महामारी अधिनियम, 1897 | 12 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये:

महामारी अधिनियम, 1897, विश्व स्वास्थ्य संगठन

मेन्स के लिये:

COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिये महामारी अधिनियम, 1897 की धारा 2 के तहत प्रावधान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देश में COVID-19 के प्रभाव को देखते हुए मंत्रियों के समूह (Group of Ministers-GoM) की एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को महामारी अधिनियम, 1897 (Epidemic Disease Act, 1897) की धारा 2 के प्रावधानों को लागू करना चाहिये ताकि मंत्रालय/राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा समय-समय पर जारी की जाने वाली सभी सलाहों को उचित रूप से लागू की जा सके।

मुख्य बिंदु:

  • भारत में COVID-19 की रोकथाम हेतु की गई तैयारियों और इससे निपटने के उपायों की समीक्षा, निगरानी और मूल्यांकन के लिये मंत्रियों के समूह का गठन किया गया था।

कोरोना: एक महामारी

  • हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) ने COVID-19 को एक महामारी के रूप में घोषित कर दिया है।
  • WHO के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 114 देशों में 1,18,000 पॉज़िटिव मामले सामने आए हैं और 90% से अधिक मामले सिर्फ चार देशों में पाए गए हैं।
  • 81 देशों में COVID-19 का कोई भी मामला सामने नहीं आया है और 57 देशों में 10 या उससे कम मामले सामने आए हैं।

भारत के प्रयास:

  • भारत में COVID-19 के 60 मामलों की पुष्टि के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी एक नई यात्रा एडवाइज़री के अनुसार, राजनयिक, आधिकारिक, संयुक्त राष्ट्र/अंतर्राष्ट्रीय संगठन, रोज़गार, परियोजना वीज़ा को छोड़कर सभी मौजूदा वीज़ा को 15 अप्रैल तक निलंबित कर दिया गया है और यह एडवाइज़री 13 मार्च से लागू होगी।
  • भारत ने अब तक 948 यात्रियों को कोरोनोवायरस प्रभावित देशों से निकाला है। इनमें से 900 भारतीय नागरिक हैं और 48 विभिन्न राष्ट्रीयताओं से संबंधित हैं। 
  • केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को महामारी रोग अधिनियम, 1897 के प्रावधानों को लागू करने की सलाह दी है।

महामारी अधिनियम, 1897 की धारा (2):

जब राज्य सरकार का किसी समय यह समाधान हो जाए कि पूरे राज्य या उसके किसी भाग में किसी खतरनाक महामारी का प्रकोप हो गया है, या होने की आशंका है तब राज्य सरकार यदि यह समझती है कि मौजूदा विधि के साधारण उपबंध इसके लिये पर्याप्त नहीं हैं, तो वह ऐसे उपाय कर सकेगी या ऐसे उपाय करने के लिये किसी व्यक्ति से अपेक्षा कर सकेगी या उसके लिये उसे सशक्त कर सकेगी और जनता द्वारा या किसी व्यक्ति द्वारा या व्यक्तियों के किसी वर्ग द्वारा अनुपालन करने के लिये किसी सूचना द्वारा ऐसे अस्थायी विनियम विहित कर सकेगी जिन्हें वह उस रोग के प्रकोप या प्रसार की रोकथाम के लिये आवश्यक समझे तथा वह यह भी अवधारित कर सकेगी कि उपगत व्यय (इसके अंतर्गत प्रतिकर, यदि कोई हो तो) किस रीति से और किसके द्वारा चुकाए जाएंगे। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का प्रस्ताव:

  • इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association-IMA) के अनुसार, संक्रमित लोगों के डेटा को दैनिक आधार पर जनता के साथ साझा करने से पूरे देश में भय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
  • IMA ने सरकार से महामारी संबंधी डेटा को वर्गीकृत करने और नैदानिक परिशुद्धता के साथ उचित कार्रवाई करने की अपील की है।

आगे की राह:

  • अभी तक COVID -19 के विरुद्ध कोई निश्चित इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसलिये सरकार की प्रतिक्रिया रणनीति निस्संदेह जोखिम के संचार, स्वास्थ्य शिक्षा, सामाजिक गड़बड़ी और घर के अलगाव जैसे बुनियादी उपायों पर निर्भर करती है।
  • प्राकृतिक या मानवजनित बड़ी आपदाओं से निपटने के लिये बनाए गए राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (National Crisis Management Committee-NCMC) के माध्यम से सामाजिक संगठनों, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में समन्वय स्थापित किया जाना चाहिये।
  • एक समर्पित वेब पोर्टल स्थापित किया जाना चाहिये, जिसमें प्रमुख संकेतक, रोग की पहचान संबंधी दिशा-निर्देश, जोखिम संचार सामग्री और उपायों की कार्ययोजना शामिल हो।
  • सरकार को अधिक-से-अधिक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस प्रयोगशालाओं को स्थापित करना चाहिये, ताकि व्यक्ति में संक्रमण की पूरी तरह से पुष्टि हो सके।
  • सरकार को आइसोलेशन वार्ड की सुविधा के साथ सेपरेशन किट, मास्क इत्यादि की व्यवस्था करनी चाहिये।
  • सरकार द्वारा सभी हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर विदेश से आने वाले सभी व्यक्तियों की गहन जाँच की व्यवस्था की जानी चाहिये।
  • कोरोना वायरस से बचाव न केवल सरकार का उत्तरदायित्व है बल्कि सभी संस्थानों, संगठनों, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों, यहाँ तक ​​कि सभी व्यक्तियों को इससे बचाव हेतु आकस्मिक और अग्रिम तैयारी की योजनाएँ बनानी चाहिये।
  • बड़े पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन एक सफल प्रतिक्रिया की आधारशिला होगी। इसके लिये उचित जोखिम उपायों और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रति एक नवीन एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
  • सही जानकारी ही बचाव का बेहतर विकल्प है, इसलिये सरकार, सामाजिक संगठनों द्वारा लोगों को सही दिशा-निर्देशों का प्रसार करना चाहिये।

स्रोत- द हिंदू