भारत-दक्षिण कोरिया व्यापार वार्ता | 12 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

दक्षिण कोरिया की अवस्थिति, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA), मुक्त व्यापार समझौते, अन्य देशों के साथ भारत के FTAs ।

मेन्स के लिये:

भारत-दक्षिण कोरिया CECA का महत्त्व, भारत-दक्षिण कोरिया संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दक्षिण कोरिया के व्यापार मंत्री ने वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री के साथ वार्ता की।

South-Korea

प्रमुख बिंदु

  • व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते का उन्नयन:
    • दोनों देश व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) के उन्नयन संबंधी वार्ता पर चर्चा को नई गति प्रदान करने और दोनों देशों के उद्योग जगत के नेताओं के बीच व्यापार एवं निवेश पर व्यापक ‘B2B’ (व्यवसाय से व्यवसाय) वार्ता को बढ़ावा देने पर सहमत हुए।
  • द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य:
    • भारत और दक्षिण कोरिया ने वर्ष 2030 से पहले 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य निर्धारित किया था, जिस पर वर्ष 2018 में आयोजित शिखर बैठक में सहमति व्यक्त की गई थी।
      • यह नियमित वार्ता दोनों देशों के व्यापारिक समुदाय की कठिनाइयों और आपूर्ति शृंखला लचीलापन सहित उभरते व्यापार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक मंच के रूप में कार्य करेगी।
    • दोनों पक्षों पारस्परिक लाभ हेतु निष्पक्ष और संतुलित तरीके से विकास करने के लिये द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमत हुए।
      • कोरिया में कड़े नियामक मुद्दों के कारण भारतीय कंपनियों को कोरिया में स्टील, इंजीनियरिंग और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में अपने उत्पादों का निर्यात करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
      • व्यापार घाटा वर्ष 2008-09 के 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता:

  • परिचय:
    • यह एक प्रकार का मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें सेवाओं एवं निवेश के संबंध में व्यापार और आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों पर बातचीत करना शामिल है। यह व्यापार सुविधा एवं सीमा शुल्क सहयोग, प्रतिस्पर्द्धा तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे क्षेत्रों पर बातचीत किये जाने पर भी विचार कर सकता है।
    • साझेदारी या सहयोग समझौते मुक्त व्यापार समझौतों की तुलना में अधिक व्यापक हैं।
    • CEPA व्यापार के नियामक पहलू को भी देखता है और नियामक मुद्दों को कवर करने वाले एक समझौते को शामिल करता है।
  • अन्य देशों के साथ भारत के CEPA:
    • भारत ने दक्षिण कोरिया और जापान के साथ CEPA पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • वर्ष 2021 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने औपचारिक रूप से भारत-यूएई व्यापक आर्थिक सहयोग तथा भागीदारी समझौते (CEPA) पर वार्ता शुरू की थी।
    • भारत बांग्लादेश के साथ भी व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते को आगे बढ़ाना चाहता है।

भारत-दक्षिण कोरिया संबंध:

  • राजनीतिक:
    • कोरिया युद्ध (वर्ष 1950-53) के दौरान युद्धरत दोनों पक्षों (उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया) के मध्य भारत ने युद्धविराम समझौता कराने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। भारत द्वारा प्रायोजित इस संकल्प को स्वीकार कर लिया गया और 27 जुलाई, 1953 को युद्ध विराम की घोषणा हुई।
    • मई 2015 में द्विपक्षीय संबंधों को  'विशेष सामरिक भागीदारी’ हेतु उन्नत किया गया।
    • भारत ने दक्षिण कोरिया की दक्षिणी नीति में एक अहम भूमिका निभाई है, जिसके तहत कोरिया अपने प्रभावी क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी संबंधों का विस्तार करना चाहता है।
    • दक्षिण कोरिया भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी (Act East Policy) का एक प्रमुख सहयोगी है जिसके अंतर्गत भारत का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और एशिया-प्रशांत देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को विकसित करना है।
  • आर्थिक:
    • भारत और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापार व आर्थिक संबंधों ने हाल के वर्षों में गति पकड़ी है, जिसके तहत वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2018 में 21.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है और यह पहली बार है जब दोनों देशों के व्यापार ने 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आँकड़ा पार किया है।
    • जनवरी-दिसंबर 2020 में द्विपक्षीय व्यापार 16.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया था।
    • वर्ष 2010 के बाद से स्थापित द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईपीए) से व्यापार और निवेश दोनों में वृद्धि हुई है।
    • कोरिया से निवेश सुविधा के लिये भारत ने 'इन्वेस्ट इंडिया' के अंतर्गत एक ‘कोरिया प्लस’ पहल को शुरू किया है जो निवेशकों का मार्गदर्शन, सहायता करने और संवर्द्धित  करने की सुविधा प्रदान करेगी।
    • सितंबर 2020 तक भारत में दक्षिण कोरिया का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगभग 6.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और यह भारत के प्रमुख निवेशकों में से एक है।
  • रक्षा:
    • वर्ष 2005 में दोनों पक्षों ने वर्ष 2006 में दोनों तट रक्षकों के बीच सहयोग पर रक्षा और रसद तथा एक अन्य समझौता ज्ञापन (एमओयू) में सहयोग के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
    • अब तक भारतीय और दक्षिण कोरियाई तटरक्षकों ने अंतरसंचालनीयता बढ़ाने के उद्देश्य से पाँच अभ्यास किये हैं।
    • इन अभ्यासों में से सबसे हाल ही में चेन्नई के तट पर आयोजित किया गया अभ्यास था, जिसका नाम सहयोग-ह्येब्ल्येओग (Sahyog-Hyeoblyeog) 2018 है।
      • सहयोग-ह्येब्ल्येओग हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिये दो तट रक्षकों के बीच एक समझौता ज्ञापन की प्रस्तावित स्थापना का हिस्सा है।
    • मई 2021 में भारतीय रक्षा मंत्री और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्ष ने दिल्ली छावनी में एक समारोह में भारत-कोरिया फ्रेंडशिप पार्क का उद्घाटन किया।
    • वर्ष 1950-53 के कोरियाई युद्ध के दौरान भारतीय सेना के योगदान को याद करने के लिये पार्क का निर्माण किया गया था।

सांस्कृतिक:

  • कोरियाई बौद्ध भिक्षु हाइको या होंग जिआओ ने 723 से 729 ईस्वी के दौरान भारत की यात्रा की और उन्होंने ‘भारत के पाँच साम्राज्यों की तीर्थयात्रा’ नामक यात्रा वृतांत लिखा। यह यात्रा वृतांत भारतीय संस्कृति, राजनीति और समाज का ज्वलंत वर्णन करता है।
  • नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने 1929 में कोरिया के गौरवशाली अतीत और इसके उज्ज्वल भविष्य के बारे में एक छोटी लेकिन विचारोत्तेजक कविता ‘लैंप ऑफ द ईस्ट’ की रचना की थी।
  • भारत तथा कोरिया गणराज्य के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिये अप्रैल 2011 में सियोल में तथा दिसंबर 2013 में बूसान में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (ICC) का गठन किया गया।

दोनों देशों द्वारा साझा किये गए बहुपक्षीय मंच:

आगे की राह

  • भारत-कोरिया गणराज्य (Republic of Korea) संबंधों ने हाल के वर्षों में गति पकड़ी है। वर्तमान में ये संबंध बहुआयामी हो गए हैं, जो हितों के पर्याप्त अभिसरण, आपसी सद्भाव और  उच्च स्तरीय आदान-प्रदान से प्रोत्साहित हुए हैं। 
  • हालाँकि इससे भारत और दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों के विस्तार के साथ-साथ एशिया में एक अद्वितीय संबंध बनाने की काफी संभावनाएँ व्यक्त की गई हैं। इसके लिये एक ऐसी राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है जो विविध क्षेत्रों (जैसे- सांस्कृतिक संबंधों, लोगों  के मध्य संपर्क बनाने, लोकतंत्र और उदार मूल्यों का उपयोग करने तथा सभ्यतागत संबंधों) को मजबूत करने की कल्पना करता हो।

स्रोत: पी.आई.बी