ऊर्जा संक्रमण सूचकांक- 2020 | 15 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

ऊर्जा संक्रमण सूचकांक- 2020

मेन्स के लिये:

ऊर्जा संक्रमण की दिशा में भारत की स्थिति 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘विश्व आर्थिक मंच’ (World Economic Forum- WEF) द्वारा ‘ऊर्जा संक्रमण सूचकांक’ (Energy Transition Index- ETI)- 2020 जारी किया गया। इसमें दुनिया के 115 देशों की ऊर्जा प्रणाली के प्रदर्शन स्तर पर सर्वेक्षण किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह सूचकांक ऊर्जा क्षेत्र में 115 देशों 'नेट-शून्य उत्सर्जन' (Net-Zero Emissions) की दौड़ में अग्रणी देशों तथा उनकी स्थिति का विश्लेषण करती है।
  • ‘नेट-शून्य उत्सर्जन’ उस स्थिति को कहा जाता है मानव द्वारा उत्सर्जित ‘ग्रीनहाउस गैस’ (Greenhouse Gas- GHG) को वायुमंडल से हटाकर संतुलित कर दिया जाए। 
  • विश्व आर्थिक मंच वर्ष 1971 में स्थापित एक गैर-लाभकारी संस्था है।  

सूचकांक के आयाम:

  • ऊर्जा संक्रमण की दिशा में देशों की तैयारी की गणना निम्नलिखित 6 संकेतकों के आधार पर की जाती है:
    • पूंजी और निवेश; 
    • विनियमन और राजनीतिक प्रतिबद्धता;
    • संस्थान और शासन;
    • संस्थान और अभिनव व्यावसायिक वातावरण;
    • मानव पूंजी एवं उपभोक्ता भागीदारी;
    • ऊर्जा प्रणाली संरचना;

महत्त्वपूर्ण प्रणालियों का प्रदर्शन मापन:

  • इसका मापन ऊर्जा त्रिकोण (Energy Triangle) के निम्नलिखित संकेतकों के आधार पर किया जाता है। 
    • आर्थिक विकास और वृद्धि; 
    • ऊर्जा की पहुँच और सुरक्षा;
    • पर्यावरणीय स्थिरता;

शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता देश:

  • स्वीडन लगातार तीसरे वर्ष समग्र ETI रैंकिंग में शीर्ष पर स्थान पर रहा है, उसके बाद स्विट्जरलैंड और फिनलैंड का स्थान हैं।
  • शीर्ष स्थान पर वे देश रहे हैं जिन्होंने अपने ऊर्जा आयात तथा ऊर्जा सब्सिडी में कमी की है तथा राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में मज़बूत राजनीतिक प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
  • G-20 देशों में से केवल यूनाइटेड किंगडम और फ्रांँस ही शीर्ष 10 में शामिल हैं, जबकि शेष अन्य छोटे राष्ट्र हैं।

Energy-Transition

प्रमुख देशों की रैंकिंग:

देश

ऊर्जा संक्रमण सूचकांक- 2020 में स्थान 

चीन

78

अमेरिका 

32

भारत 

74

  • वर्ष 2015 के बाद से 115 देशों में से केवल 11 देशों के ETI स्कोर में लगातार सुधार देखा गया है। अर्जेंटीना, चीन, भारत और इटली ऊर्जा संक्रमण की दिशा में लगातार सुधार करने वाले प्रमुख देशों में से हैं।
  • अमेरिका पहली बार शीर्ष 25 देशों की सूची से बाहर रहा है क्योंकि अमेरिका की ‘ऊर्जा  संक्रमण नीतियों’ में हाल ही में अनिश्चितता देखी गई है। 

भारत की रैंकिंग और कारण:

  • भारत ने ऊर्जा त्रिभुज के तीनों आयामों में सुधार किया है तथा भारत ETI-2019 के 76 वें स्थान से दो स्थानों का सुधार करके 74 वें स्थान पर आ गया है।
  • भारत सरकार वर्ष 2027 तक 275 GW नवीनीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में उठाए गए कदमों के कारण ही भारत की रैंकिंग में सुधार देखा गया है।

COVID-19 महामारी का प्रभाव:

  • COVID-19 महामारी के ऊर्जा क्षेत्र को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित किया है:
    • वैश्विक ऊर्जा मांग में लगभग एक तिहाई की गिरावट;
    • ऊर्जा निवेश तथा परियोजनाओं का रूकना या विलंबित होना;
    • ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े लोगों के रोजगार का प्रभावित होना;
  • परंतु भविष्य की ऊर्जा की ज़रूरतों को कैसे पूरा किया जाए, महामारी इस पर पुनर्विचार करने का अवसर प्रदान करता है।

आगे की राह:

  • वैश्विक ऊर्जा संकटों से निपटने की दिशा में ऊर्जा नीतियों, रोडमैप तथा शासन की रूपरेखा को अधिक मज़बूती के साथ लागू करने की आवश्यकता है।
  • महामारी संकट ऊर्जा बाज़ारों में अपरंपरागत हस्तक्षेप पर विचार करने तथा ऊर्जा संक्रमण की दिशा में वैश्विक सहयोग करने का अवसर प्रदान करता है।
  • COVID-19 महामारी से उभरने के बाद सतत् ‘पृथ्वी 2.0’ के निर्माण की दिशा में सामूहिक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। 

स्रोत: द हिंदू