ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (GEC) | 07 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर योजना की विशेषताएँ, हरित ऊर्जा से संबंधित पहल।

मेन्स के लिये:

अक्षय ऊर्जा के लिये भारत की पहल, भारत के अक्षय ऊर्जा लक्ष्य और संबंधित चुनौतियाँ,

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम’ (InSTS) के लिये ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (GEC) चरण- II पर योजना को मंज़ूरी दी।

प्रमुख बिंदु

  • GEC-1:
    • ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर का पहला चरण पहले से ही गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान में लागू किया जा रहा है।
    • यह लगभग 24 GW अक्षय ऊर्जा के ग्रिड एकीकरण और बिजली निकासी के लिये काम कर रहा है।
  • GEC-2:
    • यह सात राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में लगभग 20 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा (आरई) बिजली परियोजनाओं के ग्रिड एकीकरण और बिजली निकासी की सुविधा प्रदान करेगा।
    • ट्रांसमिशन सिस्टम वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पाँच वर्ष की अवधि में बनाए जाएंगे।
    • इसे 12, 031 करोड़ रुपए की कुल अनुमानित लागत के साथ स्थापित करने का लक्ष्य है जो केंद्रीय वित्त सहायता (CFA) परियोजना लागत का 33% होगा।
      • CFA इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन शुल्क को पूरा करने में मदद करेगा और इस प्रकार बिजली की लागत को कम करेगा।
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य ग्रिड में पारंपरिक बिजली स्टेशनों के साथ नवीनीकरण संसाधनों जैसे पवन व सौर से उत्पादित बिजली को एकीकृत करना है।
    • इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 450 GW स्थापित आरई क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
    • GEC का उद्देश्य लगभग 20,000 मेगावाट के साथ बड़े पैमाने पर अक्षय ऊर्जा की स्थापना करना और राज्य स्तर पर ग्रिड में सुधार करना है।
  • महत्त्व:
    • यह भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देगा और कार्बन फुटप्रिंट को कम करके पारिस्थितिक रूप से सतत् विकास को बढ़ावा देगा।
    • यह कुशल और अकुशल दोनों तरह के कर्मियों के लिये अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर पैदा करेगा।

हरित ऊर्जा से संबंधित पहलें:

स्रोत: पी.आई.बी