कृषि में प्रभावी जल प्रबंधन | 20 Nov 2025

प्रीलिम्स के लिये: राष्ट्रीय जल पुरस्कार, जल संचय जन भागीदारी (JSJB) पुरस्कार, जल संचय जन भागीदारी पहल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स

मेन्स के लिये: भारत में भूजल क्षय, भारत में लवणता और सिंचाई की अकार्यक्षमता, जल प्रबंधन में होल ऑफ गवर्नमेंट और होल ऑफ सोसाइटी अप्रोच।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कृषि में जल उपयोग में तत्काल नवाचार की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए देश को स्मरण दिलाया कि जल एक पवित्र और सीमित राष्ट्रीय संसाधन है।

राष्ट्रीय जल पुरस्कार क्या हैं?

  • परिचय: राष्ट्रीय जल पुरस्कार वर्ष 2018 में जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा की गई थी।
    • इन पुरस्कारों की कल्पना एक ऐसे मंच के रूप में की गई थी जो जल संरक्षण के क्षेत्र में नवाचार, नेतृत्व और समर्पण का प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों, संगठनों और राज्यों को सम्मानित करे।
  • उद्देश्य: ‘जल समृद्ध भारत’ - एक जल-सुरक्षित और जल-संपन्न भारत के राष्ट्रीय विज़न का समर्थन करना है।
    • यह पुरस्कार जल-उपयोग दक्षता, पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग तथा व्यापक जन जागरूकता को बढ़ावा देते हैं।
    • इन पुरस्कारों का लक्ष्य लोगों की भागीदारी को मज़बूत करना, क्षमता निर्माण करना और भूजल संसाधनों की दीर्घकालिक स्थिरता का समर्थन करना है।
  • छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार: छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 में 10 श्रेणियों में संयुक्त पुरस्कार विजेताओं सहित कुल 46 विजेताओं का चयन किया गया।
    • महाराष्ट्र ने सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में शीर्ष स्थान प्राप्त किया, इसके बाद गुजरात और हरियाणा का स्थान रहा।

कृषि में प्रभावी जल उपयोग की आवश्यकता क्यों है?

  • सिंचाई एवं फसल चक्रों में असंगति: बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा होने में अक्सर वर्षों लग जाते हैं, जिससे वे बुवाई के मौसम से चूक जाती हैं और उनकी उपयोगिता कम हो जाती है।
    • नहरों की मरम्मत और गाद निकासी का कार्य प्रायः मानसून के पश्चात् पूर्ण होता है, जिससे खरीफ ऋतु हेतु इनकी उपयोगिता कम हो जाती है। साथ ही पुराने नहर नेटवर्क में रिसाव, चोरी और अनुचित रखरखाव के कारण 40% तक जल की हानि होती है।
    • धान और गन्ना को प्रोत्साहन देने वाली नीतियों ने संकटग्रस्त जलभृतों पर दबाव बढ़ाया है, वहीं कुछ राज्यों द्वारा कृषि हेतु निःशुल्क विद्युत आपूर्ति ने अत्यधिक बोरवेल पंपिंग को प्रोत्साहित किया है, जिससे भूजल क्षरण और गंभीर हो गया।
    • पारंपरिक जल संचयन संरचनाओं के समन्वय के अभाव ने भूजल पुनर्भरण को दुर्बल किया है तथा पंपिंग पर निर्भरता में वृद्धि की है।
  • वास्तविक समय डेटा एवं प्रौद्योगिकी का न्यूनतम उपयोग: अधिकांश सिंचाई संबंधी निर्णय मौसम पूर्वानुमान, मृदा आर्द्रता डेटा अथवा फसल जल आवश्यकता मॉडलों का उपयोग किये बिना किये जाते हैं।
    • केवल कुछ राज्यों, जैसे आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ने रिमोट सेंसिंग अथवा फसल विश्लेषिकी का प्रयोग आरंभ किया है।
  • सूक्ष्म-सिंचाई का सीमित विस्तार: ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणालियाँ भारत के कुल सिंचित क्षेत्र के केवल लगभग 12% भाग को ही आवृत करती हैं।
    • छोटे किसान उच्च स्थापना लागत, विद्युत आपूर्ति में असंगति और सीमित तकनीकी सहायता जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं, जिससे जल-दक्ष उपयोग की दिशा में संक्रमण मंद गति से हो रहा है।
  • जलभराव और मृदा लवणता: अपर्याप्त जल निकासी योजना के कारण लगभग 13 मिलियन हेक्टेयर सिंचित भूमि जलभराव के जोखिम से ग्रस्त है। 
    • ये स्थितियाँ फसल उत्पादकता में तीव्र गिरावट लाती हैं तथा मृदा स्वास्थ्य को हानि पहुँचाती हैं।
  • भूजल दोहन एवं प्रदूषण: भारत विश्व के कुल भूजल का लगभग 25% दोहन करता है। चूँकि भूजल 62% सिंचाई तथा ग्रामीण एवं नगरीय जल आवश्यकताओं का एक बड़ा भाग वहन करता है। अतः पुनर्भरण में कमी वाले अतिदोहित ब्लॉकों में तत्काल नवाचार की आवश्यकता है।
    • उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के कारण 56% ज़िलों में नाइट्रेट संदूषण हो चुका है। तटीय क्षेत्रों में अति-दोहन से लवणता प्रवेश की स्थिति उत्पन्न हुई है, जिससे कृषि उत्पादकता घटी है और पारिस्थितिकी तंत्र को क्षति पहुँची है।
  • जलवायु परिवर्तन एवं अनिश्चित मानसून: चूँकि भूजल पुनर्भरण का लगभग 60% भाग मानसून से प्राप्त होता है। अतः अनियमित वर्षा पैटर्न सीधे तौर पर सिंचाई सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
    • वर्ष 2023 में 200 से अधिक ज़िलों में 5.6% वर्षा की कमी ने तमिलनाडु जैसे राज्यों को गहरे जलभृतों के अति-दोहन के लिये विवश किया।

भारत की दीर्घकालिक जल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये कौन-से नवोन्मेषी उपाय सहायक हो सकते हैं?

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित पाइप्ड सिंचाई प्रणाली: माइक्रोसॉफ्ट के प्रोजेक्ट फार्मवाइब्स के आधार पर पाइप्ड सिंचाई को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) सेंसर और उपग्रह डेटा के साथ एकीकृत करने से फसलों को आवश्यकता-आधारित जल वितरण सुनिश्चित होता है।
    • इससे संचरण हानियाँ कम होती हैं, अत्यधिक जल निकासी रोकी जा सकती है और विशेष रूप से अंतिम छोर के किसानों के लिये समान वितरण सुनिश्चित होता है, जो भारत की जल हानि और गंभीर भूजल संकट का सीधा समाधान प्रस्तुत करता है।
  • सिंचाई कमांड क्षेत्रों के लिये डिजिटल ट्विन मॉडल: सिंचाई नेटवर्क की आभासी, वास्तविक-समय प्रतिकृतियाँ निर्मित करने से नहरों से जल मुक्ति, मृदा आर्द्रता, फसल तनाव और भूजल स्तर पर निगरानी रखने में सहायता मिलती है।
    • ये मॉडल गतिशील जल आवंटन को समर्थन प्रदान करते हैं तथा सिंचाई अनुसूची और फसल चक्रों के मध्य असंगति को न्यूनतम करते हैं।
  • गाँव स्तर पर जल बजट: गाँवों के लिये वार्षिक जल बजट तैयार करना और फसल चक्र को वास्तविक जल उपलब्धता के साथ समन्वित करना, अति-दोहन को कम करता है तथा संकटग्रस्त क्षेत्रों में अधिक जल खपत वाली फसलों की खेती को रोकता है।
    • यह दृष्टिकोण स्थानीय जवाबदेही को मज़बूत करता है और सीधे तौर पर जलभृत क्षरण का समाधान करता है।
  • आधुनिक एवं पारंपरिक प्रणालियों द्वारा जलभृत पुनर्भरण: रिचार्ज शाफ्ट, परकोलेशन टैंक और उपचारित अपशिष्ट जल को बावली (baolis) और जोहड़ (johads) जैसी पुनर्जीवित पारंपरिक संरचनाओं के साथ संयोजित करने से क्षीण जलभृतों का पुनर्निर्माण किया जा सकता है।
    • यह संकर पुनर्भरण रणनीति उन राज्यों के लिये अत्यावश्यक है जिन्होंने सुरक्षित दोहन सीमा को पार कर लिया है।
  • स्मार्ट सूक्ष्म-सिंचाई: स्वचालित वाल्वों से युक्त सौर-ऊर्जा संचालित ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणालियाँ किसानों को मृदा आर्द्रता और मौसम पूर्वानुमान के आधार पर सिंचाई करने में सक्षम बनाती हैं।
    • यह उपाय पर्याप्त जल बचत सुनिश्चित करता है, ऊर्जा उपयोग कम करता है तथा अनिश्चित विद्युत आपूर्ति पर निर्भरता घटाता है।

निष्कर्ष

भारत का जल भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि प्रत्येक बूँद का उपयोग कितनी बुद्धिमत्ता और कुशलता से किया जाता है। प्रौद्योगिकी, सामुदायिक नेतृत्व और संधारणीय कृषि पद्धतियों के समन्वय से देश अपनी संवेदनशील जल प्रणालियों का पुनर्निर्माण कर सकता है। समयानुकूल नवाचार और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से, दीर्घकालिक जल सुरक्षा एक चुनौती से एक वास्तविकता में परिवर्तित हो सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के भूजल क्षरण के संदर्भ में कृषि जल उपयोग में नवाचार की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य क्या है?

ये जल संरक्षण में नवाचार और नेतृत्व को मान्यता प्रदान करते हैं, जल समृद्ध भारत के विज़न का समर्थन करते हैं तथा जल उपयोग दक्षता, पुनर्भरण और सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं।

2. जल संचय जन भागीदारी (JSJB) पहल क्या है?

यह 3Cs मॉडल—सामुदायिक भागीदारी (Community), कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) और लागत (Cost)—के माध्यम से बड़े पैमाने पर सामुदायिक नेतृत्व वाले भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देती है, जिसके परिणामस्वरूप 35 लाख पुनर्भरण संरचनाएँ बनाई गईं, जो निर्धारित लक्ष्यों से कहीं अधिक हैं।

3. भारत की कृषि में जल उपयोग में नवाचार की आवश्यकता क्यों है?

क्योंकि पारंपरिक सिंचाई से 40% जल हानि होती है, भूजल का अतिदोहन हो रहा है, सूक्ष्म-सिंचाई का विस्तार सीमित है और जलवायु परिवर्तन मानसून को अनिश्चित बना रहा है।

4. JSJB पहल के तहत कौन-से लक्ष्य निर्धारित किये गए थे?

ज़िलों के लिये 10,000 पुनर्भरण संरचनाएँ (पूर्वोत्तर/पहाड़ी क्षेत्रों में 3,000), नगर निगमों के लिये 10,000 तथा शहरी स्थानीय निकायों के लिये कम-से-कम 2,000 संरचनाओं का लक्ष्य रखा गया था।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रीलिम्स

प्रश्न 1. 'वॉटरक्रेडिट' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. यह जल एवं स्वच्छता क्षेत्र में कार्य के लिये सूक्ष्म वित्त साधनों (माइक्रोफाइनेंस टूल्स) को लागू करता है।
  2. यह एक वैश्विक पहल है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक के तत्त्वावधान में प्रारंभ किया गया है।
  3. इसका उद्देश्य निर्धन व्यक्तियों को सहायिकी के बिना अपनी जल-संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये समर्थ बनाना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3  

उत्तर: (c)


प्रश्न 2. 'एकीकृत जलसम्भर विकास कार्यक्रम' को कार्यान्वित करने के क्या लाभ हैं? (2014)

  1. मृदा के बह जाने की रोकथाम
  2. देश की बारहमासी नदियों को मौसमी नदियों से जोड़ना
  3. वर्षा-जल संग्रहण तथा भौम-जलस्तर का पुनर्भरण
  4. प्राकृतिक वनस्पतियों का पुनर्जनन

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4   

उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न.1 जल संरक्षण एवं जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? (2020)

प्रश्न.2 रिक्तीकरण परिदृश्य में विवेकी जल उपयोग के लिये जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपायों को सुझाइए। (2020)