ग्रीन इनिशिएटिव: सऊदी अरब | 29 Apr 2021

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सऊदी अरब द्वारा जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने हेतु सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव (Saudi Green Initiative) और मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव (Middle East Green Initiative) की शुरुआत की गई है।

Saudi-Arabia

प्रमुख बिंदु: 

पृष्ठभूमि और G20 शिखर सम्मेलन:

  • सऊदी अरब की अध्यक्षता के दौरान G20 के मुख्य स्तंभों में से एक पृथ्वी की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
    • वर्ष 2020 में G20 ने ग्लोबल कोरल रीफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट एक्सेलेरेटर प्लेटफार्म (Global Coral Reef Research and Development Accelerator Platform) और सर्कुलर कार्बन इकोनॉमी ( Circular Carbon Economy- CCE) प्लेटफाॅॅर्म की स्थापना जैसी पहलें शुरू की हैं।
  • सऊदी अरब ने दोहराया कि वह जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने हेतु क्षेत्रीय प्रयासों का नेतृत्व करने के लिये प्रतिबद्ध है और इस दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है।
    • वर्ष 2019 में सऊदी अरब द्वारा पर्यावरण विशेष बलों की स्थापना की गई है।

 सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव:

  • उद्देश्य:
    • इस पहल का उद्देश्य वनस्पति आवरण को बढ़ाना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना, प्रदूषण और भूमि क्षरण को कम करना और समुद्री जीवन को संरक्षित करना है।
  • विशेषताएँ:
    • पूरे सऊदी में  10 लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य।
    • अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम के माध्यम से वैश्विक उत्सर्जन में 4% से अधिक कार्बन उत्सर्जन को कम करने हेतु वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से सऊदी अरब की 50% ऊर्जा उत्पन्न की जाएगी।
    • सऊदी अरब अपने कुल संरक्षित क्षेत्र को, कुल भूमि क्षेत्र के 30% से अधिक तक करने की दिशा में कार्य कर रहा है, जो 17 प्रतिशत के वैश्विक लक्ष्य से अधिक है।

मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव :

  • उद्देश्य:
    • इस पहल का उद्देश्य समुद्री और तटीय पर्यावरण को संरक्षित करना, प्राकृतिक भंडार और संरक्षित भूमि के अनुपात में वृद्धि, तेल उत्पादन के नियमन में सुधार, स्वच्छ ऊर्जा हेतु नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों द्वारा ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना है।
  • विशेषताएँ:
    • सऊदी अरब खाड़ी सहयोग परिषद के देशों तथा क्षेत्रीय भागीदारों के साथ पश्चिम एशियाई क्षेत्र में  40 लाख अतिरिक्त पेड़ लगाने का कार्य करेगा।
      • यह एक ट्रिलियन पेड़ लगाने के वैश्विक लक्ष्य के 5% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है और इससे कार्बन स्तर में 2.5 प्रतिशत की कमी आएगी।
    • सऊदी अरब  ‘मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव’ नामक एक वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा, जिसमें इस पहल के कार्यान्वयन पर चर्चा करने हेतु सरकार के प्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों आदि को आमंत्रित किया जाएगा।
    • इस पहल में हिस्सा लेने वाले देशों के साथ साझेदारी में उपचारित पानी  से सिंचाई करने, क्लाउड सीडिंग और अन्य उद्देश्य-आधारित समाधानों जैसे-देशज पेड़ लगाने पर ज़ोर दिया जाना, जिन्हें तीन वर्ष तक देखभाल की आवश्यकता होती है उसके बाद वे प्राकृतिक सिंचाई के द्वारा अपने आप जीवित रहने में सक्षम होंगे आदि नवीनतम तरीकों पर शोध किया जाएगा।
  • वर्तमान सहयोग: 
    • सऊदी अरब अपने पड़ोसी देशों के साथ अपनी विशेषज्ञता और जानकारी साझा कर रहा है, ताकि इस क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन उत्पादन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को 60% और वैश्विक स्तर पर 10% तक कम किया जा सके।
      • सऊदी अरब वर्तमान में दुनिया में सबसे बड़ा कार्बन कैप्चर और उपयोग संयंत्र संचालित करता है, वह इस क्षेत्र के सबसे उन्नत CO2 संवर्द्धित तेल उत्पादित संयंत्रों में से एक का संचालन करता है, जो कि प्रतिवर्ष 8,00,000 टन COकैप्चर और स्टोर करता है।

भारतीय प्रयासों की सराहना:

  • सऊदी अरब ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये भारत की उल्लेखनीय प्रतिबद्धताओं की भी सराहना की, क्योंकि भारत अपने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये मार्ग पर है।
  • भारत विश्व में अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता में चौथे स्थान पर है। सरकार ने इस दशक के लिये नवीकरणीय ऊर्जा और विशेष रूप से सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्थापना का लक्ष्य 450 गीगावॉट है।

संबंधित भारतीय पहल:

आगे की राह

  • सऊदी अरब को उम्मीद है कि इन दो पहलों का शुभारंभ पर्यावरण की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण युग की शुरुआत करेगा और यह अन्य देशों को भी पृथ्वी और हमारे पर्यावरण की रक्षा करने संबंधी प्रयासों में एकजुट होने के लिये प्रेरित करेगा।
  • पर्यावरण की कीमत पर आर्थिक समृद्धि हासिल नहीं की जा सकती है। एक औद्योगिक राष्ट्र के तौर पर हमारे लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि हम ‘पहले प्रदूषण और बाद में सफाई’ के रवैये से हटकर लगातार घट रहे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर करें। 
  • पर्यावरण के साथ आर्थिक प्रयासों को संरेखित करने की आकांक्षा केवल सरकार तक सीमित नहीं होनी चाहिये। उद्योग, सरकार और नियामक निकायों के बीच सहयोग से ही आर्थिक व्यवहार्यता और पर्यावरणीय लाभों से संबंधी संतुलित निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।

स्रोत: द हिंदू