समग्र प्रगति कार्ड | 09 Mar 2024

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (NCERT), निष्पादन मूल्यांकन, समीक्षा और समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (NCERT), शैक्षिक सुधारों से संबंधित सरकारी पहल।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने एक नवीन 'समग्र प्रगति कार्ड' (HPC) पेश किया है, जो कक्षाओं में बच्चे की शैक्षणिक प्रदर्शन के अतिरिक्त, पारस्परिक संबंधों, आत्म-निरीक्षण, रचनात्मकता और भावनात्मक अनुप्रयोगों की प्रगति को मापेगा।

नोट: HPCs को निष्पादन मूल्यांकन, समीक्षा और समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण द्वारा तैयार किया गया है, जो NCERT के तहत एक मानक-निर्धारण निकाय है, यह मूलभूत चरण (कक्षा 1 और 2), प्रारंभिक चरण (कक्षा 3 से कक्षा 5) और मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) के लिये है। यह सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है।

समग्र प्रगति कार्ड (HPC) क्या है?

  • परिचय:
    • यह छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिये एक नवीन दृष्टिकोण है जो अंकों अथवा ग्रेड पर पारंपरिक निर्भरता से भिन्न है।
    • इसके बजाय, यह एक व्यापक मूल्यांकन प्रणाली पर आधारित है जो छात्र के विकास और अधिगम के अनुभव के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित है।
  • विशेषताएँ:
    • HPC मॉडल के तहत, छात्र सक्रिय रूप से उन कक्षीय गतिविधियों से जुड़ते हैं जिसमें उन्हें अवधारणाओं की अपनी समझ का प्रदर्शन करते हुए कई कौशल और दक्षताओं को क्रियान्वित करने के लिये निरंतर प्रोत्साहित किया जाता है।
    • कार्य निष्पादित करते समय उन्हें जिस कठिनाई स्तर का सामना करना पड़ता है, मूल्यांकन प्रक्रिया में उस पर भी विचार किया जाता है।
    • शिक्षक सहयोग, रचनात्मकता, सहानुभूति, मनन और तैयारी जैसे विभिन्न आयामों में छात्रों की ताकत तथा कमज़ोरियों का आकलन करने में काफी मदद मिलती है।
    • यह शिक्षकों को उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करता है जहाँ छात्रों को अतिरिक्त सहायता अथवा मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ सकती है।
    • HPC की एक खास बात यह है कि छात्रगण प्रत्यक्ष तौर पर मूल्यांकन प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं।
      • छात्रों को अपने स्वयं के प्रदर्शन के साथ-साथ अपने सहपाठियों के प्रदर्शन का आकलन करने, उनके सीखने के अनुभवों और सीखने के परिवेश में अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
    • इसके अतिरिक्त HPC में माता-पिता को उनके बच्चे के सीखने के विभिन्न पहलुओं के संबंध में उनकी राय मांगकर मूल्यांकन प्रक्रिया में उनका एकीकरण किया जाता है, जिसमें गृहकार्य पूरा करना, कक्षा में भागीदारी और घर पर पाठ्येतर गतिविधियों के साथ मोबाइल के उपयोग का संतुलन शामिल है।
  • आवश्यकता:
    • पठन सामग्री के समरण के अतिरिक्त, HPC छात्रों के बीच विश्लेषण, महत्त्वपूर्ण सोच और वैचारिक स्पष्टता सहित उच्च-स्तरीय कौशल के मूल्यांकन को प्राथमिकता देता है।
    • NEP के निर्देशों के अनुरूप, स्कूल शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा वर्ष 2023 में प्रस्तुत की गई थी, जो साक्ष्य के व्यवस्थित संग्रह के माध्यम से छात्र की प्रगति का आकलन करने की दिशा में परिवर्तन का समर्थन करती है।
      • इसके अतिरिक्त, NCF SE छात्रों को स्वयं की अधिगम प्रक्रिया का अनुवीक्षण करने में सशक्त बनाने के लिये सहकर्मी और स्व-मूल्यांकन विधियों को बढ़ावा देता है।
    • छात्रों की प्रमुख दक्षताओं की व्यापक समझ प्राप्त करने के लिये NCF SE विविध कक्षा मूल्यांकन विधियों, जैसे परियोजना, वाद-विवाद, प्रस्तुति, परीक्षण, अन्वेषण और रोल प्ले को शामिल करने का सुझाव देता है। HPC का अभिकल्पन इन सुझावों के अनुरूप है।

परख क्या है?

  • परिचय:
    • परख/PARAKH का शुभारंभ राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के कार्यान्वयन के भाग के रूप में किया गया था जिसमें एक मानक-निर्धारण निकाय के स्थापना की परिकल्पना की गई जिसका उद्देश्य मूल्यांकन हेतु नए प्रतिरूप और नवीनतम शोध के संबंध में विद्यालय बोर्डों को सलाह देना तथा उनके बीच सहयोग को बढ़ावा देना था।
    • यह NCERT की एक घटक इकाई के रूप में कार्य कारती है।
    • इसे राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (National Achievement Survey- NAS) और राज्य उपलब्धि सर्वेक्षण (State Achievement Survey- SAS) जैसे समय-समय पर लर्निंग आउटकम टेस्ट आयोजित करने का भी कार्य सौंपा गया है।
    • यह प्रमुख रूप से तीन मूल्यांकन क्षेत्रों पर कार्य करता है जिनमें व्यापक मूल्यांकन, स्कूल-आधारित मूल्यांकन तथा परीक्षा सुधार शामिल है।
  • उद्देश्य:
    • समान मानदंड और दिशा-निर्देश: भारत के सभी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्डों के लिये छात्र मूल्यांकन एवं निर्धारण हेतु मानदंड, मानक और दिशा-निर्देश निर्धारित करना।
    • मूल्यांकन पैटर्न में सुधार: यह 21वीं सदी की कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में अपने मूल्यांकन पैटर्न को बदलने के लिये स्कूल बोर्डों को प्रोत्साहित करेगा।
    • मूल्यांकन में असमानता को कम करना: यह राज्य एवं केंद्रीय बोर्डों में एकरूपता लाएगा जो वर्तमान में मूल्यांकन के विभिन्न मानकों का पालन करते हैं, जिससे स्कोर में व्यापक असमानताएँ उत्पन्न होती हैं।
    • बेंचमार्क मूल्यांकन:बेंचमार्क मूल्यांकन ढाँचा रटने पर ज़ोर देने पर रोक लगाने में सहायता प्रदान करेगा, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में परिकल्पना की गई है।

स्कूली शिक्षा हेतु NCF क्या है?

  • परिचय:
    • स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF-SE), NEP 2020 के दृष्टिकोण के आधार पर इसके कार्यान्वयन को सक्षम करने के लिये विकसित की गई है।
    • NCF-SE का सूत्रीकरण NCERT द्वारा किया जाएगा। अग्रिम पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए, NCF-SE दस्तावेज़ को प्रति 5 से 10 वर्ष में एक बार पुनः परीक्षित और अद्यतन किया जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • NCF-SE भारत में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों के साथ ही शिक्षण प्रथाओं को विकसित करने हेतु एक दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करता है।
    • इसके उद्देश्यों में रटने (दोहराकर याद करने) से हटकर सीखने, शिक्षा को वास्तविक जीवन की स्थितियों से जोड़ने, परीक्षाओं को अधिक लचीला बनाने के साथ-साथ पाठ्यपुस्तकों से परे पाठ्यक्रम को समृद्ध बनाना शामिल है।
    • NCF-SE का उद्देश्य सीखने को आनंददायक, बाल-केंद्रित एवं आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना भी है। यह माध्यमिक विद्यालय के छात्रों की काउंसलिंग के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है साथ ही सभी आयु समूहों के लिये अनिवार्य भी है।

भारत में शिक्षा से संबंधित कानूनी एवं संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?

  • कानूनी प्रावधान:
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों के अनुच्छेद 45 के प्रारंभ में यह निर्धारित किया गया था कि सरकार को संविधान के लागू होने के 10 वर्षों के भीतर 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों के लिये निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करनी चाहिये।
    • इसके अलावा, अनुच्छेद 45 में एक संशोधन ने छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा को शामिल करने के लिये इसके दायरे को व्यापक बना दिया।
    • इस लक्ष्य की पूर्ति न होने के कारण 86वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2002 ने अनुच्छेद 21A पेश किया, जिससे प्रारंभिक शिक्षा को निदेशक सिद्धांत के बदले मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया।

शैक्षिक सुधारों से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

Q. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)

  1. राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व
  2. ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय
  3. पंचम अनुसूची
  4. षष्ठ अनुसूची
  5. सप्तम अनुसूची

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 5
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केंवल 1, 2, 3 और 4.
(d) 1, 2, 3; 4: और.5

उत्तर- (d)


मेन्स:

Q1. जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डालिये। (2021)

Q2. भारत में डिजिटल पहल ने किस प्रकार से देश की शिक्षा व्यवस्था के संचालन में योगदान किया है? विस्तृत उत्तर दीजिये। (2020)