हटिंगटन रोग | 02 Jan 2024

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में हंगरी में ‘सेज्ड विश्वविद्यालय’ (University of Szeged) के शोधकर्त्ताओं ने मॉडल जीव के रूप में फल मक्खियों (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) का उपयोग करके हंटिंगटन की बीमारी के बारे में जानकारी का खुलासा किया जो वैज्ञानिक रिपोर्ट (साइंटिफिक रिपोर्ट्स) में प्रकाशित हुआ था।

  • इस नवोन्मेषी दृष्टिकोण ने रोग की प्रगति और संभावित चिकित्सीय लक्ष्यों के बारे में आशाजनक खुलासे  किये हैं।

हंटिंगटन रोग क्या है?

  • परिचय:
    • हंटिंगटन रोग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है।
    • यह HTT जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है, जो दोषपूर्ण हंटिंगटिन (huntingtin- HTT) प्रोटीन का उत्पादन करता है।
      • उत्परिवर्ती हंटिंगटिन (huntingtin-HTT) प्रोटीन विषाक्त टुकड़ों में विभाजित हो जाते हैं, जिससे विभिन्न सेलुलर प्रक्रियाएँ बाधित होती हैं।
  • HTT जीन और पॉलीग्लूटामाइन ट्रैक्ट:
    • हंटिंगटन प्रोटीन, जो तंत्रिका कोशिका कार्य के लिये आवश्यक है, HTT जीन द्वारा एन्कोड किया गया है।
      • HTT जीन में उत्परिवर्तन के परिणामस्वरूप HTT प्रोटीन में पॉलीग्लुटामाइन तंत्र (polyglutamine tract) का विस्तार होता है, जिससे मिसफॉल्डिंग और शिथिलता (dysfunction) उत्पन्न होती है।
      • हंटिंगटन रोग की गंभीरता विस्तारित पॉलीग्लुटामाइन तंत्र की लंबाई से संबंधित है।
    • हनटिंग्टन रोग एक प्रभावी विशेषक (Autosomal Dominant) माध्यम से आनुवंशिक रूप से जनित होती है, जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को इससे संक्रमित होने के लिये माता-पिता से उत्परिवर्तित जीन की केवल एक प्रति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
      • हंटिंगटन रोग से पीड़ित माता-पिता के प्रत्येक बच्चे में इसके संक्रमण फैलने की संभावना 50% होती है।
  • लक्षण:
    • शुरुआती लक्षणों में भूलने की बीमारी, संतुलन खोना तथा दैनिक कार्यों को करने में अक्षमता शामिल हैं।
    • ये लक्षण समय के साथ गंभीर हो जाते हैं तथा मनुष्य की प्रवृत्ति एवं तार्किक क्षमता को प्रभावित करते हैं और अनियंत्रित गतिविधियों का कारण बनते हैं। संक्रमण बढ़ने पर मरीज़ों को बोलने, निगलने व चलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
    • ये लक्षण आमतौर पर 30-50 की आयु के बीच जनित होते हैं।
  • उपचार:
    • हंटिंगटन रोग का वर्तमान में कोई स्थाई उपचार नहीं है तथा मौजूदा उपचार मात्र लक्षणों को कम करते हैं।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • वैज्ञानिकों ने उत्परिवर्तित मानव HTT जीन के पॉलीग्लूटामाइन पथ को व्यक्त करने के लिये फल मक्खियों/ फ्रूट फ्लाइज़ के तंत्रिका तंत्र को संशोधित किया।
  • उन्होंने बेकर यीस्ट (सैकरोमाइसीज़ सैरीवीसी) से Gal4 नामक जीन का उपयोग किया, जो अपस्ट्रीम एक्टिवेटिंग सीक्वेंस (UAS) नामक DNA अनुक्रमण से संलग्न होने पर जीन की अभिव्यक्ति को सक्रिय करता है।
  • Gal4/UAS प्रणाली फ्रूट फ्लाई के जीनोम में कार्य करती है, जो विशेष रूप से न्यूरॉन्स में प्रोटीन की अभिव्यक्ति की अनुमति देती है।
  • उत्परिवर्तित HTT जीन के साथ फल मक्खियों (फ्रूट फ्लाइज़) में न्यूरोनल अध: पतन, क्षीण आरोहण क्षमता (Impaired Climbing Ability), कम व्यवहार्यता और दीर्घायु दर्ज की गईं।
  • HTT प्रोटीन में ग्लूटामाइन इकाइयों की सामान्य श्रेणी के साथ फल मक्खियों के एक ‘नियंत्रित समूह’ ने बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं दिखाया
  • अध्ययन में पाया गया कि लंबे ग्लूटामाइन ट्रैक्ट को व्यक्त करने से मनुष्यों में हंटिंगटन रोग जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं, जबकि छोटे ट्रैक्ट में ऐसा नहीं होता है।
  • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि मक्खियों में Yod1 जीन नामक एक जीन (मक्खियों में जाँचे गए 32 जीनों में से एक) की अत्यधिक अभिव्यक्ति ने न्यूरोडीजेनेरेशन और प्रेरक तंत्र-कोशिका हानि सहित हंटिंगटन रोग से जुड़े रोग जैसे प्रभावों को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया।