कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग द्वारा भारत के कदन्न मानकों को मान्यता | 23 Jul 2025
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
भारत द्वारा संपूर्ण कदन्न (मिलेट्स) या मोटे अनाजों के लिये समूह मानक विकसित करने में निभाई गई अग्रणी भूमिका की सराहना कोडेक्स एलेमेंटेरियस आयोग (CAC) की 88वीं कार्यकारी समिति की बैठक 2025 के दौरान की गई, जो इटली के रोम स्थित खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) मुख्यालय में आयोजित की गई थी।
कोडेक्स एलेमेंटेरियस आयोग (CAC) क्या है?
- परिचय: CAC एक अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक संस्था है, जिसे वर्ष 1963 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा संयुक्त रूप से उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा करने तथा खाद्य व्यापार में निष्पक्ष प्रथाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
- CAC के 189 सदस्य हैं और भारत वर्ष 1964 में इसका सदस्य बना।
- कोडेक्स एलेमेंटेरियस: कोडेक्स एलेमेंटेरियस या ‘फूड कोड’ मानकों, दिशानिर्देशों और व्यवहार संहिता का एक संग्रह है, जिसे CAC द्वारा अपनाया गया है।
- यह सभी प्रमुख खाद्य पदार्थों (प्रसंस्कृत, अर्द्ध-प्रसंस्कृत या कच्चे) के लिये मानक निर्धारित करता है तथा स्वच्छता, योजक, अवशेष, संदूषक, लेबलिंग और निरीक्षण जैसे क्षेत्रों को शामिल करता है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के तहत स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपायों के आवेदन पर समझौते के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा से संबंधित व्यापार विवादों के समाधान में कोडेक्स मानक मार्गदर्शक भूमिका निभाते हैं।
- भारत और CAC: भारत ने कोडेक्स स्ट्रैटेजिक प्लान 2026–2031 पर चर्चाओं में सक्रिय भागीदारी निभाई और SMART (विशिष्ट, मापन योग्य, प्राप्त करने योग्य, प्रासंगिक, समयबद्ध) प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का समर्थन किया।
- वर्ष 2014 से, भारत मसालों और पाककला जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति की अध्यक्षता कर रहा है तथा कदन्न, ताज़े खजूर के लिये वैश्विक मानकों के विकास का नेतृत्व कर रहा है। भारत ताज़ी हल्दी और ब्रोकली के लिये मानक विकसित करने हेतु नए कार्य प्रस्तावों में सह-अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करेगा। इसने क्षमता निर्माण के लिये कोडेक्स ट्रस्ट फंड के उपयोग को भी बढ़ावा दिया है।
कदन्न क्या हैं और भारत इन्हें बढ़ावा देने में कैसे अग्रणी है?
- कदन्न (Millets): कदन्न, जिन्हें ‘श्री अन्न’ के नाम से भी जाना जाता है, छोटे अनाज वाली खाद्यान्न फसलें हैं जो मुख्यतः खरीफ फसल के रूप में उगाई जाती हैं और पोएसी (घास) से संबंधित होती हैं।
- महत्त्व: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष या पोषक अनाज वर्ष (IYM) घोषित किया।
- कदन्न गेहूँ और चावल की तुलना में अधिक पौष्टिक होते हैं। इनमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। वे ग्लूटेन-फ्री हैं और उनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है, जो सीलिएक और मधुमेह रोगियों के लिये उपयुक्त है।
- कदन्न कम जल में भी अच्छी पैदावार देते हैं और अनुत्पादक मृदा में भी उग सकते हैं। इसलिये, ये संधारणीय कृषि के लिये आदर्श फसलें मानी जाती हैं।
- कदन्न पर भारत के मानक: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 15 प्रकार के कदन्न या मिल्लेट्स के लिये समूह मानक तैयार किये हैं, जिसमें 8 गुणवत्ता पैरामीटर निर्दिष्ट किये गए हैं, अर्थात नमी की मात्रा, यूरिक एसिड की मात्रा, बाहरी पदार्थ, अन्य खाद्य अनाज, दोष, घुन लगे अनाज, अपरिपक्व अनाज और सिकुड़े हुए अनाज की अधिकतम सीमा।
- ये मानक वैश्विक मानकों के विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण आधार तैयार करते हैं।
- भारत की बाजरा उत्पादन में स्थिति: भारत विश्व का सबसे बड़ा कदन्न उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 38.4% योगदान देता है। (स्रोत: FAO, 2023)
- भारत में ज्वार, बाजरा, रागी और फॉक्सटेल, बार्नयार्ड, कोदो और प्रोसो मिल्लेट्स सहित कई प्रकार के कदन्न उगाए जाते हैं।
- वित्त वर्ष 2024 में कदन्न की खेती का कुल क्षेत्रफल 12.19 मिलियन हेक्टेयर था, जिससे 15.38 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन हुआ।
- क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में राजस्थान सबसे आगे है, उसके बाद उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र का स्थान है।
- निर्यात: भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में 1.46 लाख मीट्रिक टन बाजरा का निर्यात किया, जिससे 70.89 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आय हुई। प्रमुख निर्यात गंतव्य देशों में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, अमेरिका, जापान और नेपाल शामिल हैं।
- कदन्न को बढ़ावा देने के लिये भारत की पहल:
- कदन्न-आधारित उत्पादों के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLISMBP) (2022–2027): PLISMBP उन कंपनियों को प्रोत्साहन देती है जो ≥15% कदन्न सामग्री वाले रेडी-टू-ईट/रेडी-टू-कुक उत्पाद बनाती हैं।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के अंतर्गत पोषण अनाज (कदन्न) पर उप-कार्य मिशन: यह योजना 28 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करती है और इसमें प्रमुख, लघु तथा छद्म कदन्न (जैसे कि कुट्टू और रामदाना) को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- यह किसानों को बीज उत्पादन, बेहतर कृषि तकनीकों, उपकरणों और जागरूकता प्रशिक्षण के लिये प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- पोषण और सार्वजनिक वितरण: कदन्न को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS), समेकित बाल विकास सेवा (ICDS), मिड-डे मील योजना और पोषण अभियान में शामिल किया गया है।
- FSSAI का 'ईट राइट' अभियान: संतुलित आहार के एक भाग के रूप में कदन्न को बढ़ावा देता है।
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): RKVY के तहत राज्यों को स्थानीय प्राथमिकताओं के आधार पर कदन्न को बढ़ावा देने की छूट है।
- असम, बिहार, ओडिशा, कर्नाटक और अन्य राज्यों ने भी अपने-अपने कदन्न आधारित मिशन शुरू किये हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: कदन्न और मिल्लेट्स को बढ़ावा देने के भारत के प्रयास घरेलू उत्पादन से आगे बढ़कर वैश्विक मानक स्थापित करने तक भी हैं। चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स:प्रश्न. 'गहन कदन्न संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल (Initiative for Nutritional Security through Intensive Millets Promotion)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. “भारत में स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में बाजरा की भूमिका की व्याख्या कीजिये।” (2024) |