हरित ऊर्जा और रोज़गार | 11 Feb 2023

प्रिलिम्स के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा।

मेन्स के लिये:

हरित ऊर्जा और रोज़गार।

चर्चा में क्यों? 

एक अध्ययन के अनुसार, भारत के सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्रों ने 52,700 नए श्रमिकों के लिये रोज़गार सृजित किया है, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 से आठ गुना अधिक है।

  • यह अध्ययन ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW), प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद भारत (एनआरडीसी इंडिया) तथा स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स (SCGJ) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।

अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ?

  • आँकड़े: 
    • लगभग 99% नए कार्यबल (52,100 कर्मचारी) सौर ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत थे, जिसमें पवन ऊर्जा क्षेत्र में बहुत कम वृद्धि (600 नए कर्मचारी) दर्ज की गई थी।
    • भारत के सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्रों ने संयुक्त रूप से वित्तीय वर्ष 2022 में 1,64,000 श्रमिकों को रोज़गार प्रदान किया है, जो वित्तीय वर्ष 2021 से 47% की वृद्धि को दर्शाता है। इस कार्यबल का 84% सौर ऊर्जा क्षेत्र में है।
    • हालाँकि पॉलीसिलिकॉन, इनगट, वेफर्स और सेल बनाने जैसे अपस्ट्रीम मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में प्रशिक्षित श्रमिकों की "भारी कमी" रही है। वर्तमान में रोज़गार का एक बड़ा हिस्सा सोलर मॉड्यूल्स को असेंबल करने में लगा हुआ है।
      • यह सेगमेंट हाल ही में लॉन्च की गई 19,500 करोड़ रुपए (2.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ ( Production-Linked Incentive- PLI scheme) योजना पर केंद्रित है, जो 65 GW घरेलू विनिर्माण क्षमता को लक्षित करता है।
  • संभावना: 
    • यदि ये रुझान नए ऑन-ग्रिड सौर (238 GW) और पवन (101 GW) क्षमता जारी रखते हैं, तो संभावित रूप से लगभग 3.4 मिलियन अस्थायी और स्थायी रोज़गार सृजित किये जा सकते हैं।
  • अनुशंसाएँ:
    • स्किलिंग प्रोग्राम को सौर मॉड्यूल और बैटरी निर्माण तथा हाइब्रिड परियोजनाओं जैसे क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाली नई आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिये।

भारत में हरित ऊर्जा की क्षमता और चुनौतियाँ क्या हैं?

  • संभावना: 
    • भारत में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं, जिनमें सौर, पवन, पनबिजली और बायोमास शामिल हैं, जिनका नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिये उपयोग किया जा सकता है।
    • इसके अलावा भारत की तेज़ी से बढ़ती आबादी और अर्थव्यवस्था ऊर्जा की भारी मांग पैदा करती है, जिसे हरित ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके आंशिक रूप से पूरा किया जा सकता है।
  • संभावित लाभ:
    • उत्सर्जन में कमी: हरित ऊर्जा स्रोतों का उपयोग वातावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा को काफी कम कर सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।
    • ऊर्जा सुरक्षा: भारत आयातित तेल और प्राकृतिक गैस पर बहुत अधिक निर्भर है, जो इसे कीमतों में आई गिरावट एवं आपूर्ति में व्यवधान के प्रति संवेदनशील बनाता है। हरित ऊर्जा स्रोत इस निर्भरता को कम कर सकते हैं तथा ऊर्जा सुरक्षा बढ़ा सकते हैं।
    • ग्रामीण विद्युतीकरण: भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बिजली नहीं है और विकेंद्रीकृत हरित ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि सौर पैनल एवं छोटे पैमाने की पवन टर्बाइनों द्वारा प्रदान की जा सकती है।
    • रोज़गार: हरित ऊर्जा क्षेत्र में भारत में लाखों नए रोज़गार विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन, ऊर्जा दक्षता और ग्रिड एकीकरण जैसे क्षेत्रों में सृजित किये जाने की क्षमता है।
  • चुनौतियाँ: 
    • लागत:  हाल के वर्षों में भले ही नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की लागत में कमी आई है, फिर भी वे कोयले और प्राकृतिक गैस जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अधिक महँगे हैं।
    • ग्रिड एकीकरण: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को मौजूदा ऊर्जा ग्रिड में एकीकृत करना विशेष रूप से विद्युत उत्पादन में उतार-चढ़ाव के प्रबंधन एवं ग्रिड स्थिरता सुनिश्चित करने के संदर्भ में चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • निवेश की कमी: हालाँकि भारत में हरित ऊर्जा क्षेत्र में निवेश में हाल ही में वृद्धि हुई है, फिर भी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश की कमी है, जो इस क्षेत्र के विकास एवं रोज़गार सृजन की क्षमता को सीमित करती है।
    • कुशल कार्यबल: हरित ऊर्जा क्षेत्र में काम करने हेतु आवश्यक प्रशिक्षण और अनुभव वाले कुशल श्रमिकों की कमी है, जो क्षेत्र की विकास क्षमता को सीमित कर सकती है।
    • भूमि अधिग्रहण: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं हेतु भूमि अधिग्रहण एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि इसके लिये स्थानीय समुदायों के सहयोग एवं सहमति की आवश्यकता होती है, जो परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं।

आगे की राह 

  • भारत में हरित ऊर्जा की पर्याप्त क्षमता है, लेकिन देश को उस क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के लिये चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।
    • सही नीतियों, निवेश और प्रशिक्षण के अवसरों के साथ भारत में हरित ऊर्जा क्षेत्र आर्थिक विकास को आगे बढाने, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने तथा ऊर्जा सुरक्षा में सुधार करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
  • आवश्यक निवेश और प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करने के लिये सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों का सहयोग आवश्यक है।
    • सरकार कर संबंधी राहत प्रदान कर सब्सिडी और अन्य लाभ प्रदान करके निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है।
    • साथ ही निजी क्षेत्र की कंपनियाँ श्रमिकों को हरित ऊर्जा क्षेत्र में सफल होने के लिये आवश्यक कौशल हासिल करने में मदद के लिये प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रम आयोजित  कर सकती हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न:  

प्रश्न. परंपरागत ऊर्जा की कठिनाईयों को कम करने के लिये भारत की ‘हरित ऊर्जा पट्टी’ पर एक लेख लिखिये। (2013)

स्रोत: द हिंदू