डाॅल्फिन जनगणना | 03 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये:

इरावदी डॉल्फिन, चिल्का झील, भीतरकनिका व गहिरमाथा अभयारण्य (इनके अध्ययन के लिये मैप का उपयोग कीजिये)

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन का जीवों पर प्रभाव, जीव संरक्षण व पर्यावरण प्रभाव आकलन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर-लेखन में इस प्रकार के बिंदुओं को संदर्भ अथवा उदाहरण (आवश्यकता) के तौर पर उपयोग किया जा सकता है।

चर्चा में क्यों?

19 जनवरी, 2020 को ओडिशा राज्य के वन विभाग द्वारा राज्य में भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान तथा उसमें स्थित गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में एक दिवसीय डॉल्फिन जनगणना का आयोजन किया गया जिसमें पिछली जनगणना के मुकाबले इस वर्ष डॉल्फिन की संख्या में कमी देखने को मिली।

मुख्य बिंदु:

  • 24 फरवरी, 2020 को प्रकाशित डॉल्फिन जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में डॉल्फिन की कुल संख्या वर्ष 2020 में 233 दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2019 यह संख्या 259 तथा वर्ष 2015 में 270 थी।
  • वर्ष 2020 में हुई डॉल्फिन जनगणना में केवल 62 डॉल्फिन्स को ही गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में देखा गया।
  • वर्ष 2019 में गहिरमाथा में संपन्न डॉल्फिन जनगणना में जहाँ इनकी संख्या 126 आँकी गई थी, वहीं वर्ष 2015 की जनगणना में यह संख्या 307 थी।
  • गहिरमाथा में हुई डॉल्फिन जनगणना में 60 इरावदी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphins) तथा 2 बोटल नोज़ डॉल्फिन (Bottle-nose Dolphins) ही गहिरमाथा में देखी गई हैं। जबकि वर्ष 2019 में हुई डॉल्फिन जनगणना में 14 इरावदी डॉल्फिन, 14 बोटल नोज़ डॉल्फिन तथा 98 हंपबैक डॉल्फिन (Humpback Dolphins) देखी गई।
  • गहिरमाथा में प्रथम डॉल्फिन जनगणना वर्ष 2015 में संपन्न हुई जिसमें 58 इरावदी डाॅल्फिन, 23 बोटल नोज़ डॉल्फिन्स,123 सूसा चिनेंसिस डॉल्फिन (Sousa Chinensis Dolphins), 50 सोसा प्ल्म्बेरा डॉल्फिन (Sousa plumbera dolphins),15 पेनट्रोपिक स्पॉटेड डॉल्फिन (Pantropical Spotted Dolphins), 1 फिनलेस प्रपोईस डॉल्फिन (Finless Porpoise Dolphin) यानी वर्ष 2015 में डॉल्फिन की कुल संख्या 270 पाई गई थी।
  • हालाँकि प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कुल डॉल्फिन की संख्या में गिरावट के बावजूद चिल्का झील में डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि देखी गई है जो वर्ष 2019 के 130 की तुलना में वर्ष 2020 में बढ़कर 146 हो गई हैं।
  • वर्ष 2020 की गहिरमाथा डॉल्फिन जनगणना इस क्रम की चौथी डॉल्फिन जनगणना है।
  • सर्वप्रथम गहिरमाथा में डॉल्फिन जनगणना वर्ष 2015 में संपन्न कराई गई उसके बाद वर्ष 2018 और वर्ष 2019 की जनगणना संपन्न की गई।

डॉल्फिन की संख्या में गिरावट के कारण:

  • जलवायु परिवर्तन, प्रतिकूल मौसम, अवैध शिकार आदि कुछ मुख्य कारण हैं जिनके चलते राज्य में डॉल्फिन की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
  • इसके अलावा शिकार के दौरान जाल में फँसकर या फिर मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर से टकराकर भी इनकी मृत्यु हो जाती है जिसके चलते इनकी संख्या में कमी दर्ज की गई है।
  • जलवायु परिवर्तन एवं अत्यधिक वर्षा के कारण जल की लवणता कम होने की वजह से इस वर्ष कई इरावदी डॉल्फिन ने गहिरमाथा से चिल्का झील की तरफ तथा हंपबैक डॉल्फिन ने समुद्र की तरफ प्रवास किया है जिस कारण गहिरमाथा में इस वर्ष जनगणना के दौरान एक भी हमबैक डॉल्फिन को नहीं देखा गया।
  • गहिरमाथा में डॉल्फिन की संख्या में हुई कमी स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का सूचक नहीं है, यह गहिरमाथा में हुए पारिस्थितिकी बदलाव की तरफ इशारा करता है।

गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य:

  • गहिरमाथा ओडिशा के केंद्रपाड़ा ज़िले में भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है।
  • यह ओडिशा का एकमात्र समुद्री अभयारण्य है।
  • गहिरमाथा का समुद्री तट ओलिव रिडले कछुओं (Olive Ridleys Turtuls) का विश्व में सबसे बड़ा प्रजनन स्थल है।

चिल्का झील :

  • यह ओडिशा राज्य के पूर्वी तट पर स्थित है जो पुरी (Puri), खुर्दा (Khurda), गंजम (Ganjam) ज़िलों में विस्तारित है।
  • यह एशिया की सबसे बड़ी आंतरिक खारे पानी की लैगून झील है।
  • वर्ष 1971 में इसे रामसर अभिसमय के तहत आर्द्रभूमि स्थल के रूप में शामिल किया गया है।
  • यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों के लिये सबसे बड़ा शीतकालीन मैदान है।
  • चिल्का झील के दक्षिण में स्थित सतपद (Satapada) इरावदी डॉल्फिन के लिये प्रसिद्ध है।
  • विश्व में इरावदी डॉल्फिन की सर्वाधिक आबादी चिल्का झील में ही देखी जाती है।

डॉल्फिन:

  • डॉल्फिन को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनयम 1972 की अनुसूची 1 में शामिल किया गया है।
  • यह लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अभिसमय (Convention on International Trade in Endangered Species) के अनुबंध 1 तथा प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (Convention on Migratory Species) के अनुबंध II में शामिल है।
  • प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for the Conservation of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में डाॅल्फिन को संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में शामिल किया गया है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ