डॉ.एम.आर. श्रीनिवासन और भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम | 23 May 2025

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

डॉ. मालूर रामास्वामी श्रीनिवासन, परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) के पूर्व अध्यक्ष और भारत के परमाणु कार्यक्रम के अग्रदूत का निधन हो गया। उनके साथ ही भारतीय परमाणु ऊर्जा के एक अद्वितीय युग का अंत हुआ।

डॉ. मालूर रामास्वामी श्रीनिवासन कौन थे?

  • योगदान: श्रीनिवासन वर्ष 1955 में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) में शामिल हुए और डॉ. होमी जहाँगीर भाभा के अधीन कार्य किया तथा भारत के पहले परमाणु रिएक्टर अप्सरा में योगदान दिया।
    • उन्होंने तारापुर में भारत के पहले परमाणु ऊर्जा स्टेशन के लिये प्रधान परियोजना इंजीनियर और बाद में मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन के लिये मुख्य परियोजना इंजीनियर के रूप में कार्य किया।
    • वह भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) के संस्थापक-अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में 18 परमाणु ऊर्जा इकाइयों का विकास किया गया।
  • वैश्विक और राष्ट्रीय प्रभाव: डॉ. श्रीनिवासन ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, वियना (1990-92) के वरिष्ठ सलाहकार, योजना आयोग (1996-98) के सदस्य और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (2002-04, 2006-08) के सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने उच्च शिक्षा पर कर्नाटक टास्क फोर्स (2002-04) की अध्यक्षता भी की।
  • सम्मान और पुरस्कार: डॉ. श्रीनिवासन को पद्म श्री (1984), पद्म भूषण (1990) और पद्म विभूषण (2015) प्राप्त हुआ।

भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम क्या है?

  • परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम: भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम मुख्य रूप से डॉ. होमी जे. भाभा द्वारा तैयार किया गया था, जो एक प्रमुख भारतीय भौतिक विज्ञानी थे, जिन्हें प्रायः "भारतीय परमाणु कार्यक्रम का जनक" कहा जाता है। 
    • यह एक रणनीतिक, तीन-चरणीय योजना है जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा का उपयोग मुख्यतः शांतिपूर्ण उद्देश्यों, जैसे विद्युत उत्पादन के करने के साथ ही ऊर्जा संसाधनों में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।
    • इसे भारत के सीमित यूरेनियम भंडार और प्रचुर थोरियम संसाधनों का इष्टतम उपयोग करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • भारत का कार्यक्रम बंद ईंधन चक्र पर आधारित है ; प्रत्येक चरण अगले चरण के लिये ईंधन उत्पन्न करता है, जिससे संसाधनों का उपयोग बढ़ता है और अपव्यय कम होता है।

त्रि-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम:

  • चरण 1: प्राकृतिक यूरेनियम से संचालित दाबित भारी जल रिएक्टर (Pressurised Heavy Water Reactors- PHWRs) का उपयोग कर विद्युत उत्पादन करना तथा उप-उत्पादों के रूप में  प्लूटोनियम और अवक्षयित यूरेनियम का उत्पादन करना।
  • ऐसा अनुमान है कि चरण 1 में लगभग 420 गीगावाट-वर्ष (GWe-yrs) विद्युत का उत्पादन किया जा सकेगा।

  • चरण 2: फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) की तैनाती जो PHWR से प्लूटोनियम का उपयोग करके अधिक ईंधन एवं विद्युत उत्पन्न करते हैं (अतिरिक्त 54,000 GWe-वर्ष)। FBR थोरियम से यूरेनियम-233 भी बनाते हैं।

  • चरण 3: इसमें थोरियम आधारित रिएक्टरों का उपयोग करके थोरियम को विखंडनीय यूरेनियम-233 में परिवर्तित किया जाता है , जिससे सतत् और दीर्घकालिक परमाणु ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित होती है । 

  • इसका उद्देश्य भारत के प्रचुर थोरियम भंडार का उपयोग करके बड़े पैमाने पर विद्युत उत्पादन करना है। इस चरण से लगभग 358,000 GWe-yrs विद्युत उत्पादित होने का अनुमान है, जिससे कोयले की कमी से परे ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिलेगी।

    • विश्व का पहला थोरियम आधारित परमाणु संयंत्र, "भवनी", जिसमें यूरेनियम-233 का उपयोग किया जाएगा, तमिलनाडु के कलपक्कम में स्थापित किया जा रहा है।
  • वर्तमान स्थिति: चरण 1 व्यावसायिक रूप से परिपक्व हो चुका है। FBRs के साथ दूसरे चरण की शुरुआत तमिलनाडु के कलपक्कम में 500 मेगावाट क्षमता वाले रिएक्टर से हुई।
  • चरण 3 थोरियम आधारित प्रणालियों को पायलट पैमाने पर विकसित किया गया है; हालाँकि, इसका व्यावसायिक क्रियान्वयन अभी प्रारंभ होना शेष है।
  • तीन-चरणीय कार्यक्रम का विस्तार: परमाणु ऊर्जा क्षमता में तेजी लाने के लिये, भारत अपने तीन-चरणीय कार्यक्रम को आयातित रिएक्टरों के साथ पूरक बना रहा है। 

    • वर्तमान में रूसी सहयोग से निर्मित कुडनकुलम परमाणु विद्युत परियोजना (KKNPP) के तहत वर्ष 2013 और 2016 से दो 1,000 मेगावाट VVER (वाॅटर-वाॅटर एनर्जी) रिएक्टरों का संचालन हो रहा है तथा चार और निर्माणाधीन हैं। 
    • सुरक्षा और विश्वसनीयता के लिये जाने जाने वाले VVER रिएक्टरों का उपयोग विश्व स्तर पर किया जाता है।
    • परमाणु ऊर्जा, भारत में विद्युत् ऊर्जा का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्रोत है जिसका देश के कुल विद्युत् उत्पादन में लगभग 3% का योगदान है।
  • भविष्य की योजनाएँ और अनुमान: परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2032 तक कुल ऊर्जा में परमाणु ऊर्जा का हिस्सा लगभग 8.6% और वर्ष 2052 तक 16.6% होगा। 

 

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत के तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की व्याख्या करते हुए परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के क्रम में इसकी भूमिका का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर "आई.ए.ई.ए सुरक्षा उपायों" के अधीन रखे जाते हैं जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का।
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का।
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा।
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले।

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई ज़रूरतों के परिप्रेक्ष में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों और भयों की विवेचना कीजिये। (2018)