ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना | 15 Sep 2025

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

ग्रेट निकोबार द्वीप (GNI) परियोजना ने हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की सबसे महत्त्वाकांक्षी बुनियादी ढाँचा योजनाओं में से एक के रूप में ध्यान आकर्षित किया है। 

  • पर्यावरणीय चिंताओं के बावजूद यह परियोजना पारिस्थितिकी और जनजातीय कल्याण को ध्यान में रखते हुए ग्रेट निकोबार को वैश्विक समुद्री केंद्र में बदलने के लिये महत्त्वपूर्ण है। 

ग्रेट निकोबार द्वीप (GNI) परियोजना क्या है? 

  • परिचय: नीति आयोग द्वारा परिकल्पित और वर्ष 2021 में लॉन्च की गई GNI परियोजना का उद्देश्य एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICTT), एक ग्रीनफील्ड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, एक टाउनशिप और एक गैस-सौर ऊर्जा संयंत्र का निर्माण करना है। 
    • इसका कार्यान्वयन अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) द्वारा किया जाता है। 
    • यह मैरीटाइम इंडिया विज़न-2030 के अनुरूप है और अमृत काल विज़न-2047 के अंतर्गत प्रमुख परियोजनाओं में से एक है। 
  • सामरिक महत्त्व: 
    • ट्रांसशिपमेंट हब: ICTT सिंगापुर और कोलंबो जैसे विदेशी बंदरगाहों पर भारत की निर्भरता को कम करता है तथा भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में एकीकृत करता है। 
    • ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा: नागरिक संपर्क, पर्यटन और दोहरे उपयोग वाली रक्षा क्षमता को बढ़ाता है। 
    • रणनीतिक स्थिति लाभ: मलक्का, सुंडा और लोंबोक जलडमरूमध्य के निकट निकोबार का स्थान भारत को वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के लिये महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों की निगरानी करने की अनुमति देता है। 
      • ग्रेट निकोबार की अवस्थिति भारत को सबांग (इंडोनेशिया), कोको द्वीप (म्याँमार) और प्रस्तावित क्रा नहर (थाईलैंड) के निकट बनाती है, जो भारत-प्रशांत समुद्री मार्गों में इसकी केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करता है। 
      • ग्रेट निकोबार कोलंबो, पोर्ट क्लैंग और सिंगापुर से लगभग समान दूरी पर स्थित है, जो भारत को क्षेत्रीय समुद्री व्यापार के केंद्र में रखता है। 
    • समुद्री सुरक्षा: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत की समुद्री रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करते हैं और म्याँमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया और बांग्लादेश के साथ समुद्री सीमा साझा करते हैं, जिससे भारत को सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) 1982 के तहत एक विशाल अनन्य आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ मिलता है। 
      • ग्रेट निकोबार द्वीप (GNI) परियोजना भारत की नौसैनिक पहुँच को हिंद-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) क्षेत्र में सुदृढ़ करती है, जिससे समुद्री लूट (पाइरेसी), तस्करी, आतंकवाद और महाशक्तियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है। 
      • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और अन्य नौसेनाओं की बढ़ती उपस्थिति के बीच भारत को एक सक्रिय समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करना। 
    • नीति संरेखण: एक्ट ईस्ट पॉलिसी (2014) और क्वाड की हिंद-प्रशांत रणनीति का समर्थन करता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका मज़बूत होती है। 
  • जनजातीय सुरक्षा उपाय: GNI में बड़े पैमाने पर विकास की अनुमति केवल जनजातीय मामलों के मंत्रालय, जनजातीय कल्याण निदेशालय तथा अंडमान आदिम जनजाति विकास समिति (AAJVS) के परामर्श के बाद ही दी जाती है, जैसा कि जारवा नीति (2004) और शोंपेन नीति (2015) द्वारा अनिवार्य किया गया है। 
    • नीतियों के तहत विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के ट्रस्टी के रूप में AAJVS को नियुक्त किया गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी प्रमुख परियोजनाओं में शोंपेन समुदाय के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। 
  • पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय: यह परियोजना सख्त पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों को शामिल करती है, जो पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना, 2006 का पालन करते हुए विस्तृत EIA और पर्यावरण प्रबंधन योजना (EMP) पर आधारित हैं। 
    • वन्यजीवों की सुरक्षा के लिये 8 गलियारों की योजना बनाई गई है, ताकि वृक्षों पर रहने वाले जानवरों, साँपों, केकड़ों और मगरमच्छों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित हो और विकास के दौरान पारिस्थितिक विघटन न्यूनतम रहे। 
    • GNI परियोजना के कारण वृक्षों की कटाई की पूर्ति के लिये हरियाणा में प्रतिपूरक वनीकरण की योजना बनाई गई है, क्योंकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पहले से ही 75% से अधिक वन आवरण मौजूद है।

Great_Nicobar_Island

ग्रेट निकोबार द्वीप 

  • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में कुल 836 द्वीप शामिल हैं, जिन्हें टेन डिग्री चैनल द्वारा अंडमान (उत्तर) और निकोबार (दक्षिण) में विभाजित किया गया है। 
  • ग्रेट निकोबार निकोबार का सबसे बड़ा द्वीप है (910 वर्ग किलोमीटर वर्षावन क्षेत्र)। इसमें इंदिरा प्वाइंट स्थित है, जो भारत का सबसे दक्षिणी छोर है और सुमात्रा (इंडोनेशिया) से मात्र 90 समुद्री मील दूर है। 
  • ग्रेट निकोबार में दो राष्ट्रीय उद्यान, एक बायोस्फीयर रिज़र्व, शोंपेन और निकोबार जनजातीय समुदायों की छोटी आबादी तथा कुछ हज़ार गैर-जनजातीय निवासी हैं। 
  • ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व को वर्ष 2013 में UNESCO के मानव और जैवमंडल (MAB) कार्यक्रम की सूची में शामिल किया गया था। 

निष्कर्ष 

ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना केवल एक बुनियादी अवसंरचना योजना नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक-आर्थिक गुणक है। यह भारत के समुद्री भविष्य को सुरक्षित करती है, विदेशी बंदरगाहों पर रसद निर्भरता को कम करती है और क्षेत्रीय विकास को गति प्रदान करती है, जिससे भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित होता है। 

पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये: ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट से संबंधित चिंताएँ 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के समुद्री विज़न-2030 में ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना की भूमिका और अमृत काल विज़न- 2047 के साथ इसके संरेखण पर चर्चा कीजिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. बैरेन द्वीप ज्वालामुखी एक सक्रिय ज्वालामुखी है जो भारतीय राज्य-क्षेत्र में स्थित है।  
  2.  बैरेन द्वीप ग्रेट निकोबार से लगभग 140 किमी. पूर्व में स्थित है।  
  3.  पिछली बार बैरेन द्वीप ज्वालामुखी में वर्ष 1991 में उद्गार हुआ था और तब से यह निष्क्रिय बना हुआ है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) 2 और 3 
(c) केवल 3 
(d) 1 और 3 

उत्तर: (a)

प्रश्न. निम्नलिखित द्वीपों के युग्मों में से कौन-सा एक 'दश अंश जलमार्ग' द्वारा आपस में पृथक् किया जाता है? (2014) 

(a) अंडमान एवं निकोबार 
(b) निकोबार एवं सुमात्रा 
(c) मालदीव एवं लक्षद्वीप 
(d) सुमात्रा एवं जावा 

उत्तर: (a)

मेन्स

प्रश्न. सरकार द्वारा किसी परियोजना को अनुमति देने से पूर्व अधिकाधिक पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययन किये जा रहे हैं। कोयला गर्त-शिखरों (पिटहेड्स) पर अवस्थित कोयला-अग्नित तापीय संयंत्रों के पर्यावरणीय प्रभावों पर चर्चा कीजिये। (2014)