विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत की अपील | 12 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

डब्ल्यूटीओ, गन्ना, सब्सिडी और काउंटरवेलिंग उपायों पर डब्ल्यूटीओ का समझौता, कृषि पर डब्ल्यूटीओ का समझौता, व्यापार और टैरिफ पर सामान्य समझौता।

मेन्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन और इसकी भूमिका, विश्व व्यापार संगठन में चीनी सब्सिडी का मुद्दा, चीनी उद्योग में सब्सिडी का महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत ने विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation's- WTO) के व्यापार विवाद निपटान पैनल के एक निर्णय के खिलाफ अपील की है निर्णय दिया गया, जिसमें कहा गया कि चीनी और गन्ने के लिये देश के घरेलू समर्थन उपाय वैश्विक व्यापार मानदंडों के अनुसार नहीं है।

  • इससे पूर्व विश्व व्यापार संगठन द्वारा चीन को 'विकासशील देश' का दर्ज़ा दिया गया था, WTO के इस निर्णय पर कई देशों द्वारा चिंता व्यक्त करते हुए आपति दर्ज की गई, साथ ही यह एक विवादास्पद मुद्दा बन गया था।

प्रमुख बिंदु 

  • भारत की अपील:
    • भारत द्वारा विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय निकाय में अपील दायर की गई थी, जो इस प्रकार के व्यापार विवादों पर अंतिम प्राधिकरण है।
    • पैनल की रिपोर्ट में निहित कुछ "कानून की त्रुटियों या कानूनी व्याख्या के संबंध में भारत ने अपील की है एवं निकाय से "पैनल के निष्कर्षों, निर्णयों और सिफारिशों को उलटने, संशोधित करने या विवादास्पद एवं बिना किसी कानूनी प्रभाव के" घोषित करने का अनुरोध किया है।
    • भारत ने पैनल के निष्कर्षों की समीक्षा की मांग की है कि चीनी मिलों को विपणन लागत पर खर्च के लिये सहायता प्रदान करने की योजना, जिसमें हैंडलिंग, उन्नयन और अन्य प्रसंस्करण लागत तथा अंतर्राष्ट्रीय एवं आंतरिक परिवहन की लागत व अधिकतम स्वीकार्य निर्यात मात्रा योजना (Maximum Admissible Export Quantity- MAEQ) की शर्तों के संदर्भ में वर्ष 2019-20 के लिये चीनी के निर्यात पर माल ढुलाई शुल्क शामिल हैं।
  • भारत के खिलाफ शिकायत:
    • ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील और ग्वाटेमाला का मानना है कि भारत के घरेलू समर्थन और निर्यात सब्सिडी के उपाय कृषि पर डब्ल्यूटीओ के समझौते और सब्सिडी एवं काउंटरवेलिंग मानकों (Agreement on Subsidies and Countervailing Measures-SCM) पर समझौते व प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on Trade and Tariffs-GATT) के अनुच्छेद XVI के विभिन्न प्रावधानों के साथ असंगत प्रतीत होते हैं।
    • तीनों देशों ने शिकायत की है कि भारत गन्ना उत्पादकों को घरेलू समर्थन प्रदान करता है जो गन्ना उत्पादन के कुल मूल्य के 10% के न्यूनतम स्तर से अधिक है तथा कृषि पर हुए समझौते के असंगत था।
    • उन्होंने भारत की कथित निर्यात सब्सिडी, उत्पादन सहायता और बफर स्टॉक योजनाओं और विपणन एवं परिवहन योजना के तहत सब्सिडी का मुद्दा भी उठाया।
    • ऑस्ट्रेलिया ने भारत पर वर्ष 1995-96 के बाद गन्ने और चीनी के लिये अपने वार्षिक घरेलू समर्थन तथा वर्ष 2009-10 के बाद से अपनी निर्यात सब्सिडी को अधिसूचित करने में "विफल" होने का आरोप लगाया, जो कि एससीएम (SCM) समझौते के प्रावधानों के साथ असंगत था।
    • मामले को देखने और अपनी रिपोर्ट की जाँच के लिये डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय (Dispute Settlement Body -DSB) द्वारा एक पैनल का गठन किया गया था।

सब्सिडी और काउंटरवेलिंग उपायों पर विश्व व्यापार संगठन का समझौता

  • एससीएम पर डब्ल्यूटीओ समझौता सब्सिडी के उपयोग को अनुशासित करता है और यह उन कार्यों को नियंत्रित करता है जो देश सब्सिडी के प्रभावों का मुकाबला करने के लिये कर सकते हैं।
  • समझौते के तहत कोई देश डब्ल्यूटीओ की विवाद-निपटान प्रक्रिया का उपयोग सब्सिडी को वापस लेने या इसके प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिये कर सकता है या देश अपनी जाँच शुरू कर सकता है तथा अंततः सब्सिडी वाले आयातों पर अतिरिक्त शुल्क ("काउंटरवेलिंग ड्यूटी") लगा सकता है जो कि घरेलू उत्पादकों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

कृषि पर विश्व व्यापार संगठन का समझौता

  • इसका उद्देश्य व्यापार बाधाओं को दूर करना और पारदर्शी बाज़ार पहुँच तथा वैश्विक बाज़ारों के एकीकरण को बढ़ावा देना है।
  • विश्व व्यापार संगठन की कृषि समिति, समझौते के कार्यान्वयन की देखरेख करती है और सदस्यों को संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिये एक मंच प्रदान करती है।

शुल्क तथा व्यापार पर सामान्य समझौता

  • GATT की उत्पत्ति वर्ष 1944 के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में हुई, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की वित्तीय प्रणाली की नींव रखी और दो प्रमुख संस्थानों अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक की स्थापना की।
  • वर्ष 1947 में जिनेवा में 23 देशों द्वारा हस्ताक्षरित GATT के रूप में एक समझौता 1 जनवरी, 1948 को निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ लागू हुआ:
    • आयात कोटा के उपयोग को समाप्त करना।
    • वाणिज्यिक वस्तुओं के व्यापार पर शुल्क को कम करने करना। 
  • GATT 1948 से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को संचालित करने वाला एकमात्र बहुपक्षीय साधन (संस्था नहीं) बन गया जब तक कि वर्ष 1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना नहीं हुई।
    • GATT 1947 को समाप्त कर दिया गया और WTO ने GATT 1994 के रूप में इसके प्रावधानों को संरक्षित रखा तथा माल का व्यापार संचालन जारी रखा।
    • उरुग्वे राउंड वर्ष 1987 से वर्ष 1994 तक आयोजित किया गया था जिसके परिणामस्वरूप मारकेश समझौता हुआ, इसने विश्व व्यापार संगठन की स्थापना की।
  • भारत का रुख:
    • भारत ने कहा कि "शिकायतकर्त्ता यह दिखाने में विफल रहे हैं” कि गन्ने और इसकी विभिन्न योजनाओं के लिये भारत का बाज़ार मूल्य समर्थन कृषि पर समझौते का उल्लंघन करता है।
    • इसने यह भी तर्क दिया कि ‘आपूर्ति शृंखला प्रबंधन समझौते के अनुच्छेद 3 की आवश्यकताएँ अभी तक भारत पर लागू नहीं हैं और भारत में आपूर्ति शृंखला प्रबंधन समझौते के अनुच्छेद 27 के अनुसार निर्यात सब्सिडी, यदि कोई हो, को समाप्त करने के लिये 8 वर्ष की चरणबद्ध अवधि है।
  • पैनल के निष्कर्ष:
    • विवाद निपटान पैनल ने चीनी क्षेत्र में भारत के घरेलू समर्थन और निर्यात सब्सिडी उपायों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन माना है।
    • पैनल ने पाया कि वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 तक लगातार पाँच चीनी मौसमों के लिये भारत ने गन्ना उत्पादकों को गन्ना उत्पादन के कुल मूल्य के 10% के अनुमत स्तर से अधिक गैर-छूट उत्पाद-विशिष्ट घरेलू समर्थन प्रदान किया।
      • भारत ने तर्क दिया कि इसकी "अनिवार्य न्यूनतम कीमतों का भुगतान केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा नहीं बल्कि चीनी मिलों द्वारा किया जाता है इसलिये यह बाज़ार मूल्य समर्थन का गठन नहीं करता है", हालाँकि पैनल ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि ‘बाज़ार मूल्य समर्थन के लिये सरकारों को खरीदारी करने की आवश्यकता नहीं होती।’
  • पैनल की सिफारिशें:
    • भारत को अपने विश्व व्यापार संगठन के नियमों असंगत उपायों को कृषि समझौते और SCM समझौते के तहत अपने दायित्वों के अनुरूप लाना चाहिये।
    • भारत को 120 दिनों के भीतर उत्पादन सहायता, बफर स्टॉक और विपणन एवं परिवहन योजनाओं के तहत अपनी कथित सब्सिडी वापस लेनी चाहिये।

विश्व व्यापार संगठन में विवाद निवारण:

  • विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार, विश्व व्यापार संगठन के सदस्य जिनेवा स्थित बहुपक्षीय निकाय में मामला दर्ज कर सकते हैं, यदि उन्हें लगता है कि किसी सदस्य देश का कोई विशेष व्यापार उपाय या नीति विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों के खिलाफ है।
  • किसी विवाद को सुलझाने के लिये द्विपक्षीय परामर्श पहला कदम है। यदि दोनों पक्ष परामर्श के माध्यम से मामले को हल करने में सक्षम नहीं हैं, तो एक विवाद निपटान पैनल की स्थापना की जा सकती है।
  • पैनल के फैसले या रिपोर्ट को विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय निकाय में चुनौती दी जा सकती है।
    • दिलचस्प बात यह है कि इस निकाय में सदस्यों की नियुक्ति के लिये सदस्य देशों के बीच मतभेदों के कारण विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय काम नहीं कर पा रहा है। अपीलीय निकाय के पास पहले से ही 20 से अधिक विवाद लंबित हैं। अमेरिका सदस्यों की नियुक्ति पर रोक लगाता रहा है।

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड