प्रत्यक्ष विदेशी निवेश | 29 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

FDI, FPI, सरकारी पहल

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये FDI का महत्त्व, FDI के विभिन्न मार्ग और घटक, सरकार की पहल

चर्चा में क्यों?

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के क्षेत्र में सर्वाधिक निवेश सिंगापुर और अमेरिका ने किया। इसके बाद मॉरीशस, नीदरलैंड एवं स्विट्रज़लैंड का स्थान है।

  • UNCTAD विश्व निवेश रिपोर्ट (WIR) 2022 ने FDI के मामले में वर्ष 2021 के लिये शीर्ष 20 मेज़बान अर्थव्यवस्थाओं में भारत को 7वें स्थान पर रखा है।

शीर्ष प्राप्तकर्त्ता:

  • भारत के आँकड़े:
    • भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 84,835 मिलियन अमेरिकी डॉलर का उच्चतम वार्षिक FDI प्राप्त किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.87 बिलियन अमेरिकी डॉलर अधिक था।
      • वर्ष 2021 में FDI प्रवाह वित्त वर्ष 2019-2020 के 74,391 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 81,973 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
    • शीर्ष 5 FDI सोर्सिंग राष्ट्र:
      • सिंगापुर:01%
      • अमेरिका:94%
      • मॉरीशस:98%
      • नीदरलैंड:86%
      • स्विट्रज़लैंड:31%
  • शीर्ष क्षेत्र:
    • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर: 60%
    • सेवा क्षेत्र (वित्त, बैंकिंग, बीमा, गैर-वित्तीय/व्यवसाय, आउटसोर्सिंग, अनुसंधान एवं विकास, कूरियर, टेक. परीक्षण और विश्लेषण, अन्य): 12.13%
    • ऑटोमोबाइल उद्योग: 11.89%
    • ट्रेडिंग: 7.72%
    • निर्माण (इन्फ्रास्ट्रक्चर) गतिविधियाँ: 5.52%
  • शीर्ष लक्ष्य:
    • कर्नाटक: 37.55%
    • महाराष्ट्र: 26.26%
    • दिल्ली: 13.93%
    • तमिलनाडु: 5.10%
    • हरियाणा: 4.76%
  • पिछले वित्त वर्ष 2020-21 (12.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 (21.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर) में विनिर्माण क्षेत्र में FDI इक्विटी प्रवाह में 76% की वृद्धि हुई है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश:

  • परिचय:
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किसी देश के एक फर्म या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया निवेश है।
      • FDI किसी निवेशक को एक बाहरी देश में प्रत्यक्ष व्यावसायिक खरीद की सुविधा प्रदान करता है।
    • निवेशक कई तरह से FDI का लाभ उठा सकते हैं।
      • दूसरे देश में एक सहायक कंपनी की स्थापना करना, किसी मौजूदा विदेशी कंपनी का अधिग्रहण या विलय अथवा किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम साझेदारी इसके कुछ सामान्य तरीके हैं।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत में आर्थिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण चालक होने के साथ ही देश के आर्थिक विकास के लिये एक प्रमुख गैर-ऋण वित्तीय संसाधन भी रहा है।
    • यह विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से अलग है जहाँ विदेशी संस्था केवल किसी कंपनी के स्टॉक और बॉण्ड खरीदती है।
      • FPI निवेशक को व्यवसाय पर नियंत्रण प्रदान नहीं करता है।
  • घटक:
    • इक्विटी कैपिटल:
      • यह विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक की अपने देश के अलावा किसी अन्य देश के उद्यम के शेयरों की खरीद से संबंधित है।
    • पुनर्निवेशित आय:
      • इसमें प्रत्यक्ष निवेशकों की कमाई का वह हिस्सा शामिल होता है जिसे किसी कंपनी के सहयोगियों (Affiliates) द्वारा लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया जाता है या यह कमाई प्रत्यक्ष निवेशक को प्राप्त नहीं होती है। सहयोगियों द्वारा इस तरह के लाभ को पुनर्निवेश किया जाता है।
    • इंट्रा-कंपनी ऋण:
      • इसमें प्रत्यक्ष निवेशकों (या उद्यमों) और संबद्ध उद्यमों के बीच अल्पकालिक या दीर्घकालिक उधार एवं निधियों का उधार शामिल होता है।
  • FDI संबंधी मार्ग:
    • स्वचालित मार्ग:
      • इसमें विदेशी संस्था को सरकार या RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।
      • भारत में गृह मंत्रालय (MHA) से सुरक्षा मंज़ूरी की आवश्यकता नहीं होने पर स्वचालित मार्ग के माध्यम से गैर-महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में 100% तक FDI की अनुमति है।
        • पाकिस्तान और बांग्लादेश से किसी भी निवेश के अलावा रक्षा, मीडिया, दूरसंचार, उपग्रहों, निजी सुरक्षा एजेंसियों, नागरिक उड्डयन तथा खनन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में निवेश के लिये गृह मंत्रालय से पूर्व मंज़ूरी या सुरक्षा मंज़ूरी आवश्यक है।
    • सरकारी मार्ग:
      • इसमें विदेशी संस्था को सरकार से मंज़ूरी लेनी होती है।
        • विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (FIFP) अनुमोदन मार्ग के माध्यम से आवेदनों की एकल खिड़की निकासी की सुविधा प्रदान करता है। यह उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।

FDI को बढ़ावा देने हेतु सरकार की पहल:

  • भारत सरकार ने हाल के वर्षों में कई पहल की हैं जैसे कि रक्षा, PSU तेल रिफाइनरियों, दूरसंचार, पॉवर एक्सचेंजों और स्टॉक एक्सचेंजों जैसे क्षेत्रों में FDI मानदंडों में ढील देना।
  • 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों के साथ-साथ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत के कदम मज़बूत करने से पिछले कुछ वर्षों में FDI प्रवाह को गति मिली है।
  • निवेश को आकर्षित करने वाली योजनाओं का शुभारंभ, जैसे, राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना आदि।
  • कोविड-19 महामारी की पहली लहर ने लगभग 1,000 कंपनियों को अपना आधार चीन से बाहर स्थानांतरित करने के लिये प्रेरित किया, जिनमें से लगभग 300 चिकित्सा और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल और वस्त्रों के क्षेत्रों में थीं।
    • भारत के लिये 600 से अधिक कर्मचारियों वाली लावा इंटरनेशनल जैसी कंपनियों ने अपना आधार चीन से भारत में स्थानांतरित करने के अपने इरादे को स्पष्ट किया।
  • निवेशकों के लिये उदार और आकर्षक नीति व्यवस्था, उचित कारोबारी माहौल तथा कम नियामक ढाँचे के कारण उच्च FDI प्रवाह संभव हुआ है।

भारत विकास को बनाए रखना:

  • वैश्विक निवेशकों के लिये अनुकूल माहौल बनाने में सरकारी नीतियाँ/निर्णय महत्त्वपूर्ण हैं। महामारी से प्रेरित व्यवधानों ने भारत को अपने वैश्विक पदचिह्नों का विस्तार करने का अवसर दिया है।
    • सरकार सभी स्तरों पर नीतिगत पहलों और सुधारों की शृंखला के माध्यम से FDI वातावरण को मज़बूत करने का प्रयास कर रही है।
    • इसे निर्यात को और बढ़ावा देने, समावेशी विकास को प्रोत्साहित करने और हमारे उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिये अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने हेतु मज़बूत व्यापार नीति अपनाई जानी चाहिये।
  • FDI में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को सुविधाजनक बनाने की अधिक क्षमता है।
    • यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि भारत गंभीर, दीर्घकालिक निवेशकों के लिये आकर्षक, सुरक्षित, पूर्वानुमान योग्य गंतव्य बना रहे।
      • यदि हम निरंतर विदेशी निवेश चाहते हैं तो समान अवसर आवश्यक है। स्थानीय अभिकर्त्ताओं के प्रति मित्रता से बचना चाहिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू)

प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2021)

  1. विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय
  2. कुछ शर्तों के साथ विदेशी संस्थागत निवेश
  3. वैश्विक डिपॉज़िटरी रसीदें
  4. अनिवासी बाहरी जमा

उपर्युक्त में से किसको प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में शामिल किया जा सकता है?

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 4
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • विदेशी निवेश का अर्थ है भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा किसी भारतीय कंपनी के पूंजीगत साधनों में प्रत्यावर्तनीय आधार पर या किसी LLP की पूंजी में किया गया कोई निवेश।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा पूंजीगत साधनों के माध्यम से किया गया निवेश है- (a) किसी गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनी में अथवा (b) एक सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के पुर्णतः 10% या अधिक पोस्ट पेड-अप इक्विटी पूंजी में।
    • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा पूंजीगत साधनों में किया गया कोई भी निवेश है, जहाँ ऐसा निवेश- (a) सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के पूर्ण रूप से इश्यू के बाद चुकता इक्विटी पूंजी के 10% से कम है या (b) किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के पूंजीगत लिखतों की प्रत्येक शृंखला के चुकता मूल्य के 10% से कम।
  • विदेशी निवेश को FDI के रूप में तभी मान्यता दी जाती है जब निवेश इक्विटी शेयरों, पूरी तरह और अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय वरीयता शेयरों, परिवर्तनीय डिबेंचर में निवेश किया जाता है। FDI नीति वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय प्रतिभूति जारी करने की अनुमति नहीं देती है।
  • विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बाण्ड (FCCBs) भारतीय कंपनी में निवेश किये गए विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बाण्ड हैं। चूँकि ये बाण्ड समयावधि में इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय हैं, जैसा कि उपकरण में प्रदान किया गया है, इसलिये वे FDI नीति के अंतर्गत आते हैं और एफसीसीबी जारी करने के माध्यम से भारतीय कंपनी द्वारा प्राप्त आवक प्रेषण को FDI के रूप में माना जाता है तथा FDI के तौर पर गिनती की जाती है। अत: 1 सही है।
  • विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सामान्य रूप से FDI नहीं है क्योंकि एफआईआई कुल चुकता पूंजी के अधिकतम 10 प्रतिशत तक निवेश कर सकते हैं, हालांकि अगर एफआईआई परिवर्तनीय डिबेंचर में निवेश करते हैं तो इसे कुछ सीमाओं के अधीन FDI के रूप में गिना जाता है। अत: कथन 2 सही है।
  • भारतीय कंपनियाँ विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बाण्ड और साधारण शेयर (डिपॉज़िटरी रसीद तंत्र के माध्यम से) योजना, 1993 जारी करने के अनुसार अमेरिकी डिपॉज़िटरी रसीद (ADR)/ग्लोबल डिपॉज़िटरी रसीद (जीडीआर) जारी करके विदेशों में विदेशी मुद्रा संसाधन जुटा सकती हैं, इसके लिये भारत सरकार द्वारा समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। इसलिये बाण्ड FDI नहीं हो सकते हैं लेकिन परिवर्तनीय बाण्ड /डिबेंचर को इक्विटी में परिवर्तित किया जा सकता है और FDI के तहत शामिल किया जा सकता है। अत: 3 कथन सही है।
    • DRs मूल रूप से एक भारतीय कंपनी की ओर से एक डिपॉज़िटरी बैंक द्वारा भारत के बाहर जारी किये गए इक्विटी शेयरों के रूप में विदेशी निवेश है जिसे FDI नीति के तहत कवर किया गया है।
  • अनिवासी द्वारा जमा को FDI के रूप में नहीं माना जाता है क्योंकि बैंक इन जमाओं को ऋण के लिये दे सकते हैं। NRI पोर्टफोलियो निवेश मार्ग के तहत मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के शेयरों में निवेश कर सकते हैं। निवेश प्रत्यावर्तनीय या गैर-प्रत्यावर्तनीय हो सकती है, लेकिन निवेश की अधिकतम सीमा संबंधित कंपनी की चुकता पूंजी का 10% होनी चाहिये। अत: कथन 4 सही नहीं है।
  • अतः विकल्प A सही है।

स्रोत:पी.आई.बी.