेशी विकास: यह समझौता महिलाओं, युवाओं, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME), किसानों और नवप्रवर्तकों की भागीदारी को बढ़ावा देगा, जिससे उन्हें वैश्विक मूल्य शृंखलाओं तक पहुँच मिलेगी तथा सतत् प्रथाओं को समर्थन मिलेगा।
- कृषि लाभ: भारत के कृषि उत्पादों जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, खाद्य तेल और समुद्री खाद्य पदार्थों पर शुल्क में कटौती की जाएगी, जिससे ब्रिटेन को निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
- शुल्क-मुक्त पहुँच: भारत को ब्रिटेन बाज़ार में 99% शुल्क-मुक्त पहुँच प्राप्त होगी, जिससे वस्त्र, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन तथा ऑटो पार्ट्स जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।
- प्रभाव:
- व्यापार विस्तार: CETA का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त व्यापार लगभग 112 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। इस समझौते से वर्ष 2040 तक भारत को ब्रिटेन के निर्यात में 60% की वृद्धि होने का अनुमान है।
- रोज़गार सृजन: यह समझौता आर्थिक गतिविधियों के विस्तार के माध्यम से दोनों देशों में विशेष रूप से विनिर्माण, सेवा और कृषि जैसे क्षेत्रों में रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करेगा।
- बढ़ा हुआ निवेश: समझौते में MSME, स्टार्टअप्स तथा उद्यमियों के लिये अनुकूल प्रावधानों को शामिल किये जाने से भारत और ब्रिटेन के बीच निवेश प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा।
भारत-ब्रिटेन संबंधों का समय के साथ विकास कैसे हुआ?
- व्यापार और निवेश: वर्ष 2023–24 में द्विपक्षीय व्यापार 21.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। वर्ष 2024–25 में भारत का ब्रिटेन को निर्यात 12.6% बढ़कर 14.5 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि ब्रिटेन से आयात 2.3% बढ़कर 8.6 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार: वर्ष 2024 में शुरू की गई भारत–ब्रिटेन टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव (TSI) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), सेमीकंडक्टर्स और साइबर सुरक्षा जैसे उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित है।
- ब्रिटेन अब अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा अनुसंधान साझेदार है। भारत-ब्रिटेन ‘नेट ज़ीरो’ इनोवेशन वर्चुअल सेंटर हरित हाइड्रोजन और डीकार्बोनाइज़ेशन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- ब्रिटेन ने भारत को अपने इंटरनेशनल साइंस पार्टनरशिप फंड में भागीदार भी घोषित किया है।
- रक्षा और सुरक्षा: भारत और ब्रिटेन ने कोंकण, कोबरा वॉरियर और अजेय वॉरियर जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों के माध्यम से रक्षा सहयोग को मज़बूत किया है, जो इंडो-पैसिफिक सहयोग तथा रक्षा तकनीक पर केंद्रित हैं।
- स्वास्थ्य: कोविड-19 महामारी के दौरान भारत और ब्रिटेन ने मिलकर कार्य किया, विशेष रूप से एस्ट्राज़ेनेका–सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन साझेदारी के माध्यम से। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) में 60,000 से अधिक भारतीय कार्य कर रहे हैं।
- भारतीय प्रवासी: ब्रिटेन में 1.86 मिलियन भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो विज्ञान, कला, व्यापार और राजनीति में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
भारत-ब्रिटेन के बीच टकराव के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
- प्रत्यर्पण मुद्दे: भारत ब्रिटेन पर भगोड़ों (जैसे, विजय माल्या) को शरण देने का आरोप लगाता है। प्रत्यर्पण पर ब्रिटेन की अनिच्छा कानूनी और कूटनीतिक विश्वास को प्रभावित करती है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध: इस युद्ध पर भारत की तटस्थ नीति, ब्रिटेन की यूक्रेन समर्थक सख्त रणनीति से मेल नहीं खाती, जिससे रणनीतिक असहजता उत्पन्न होती है।
- जलवायु शुल्क: ब्रिटेन की योजनाबद्ध कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (CBAM) स्टील जैसे भारतीय निर्यातों को नुकसान पहुँचा सकती है। भारत इसे संरक्षणवाद के रूप में देखता है।
- खालिस्तानी गतिविधियाँ: ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनों से द्विपक्षीय संबंधों में तनाव उत्पन्न होता है। भारत चाहता है कि ब्रिटेन इन अलगाववादी गतिविधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करे।
- बौद्धिक संपदा अधिकार: ब्रिटेन द्वारा सख्त बौद्धिक संपदा संरक्षण की मांग, भारत की किफायती दवाओं और लचीले नवाचार नियमों की आवश्यकता के साथ टकराती है।
भारत-ब्रिटेन संबंधों को मज़बूत करने के लिये भारत क्या कदम उठा सकता है?
- सुरक्षा संबंधों को मज़बूत करना: AUKUS जैसे मंचों का लाभ उठाते हुए भारत-ब्रिटेन को इंडो-पैसिफिक रणनीति, आतंकवाद-रोधी सहयोग और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी साझेदारी को विस्तारित करना चाहिये।
- संयुक्त जलवायु कार्रवाई: साझा अनुसंधान मंचों के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा, सतत् कृषि और हरित नवाचार पर सहयोग करना।
- व्यापार और निवेश कूटनीति: निवेश को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) के रूप में बढ़ावा देने हेतु बाज़ार पहुँच का विस्तार करना।
- प्रवासी भारतीयों का लाभ उठाना: ब्रिटेन में 18.6 लाख की आबादी वाले भारतीय समुदाय को राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहुँच के लिये शामिल करना।
निष्कर्ष:
भारत-ब्रिटेन विज़न 2035 और CETA रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी संबंधों को और मज़बूत बनाते हैं, जिससे व्यापार, नवाचार, रक्षा और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अवसर उपलब्ध होते हैं। नीतिगत मतभेदों को सावधानीपूर्वक सुलझाने और केंद्रित कूटनीति से एक मज़बूत एवं भविष्य के लिये तैयार साझेदारी बनाने में मदद मिलेगी।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न प्रश्न. भारत–ब्रिटेन विज़न 2035 की रणनीतिक प्रासंगिकता की समीक्षा कीजिये और यह किस प्रकार ब्रेक्जिट के बाद द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्परिभाषित करता है। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हमने ब्रिटिश मॉडल के आधार पर संसदीय लोकतंत्र को अपनाया, लेकिन हमारा मॉडल उस मॉडल से कैसे अलग है?( 2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न: निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त में से कौन 'आर्कटिक परिषद्' के सदस्य हैं? (A) 1, 2 और 3 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न: भारत और ब्रिटेन की न्यायिक व्यवस्था हाल के दिनों में अभिसरण के साथ-साथ अलग-अलग होती दिख रही है। न्यायिक प्रथाओं के संदर्भ में दोनों देशों के बीच अभिसरण एवं विचलन के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालिये। (2020) |