भारत का पहला अंतरिक्ष युद्ध अभ्यास | 08 Jun 2019

चर्चा में क्यों?

मार्च 2019 में एंटी-सैटेलाइट (Anti-Satellite/A-Sat) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण और हाल ही में ‘ट्राई सर्विस डिफेंस स्पेस एजेंसी’ (Tri-Service Defence Space Agency) की शुरुआत करने के पश्चात् भारत पहली बार सिमुलेटेड (कृत्रिम/बनावटी) अंतरिक्ष युद्ध अभ्यास (Simulated Space Warfare Exercise) की योजना बना रहा है, जिसे 'IndSpaceEx' नाम दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह अभ्यास मूल रूप से एक ‘टेबल-टॉप वॉर-गेम’ (‘Table-Top War-Game’) होगा, जिसमें सैन्य और वैज्ञानिक समुदाय के लोग हिस्सा लेंगे। किंतु टेबल-टॉप वॉर-गेम होने के बावजूद यह अभ्यास उस गंभीरता को रेखांकित करता है जिसके तहत चीन जैसे देशो से भारत अपनी अंतरिक्ष परिसंपत्तियों की रक्षा और संभावित खतरों से मुकाबला करने की आवश्यकता पर विचार कर रहा है।

Table top war game

उद्देश्य

  • अंतरिक्ष का सैन्यीकरण होने के साथ-साथ इसमें विवादास्पद और प्रतिस्पर्द्धात्मक गतिविधियाँ भी हो रही हैं।
  • इन गतिविधियों के मद्देनज़र भारत द्वारा अंतरिक्ष युद्धाभ्यास को शुरू करने का प्रमुख उद्देश्य अंतरिक्ष में अपनी स्थिति को और मज़बूत बनाना है।
  • जुलाई 2019 के अंतिम सप्ताह में आयोजित होने वाले इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक अंतरिक्ष और काउंटर-स्पेस क्षमताओं का आकलन करना है।

एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT)

  • एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का लक्ष्य किसी देश के सामरिक सैन्य उद्देश्यों के उपग्रहों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने पर लक्षित होता है।
  • वैसे आज तक किसी भी युद्ध में इस तरह की मिसाइल का उपयोग नहीं किया गया है। लेकिन कई देश अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने और अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्बाध गति से जारी रखने के लिये इस तरह के मिसाइल सिस्टम की मौजूदगी को ज़रूरी मानते हैं।

‘IndSpaceEx’ योजना

  • इस युद्ध अभ्यास के तहत भारत अंतरिक्ष में अपने विरोधियों पर निगरानी रखने, संचार, मिसाइल की पूर्व चेतावनी और सटीक लक्ष्य साधने तथा अपने उपग्रहों की सुरक्षा जैसी आवश्यकताओं पर बल देगा।
  • इसके साथ ही अंतरिक्ष में रणनीतिक चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में सहायता प्राप्त होगी जिनकी वर्तमान परिवेश में अत्यंत आवश्यकता है।
  • चीन जनवरी 2007 में ‘A-Sat’ मिसाइल की सहायता से एक मौसम उपग्रह को नष्ट कर अंतरिक्ष में अपनी सैन्य क्षमताओं का पहले ही विकास कर चुका है।
  • ध्यातव्य है कि चीन ने हाल ही में अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के वर्चस्व को खतरे में डालने वाले अपने महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम को लॉन्च किया है। इस कार्यक्रम के तहत चीन ने समुद्र में तैरते एक प्लेटफॉर्म से अंतरिक्ष रॉकेट लॉन्च करने की क्षमता का विकास किया है।

अंतरिक्ष में भारत की स्थिति

  • भारत ने लंबे समय से अंतरिक्ष कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए अंतरिक्ष में अपनी स्थिति मज़बूत बनाई है फिर भी वह चीन के समकक्ष नही आ सका है।
  • भारत ने संचार, नेविगेशन, पृथ्वी अवलोकन और अन्य उपग्रहों को मिलाकर 100 से अधिक अंतरिक्षयान मिशन संचालित किये हैं।
  • साथ ही भारतीय सशस्त्र बल दो समर्पित सैन्य उपग्रहों के अलावा, निगरानी, नेविगेशन और संचार उद्देश्यों के लिए बड़े पैमाने पर दोहरे उपयोग वाले रिमोट सेंसिंग उपग्रह का भी उपयोग करते हैं।
  • भारत ने मिशन शक्ति को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए काउंटर-स्पेस क्षमता विकसित करने की दिशा में पहला कदम तब उठाया जब उसने कम वज़न वाली पृथ्वी की कक्षा में 283 किमी. की ऊँचाई पर स्थित 740 किलोग्राम के माइक्रोसैट-R उपग्रह को नष्ट करने के लिये 19 टन की इंटरसेप्टर मिसाइल लॉन्च की।

‘मिशन शक्ति’

  • मार्च 2019 में भारत ने मिशन शक्ति को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) से तीन मिनट में एक लाइव भारतीय सैटेलाइट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया।
  • अंतरिक्ष में 300 किमी. दूर पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit-LEO) में घूम रहा यह लाइव सैटेलाइट एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था।
  • अब तक रूस, अमेरिका एवं चीन के पास ही यह क्षमता थी और इसे हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है।
  • ‘मिशन शक्ति’ का मूल उद्देश्य भारत की सुरक्षा, आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति को दर्शाना है।

माइक्रोसैट –R

  • माइक्रोसैट-R एक सैन्य इमेजिंग उपग्रह था, जिसका वज़न 130 किलोग्राम था और इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organization-DRDO) द्वारा बनाया गया था।
  • इसे पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया था। ऐसा पहली बार था जब भारतीय उपग्रह को ISRO द्वारा 274 किमी. से कम ऊँचाई में रखा गया हो।
  • मिशन शक्ति के तहत मार्च 2019 में इसे नष्ट कर दिया गया।
  • भारत अन्य काउंटर-स्पेस क्षमताओं जैसे कि निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapons- DEWs), लेज़र, ईएमपी (Electromagnetic Pulse) और सह-कक्षीय मारकों (Co-orbital Killers) के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक या प्राकृतिक हमलों से स्वयं के उपग्रहों की रक्षा करने की क्षमता को विकसित करने के लिये काम कर रहा है।

स्रोत- टाइम्स ऑफ़ इंडिया