मानवाधिकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग | 17 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

मेन्स के लिये

मानवाधिकारों के संरक्षण में NHRC की भूमिका

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) ने केंद्र सरकार से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक एडवाइज़री जारी करने को कहा है ताकि आम जनता के मानवाधिकारों का उल्लंघन किये बिना देशव्यापी लॉकडाउन को सही ढंग से लागू किया जा सके।

प्रमुख बिंदु

  • इससे पूर्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गृह मंत्रालय से कोरोनोवायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिये लागू किये लॉकडाउन के दौरान मानसिक रूप से बीमार लोगों की चिंताओं को संबोधित करने को भी कहा था।
    • ध्यातव्य है कि लॉकडाउन दिशा-निर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये तनाव और दबाव का सामना कर रहे लोकसेवक कभी-कभी आम लोगों विशेष रूप से बीमार और गरीब मज़दूरों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं जिसके कारण उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है।
  • एडवाइज़री के माध्यम से NHRC यह सुनिश्चित करना चाहता है कि लोक सेवक, विशेष रूप से पुलिसकर्मी आम लोगों के साथ सही ढंग से व्यवहार करें और उनके जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा से संबंधित मानवाधिकारों का सम्मान करें।
  • NHRC के अनुसार, गृह मंत्रालय को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आवश्यक निर्देश जारी करने चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले किसी भी मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल और वायरस से उनकी सुरक्षा के लिये आवश्यक सावधानियों के लिये उचित परामर्श प्रदान किया सके तथा वे भोजन, आश्रय और चिकित्सा देखभाल आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित न रह जाएँ।

मानवाधिकार और NHRC की भूमिका

  • मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं। ध्यातव्य है कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) की परिभाषा के अनुसार मानवधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त हैं।
    • इस प्रकार कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हकदार होता है।
  • भारत में इस अधिकारों की रक्षा का कार्य राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा किया जाता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्तूबर, 1993 को की गई थी।
  • NHRC एक बहु-सदस्यीय संस्था है जिसमें एक अध्यक्ष, चार पूर्ण कालिक सदस्य तथा चार मानद सदस्य होते हैं। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों के आधार पर की जाती है।
    • इसके अतिरिक्त आयोग में पाँच विशिष्ट विभाग (विधि विभाग, जाँच विभाग, नीति अनुसंधान और कार्यक्रम विभाग, प्रशिक्षण विभाग और प्रशासन विभाग) भी होते हैं।

मानवाधिकार और भारतीय संविधान

  • विशेषज्ञों के अनुसार, व्यक्ति के समग्र विकास के लिये मानवाधिकार आवश्यक होते हैं। 
  • भारतीय संविधान में भी भारतीय नागरिकों और विदेशी नागरिकों के लिये मौलिक अधिकारों के रूप में मानवाधिकारों से संबंधित प्रावधान किये गए हैं।
  • 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ भारतीय संविधान अब तक के सबसे विस्तृत मौलिक संविधानों में से एक है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है।
  • भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में मानवाधिकारों जैसे - जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार आदि का उल्लेख किया गया है।

NHRC के कार्य और शक्तियाँ 

  • मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कोई मामला यदि NHRC के संज्ञान में आता है या शिकायत के माध्यम से लाया जाता है तो NHRC को उसकी जाँच करने का अधिकार है।
  • इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
  • आयोग किसी भी जेल का दौरा कर सकता है और जेल में बंद कैदियों की स्थिति का निरीक्षण एवं उसमे सुधार के लिये सुझाव दे सकता है।
  • NHRC संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा मानवाधिकारों को बचाने के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर सकता है और उनमें बदलावों की सिफारिश भी कर सकता है।
  • NHRC मानवाधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य भी करता है।
  • NHRC प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों और अन्य माध्यमों से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच  मानवाधिकारों से जुड़ी जानकारी का प्रचार करता है और लोगों को इन अधिकारों की सुरक्षा के लिये प्राप्त उपायों के प्रति भी जागरूक करता है।
  • NHRC के पास सिविल न्यायालय की शक्तियाँ हैं और यह अंतरिम राहत भी प्रदान कर सकता है।

आगे की राह

  • मौजूदा समय में संपूर्ण विश्व कोरोनावायरस महामारी का सामना कर रहा है, नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, संपूर्ण विश्व में तकरीबन 21 लाख लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और इसके कारण लगभग 147000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
  • हालाँकि यह आवश्यक है कि ऐसी मुसीबत की घड़ी में हम मानवाधिकार जैसे महत्त्वपूर्ण विषय को नज़रअंदाज़ न करें, आवश्यक है कि नीति निर्माता राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आग्रह पर विचार करें और विभिन्न उपायों के माध्यम से मानवाधिकार के उल्लंघन के मुद्दे को संबोधित किया जाए।
  • नेल्सन मंडेला के शब्दों में कहें तो “लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।” 

स्रोत: द हिंदू