भारत का सौर ऊर्जा क्षेत्र | 08 Feb 2022

प्रिलिम्स के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने हेतु योजनाएँ और कार्यक्रम।

मेन्स के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ, नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु भारत की पहलें और संबंधित चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार सौर शुल्कों के लिये जल्द ही नियम प्रस्तुत करेगी और साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद को बढ़ावा देने हेतु मौजूदा ‘थर्मल पावर खरीद समझौतों’ (PPAs) में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

  • केंद्र सरकार वर्ष 2030 तक स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता को 500 GW (गीगावाट) तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
  • ‘बिजली खरीद समझौता’ (PPA) दो पक्षों के बीच एक विशिष्ट अनुबंध है, जिसमें बिजली उत्पन्न करने वाली कंपनियाँ और बिजली वितरण कंपनियाँ (डिस्कॉम) शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु 

संबंधित मुद्दा: 

  • सौर पैनलों की गिरती कीमत एवं कम वित्तपोषण लागत के कारण दिसंबर 2020 में सौर टैरिफ पिछले एक दशक में लगातार गिरकर 2 रुपए प्रति यूनिट (1 यूनिट = 1 kWh) से कम हो गए हैं। 
  • कम सौर टैरिफ की प्रवृत्ति ने कई कंपनियों को लंबी अवधि की बिजली खरीद समझौतों में प्रवेश करने के बजाय टैरिफ में और गिरावट का इंतज़ार करने हेतु प्रेरित किया है।

इस कदम का महत्त्व:

  • शुल्कों को पूल करने का यह कदम भविष्य में कम सौर शुल्कों से संबंधित डिस्कॉम की चिंताओं को दूर करके सौर ऊर्जा की खरीद में तेज़ी लाने में मदद कर सकता है।
  • अगले 4-5 वर्षों में जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली के साथ लगभग 10,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली को संलग्न करने के सरकार के कदम से कुछ डिस्कॉम कंपनियों के लिये बिजली खरीद की कुल लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
    • कई पुरानी ताप विद्युत परियोजनाएँ उच्च परिवर्तनीय लागतों के कारण अव्यावहारिक बनी हुई हैं और मौजूदा ‘बिजली खरीद समझौते’ के तहत डिस्कॉम को निश्चित लागत का भुगतान करने के लिये मज़बूर किया जाता है।
    • केंद्र ने नवंबर 2021 में दिशा-निर्देश जारी किये थे, जो थर्मल उत्पादन कंपनियों को कोयला आधारित बिजली हेतु मौजूदा बिजली खरीद समझौतों (PPAs) के तहत अपनी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से ग्राहकों को बिजली की आपूर्ति करने की अनुमति देता है, जिसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से प्राप्त लाभ को बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों के बीच 50:50 के अनुपात में विभाजित किया जाएगा।

भारत में सौर ऊर्जा क्षेत्र की वर्तमान स्थिति:

  • परिचय:
    • 30 नवंबर, 2021 तक देश की स्थापित अक्षय ऊर्जा (RE) क्षमता 150.54 गीगावाट (सौर: 48.55 गीगावाट, पवन: 40.03 गीगावाट, लघु जलविद्युत: 4.83 गीगावाट, जैव-शक्ति: 10.62 गीगावाट, हाइड्रो: 46.51 गीगावाट) है, जबकि इसकी परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6.78 गीगावाट है।
    • भारत के पास विश्व की चौथी सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता है।
    • यह कुल गैर-जीवाश्म आधारित स्थापित ऊर्जा क्षमता को 157.32 गीगावाट तक लाता है जो कि 392.01 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली क्षमता का 40.1% है।
  • बजट 2022-23 में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा:
    • परिचय:
      • वर्ष 2030 तक 280 गीगावाट स्थापित सौर क्षमता के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (Production-Linked Incentive-PLI) योजना हेतु 19,500 करोड़ रूपए का अतिरिक्त आवंटन किया जाएगा।
    • मुद्दे:
      • वर्ष 2022-23 के लिये केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के बजट अनुमान से पता चलता है कि भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) में निवेश 1,800 करोड़ रुपए से घटकर लगभग 1,000 करोड़ रुपए हो गया है।
        • SECI सौर ऊर्जा पर कार्य करने वाला केंद्र सरकार का एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो वर्तमान में संपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिये ज़िम्मेदार है।
      • वर्षों से भारत में सौर फोटोवोल्टिक (PhotoVoltaic) मॉड्यूल के निर्माण के साथ गुणवत्ता की कमी एक प्राथमिक मुद्दा रहा है।
        • इसे पॉलीसिलिकॉन (Polysilicon) से सौर पीवी मॉड्यूल तक पूरी तरह से एकीकृत विनिर्माण इकाइयों के तकनीकी पहलुओं से संबंधित अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाकर पूरा किया जा सकता है।
        • हालाँकि ऐसे अनुसंधान एवं विकास के लिये किसी अलग आवंटन की घोषणा नहीं की गई है।
  • संबंधित पहलें:

आगे की राह 

  • सही क्षेत्रों की पहचान करना: अक्षय संसाधनों, विशेष रूप से पवन ऊर्जा क्षमता  प्राप्त करना हर जगह सम्भव नहीं है, उन्हें विशिष्ट स्थान की आवश्यकता होती है।
    • इन विशिष्ट स्थानों की पहचान करना उन्हें मुख्य ग्रिड के साथ एकीकृत करना और विद्युत का वितरण, इन तीनों का संयोजन ही भारत की उन्नति सुनिश्चित करेगा।
  • अन्वेषण: अधिक ऊर्जा का संग्रहण हेतु समाधान तलाशने की आवश्यकता है।
  • कृषि सब्सिडी: कृषि सब्सिडी में सुधार किया जाना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल आवश्यक मात्रा में ही ऊर्जा की खपत हो।
  • हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन: जब ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की ओर बढ़ने की बात आती है तो हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन सबसे उपयुक्त विकल्प होते हैं, जिन पर हमें कार्य करने की आवश्यकता होती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस