इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन | 02 May 2022

प्रिलिम्स के लिये:

अर्द्धचालक और उनसे जुड़ी योजनाएँ 

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था में अर्द्धचालक उपकरणों का महत्त्व, इलेक्ट्रॉनिक और सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने की आवश्यकता, भारत को आत्मनिर्भर बनाने में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की भूमिका।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बंगलूरू में ‘इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन’ (ISM) के तहत पहले सेमीकॉन इंडिया, 2022 सम्मेलन का उद्घाटन किया। 

  • यह पीएम के भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स, विनिर्माण और सेमीकंडक्टर उद्योग का वैश्विक हब बनाने के विज़न को पूरा करने में एक बड़े कदम के रूप में काम करेगा। 
  • सम्मेलन का विषय: भारत के अर्द्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करना। 

अर्द्धचालक: 

  • एक कंडक्टर (Conductor) और इन्सुलेटर (Insulator) के बीच विद्युत चालकता में मध्यवर्ती क्रिस्टलीय ठोस का कोई भी वर्ग।
  • अर्द्धचालकों का उपयोग डायोड, ट्रांज़िस्टर और एकीकृत सर्किट सहित विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है। इस तरह के उपकरणों को उनकी कॉम्पैक्टनेस, विश्वसनीयता, बिजली दक्षता एवं कम लागत के कारण व्यापकरूप से प्रयोग में लाया जाता है। 
  • अलग-अलग घटकों के रूप में इनका उपयोग सॉलिड-स्टेट-लेज़र सहित बिजली उपकरणों, ऑप्टिकल सेंसर तथा प्रकाश उत्सर्जक में किया जाता है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन: 

  • परिचय: 
    • ISM को वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तत्त्वावधान में कुल 76,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
    • यह देश में स्थायी अर्द्धचालक और प्रदर्शन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिये व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य अर्द्धचालक, डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग और डिज़ाइन इकोसिस्टम में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • अर्द्धचालक और डिस्प्ले उद्योग में वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में आईएसएम योजनाओं के कुशल, सुसंगत एवं सुचारू कार्यान्वयन के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा। 
  • घटक: 
    • भारत में सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने के लिये योजना:
      • यह सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जिसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर वफर फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना हेतु बड़े निवेश को आकर्षित करना है।
    • भारत में डिस्प्ले फैब स्थापित करने के लिये योजना:
      • यह डिस्प्ले फैब की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य देश में टीएफटी एलसीडी/AMOLED आधारित डिस्प्ले फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना के लिए बड़े निवेश को आकर्षित करना है।
    • भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब और सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग एवं पैकेजिंग (एटीएमपी)/ओएसएटी सुविधाओं की स्थापना के लिये योजना: 
      • यह योजना भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स (एसआईपीएच)/सेंसर (एमईएमएस सहित) फैब और सेमीकंडक्टर एटीएमपी/ओएसएटी (आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट) सुविधाओं की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को पूंजीगत व्यय के 30% की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। .
    • डिज़ाइन लिंक्ड प्रोत्साहन (DLI) योजना:
      • यह इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी), चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स (एसओसी), सिस्टम और आईपी कोर तथा सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिज़ाइन के विकास और तैनाती के विभिन्न चरणों में बुनियादी ढाँचा व वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करता है।
  • दृष्टिकोण:
    • भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और डिजाइन के लिये वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने हेतु व्यवसायिक अर्द्धचालक (Vibrant Semiconductor), प्रदर्शन डिज़ाइन तथा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने की आवश्यकता है।
  • महत्व: 
    • ISM अर्द्धचालक और प्रदर्शन उद्योग को संरचित, केंद्रित व व्यापक तरीके से बढ़ावा देने के प्रयासों को व्यवस्थित करने हेतु काफी महत्त्वपूर्ण है।
    • यह देश में सेमीकंडक्टर्स, डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज़ और सेमीकंडक्टर डिज़ाइन इकोसिस्टम विकसित करने हेतु व्यापक दीर्घकालिक रणनीति तैयार करेगा।
    • यह विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक्स को सुरक्षित अर्द्धचालकों और प्रदर्शन आपूर्ति शृंखलाओं के माध्यम से अपनाने की सुविधा प्रदान करेगा जिसमें कच्चे माल, विशेष रसायन, गैस एवं विनिर्माण उपकरण भी शामिल होंगे।
    • यह प्रारंभिक चरण के स्टार्टअप हेतु इलेक्ट्रॉनिक डिज़ाइन ऑटोमेशन (EDA) उपकरण, फाउंड्री सेवाओं और अन्य उपयुक्त तंत्र के रूप में अपेक्षित सहयोग प्रदान करके भारतीय अर्द्धचालक डिज़ाइन उद्योग के बहुमुखी विकास को सक्षम बनाएगा। 
    • यह स्वदेशी बौद्धिक संपदा (IP) उत्पादन को बढ़ावा देने एवं सुविधा प्रदान करने के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT) को सक्षम और प्रोत्साहित करेगा।
    • ISM सहयोगी अनुसंधान, व्यावसायीकरण और कौशल विकास को उत्प्रेरित करने के लिये राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, उद्योगों और संस्थानों के साथ सहयोग तथा साझेदारी कार्यक्रमों को बढ़ावा देगा। 

अर्द्धचालक उद्योग को बढ़ावा देने की आवश्यकता:

  • अर्द्धचालचालक वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख घटक है। 
  • आज तकनीक की दुनिया में जब लगभग सबकुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के इर्द-गिर्द घूमता है, ऐसे समय में इन माइक्रोचिप्स (microchips) के महत्त्व को कम नहीं आँका जा सकता है। ये इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) के रूप में भी जाने जाते हैं, ये चिप मुख्य रूप से सिलिकॉन और जर्मेनियम से बने होते हैं।
  • इस चिप के बिना स्मार्टफोन, रेडियो, टीवी, लैपटॉप, कंप्यूटर या यहाँ तक कि उन्नत चिकित्सा उपकरण भी नहीं बन सकते हैं।
  • इनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाने के लिये किया जाता है। साथ ही ई-वाहनों के आने से अर्द्धचालकों की मांग में भारी उछाल आने की उम्मीद है।
  • कोविड-19 महामारी ने दिखा दिया है कि इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों  की मांग समय के साथ बढ़ती जाएगी।
  • परिणामस्वरूप यह एक आकर्षक उद्योग प्रतीत होता है।
    • भारत में अर्द्धचालकों की खपत वर्ष 2026 तक 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2030 तक 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार करने की उम्मीद है।
  • दुनिया में कुछ ही देश हैं जो इस चिप का निर्माण करते हैं।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान और नीदरलैंड इसके अग्रणी निर्माता और निर्यातक हैं। 
    • जर्मनी भी इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का एक उभरता हुआ उत्पादक है।
  • अतः भारत को भी इस अवसर का ज़्यादा से ज़्यादा लाभ उठाना चाहिये।

अर्द्धचालकों से संबंधित पहलें:

  • सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी (SCL): 
    • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी (SCL) के आधुनिकीकरण तथा व्यवसायीकरण हेतु आवश्यक कदम उठाएगा।
  • कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स:
    • सरकार योजना के तहत स्वीकृत इकाइयों को पूंजीगत व्यय की 30 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन राशि:

आगे की राह

  • सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की नींव हैं जो उद्योग 4.0 के तहत डिजिटल परिवर्तन के अगले चरण का संचालन कर रहे हैं।
  • भारत के सार्वजनिक उपक्रम जैसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड या हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का उपयोग एक वैश्विक प्रमुख की मदद से सेमीकंडक्टर फैब फाउंड्री स्थापित करने के लिये किया जा सकता है।
  • भारत को स्वदेशी सेमीकंडक्टर्स के लक्ष्य को छोड़ने की ज़रूरत है। इसके बजाय, इसका लक्ष्य एक विश्वसनीय, बहुपक्षीय अर्द्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख अभिकर्त्ता बनने का होना चाहिये।
    • बहुपक्षीय अर्द्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये अनुकूल व्यापार नीतियाँ महत्त्वपूर्ण हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.