भारत के निर्यात बाज़ारों का विविधीकरण | 08 Nov 2025

स्रोत: ET

चर्चा में क्यों?

भारत के निर्यात परिदृश्य में बदलाव देखने को मिल रहा है, जहाँ गैर-अमेरिकी बाज़ार अब अमेरिका से हुई हानि की प्रतिपूर्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। देश की व्यापार विविधीकरण नीति के सफल कार्यान्वयन से मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में नए व्यापारिक अवसर तेज़ी से उभर रहे हैं।

  • अमेरिका को निर्यात में 12% की गिरावट के बावजूद, भारत का व्यापारिक निर्यात 6.7% से बढ़कर 36.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो अनुकूल विविधीकरण को दर्शाता है।
  • निर्यात विविधीकरण किसी देश के उत्पादों और बाज़ारों का विस्तार करता है, जिससे कुछ सीमित साझेदारों पर निर्भरता कम होती है और आर्थिक स्थिरता, व्यापारिक लचीलापन तथा नवाचार को प्रोत्साहन मिलता है।

भारत की निर्यात विविधीकरण रणनीति के प्रमुख रुझान क्या हैं?

  • अमेरिका को निर्यात में गिरावट: घटती मांग और व्यापारिक तनाव के कारण भारत का अमेरिका को निर्यात कम हुआ है। अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच टैरिफ 10% से बढ़कर 50% हो गया, जिससे निर्यात 8.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
    • यहाँ तक कि टैरिफ-मुक्त निर्यात भी 3.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 47% घटकर 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया, हालाँकि वैकल्पिक बाज़ारों के माध्यम से कुल निर्यात लचीला बना हुआ है।
  • गैर-अमेरिकी बाज़ारों का उदय: अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व भारत के लिये प्रमुख बाज़ार बन गए हैं, जो फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्रों, इंजीनियरिंग उत्पादों और मशीनरी का आयात करते हैं।
    • समुद्री निर्यात चीन, वियतनाम और थाईलैंड को 60% बढ़ा, बासमती चावल का निर्यात ईरान को छह गुना बढ़ा और चाय का निर्यात संयुक्त अरब अमीरात, इराक तथा जर्मनी तक विस्तारित हुआ।
  • सरकार और नीतिगत पहल: भारतीय सरकार ने इन गैर-अमेरिकी क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रणनीतिक रूप से नीतियाँ लागू की हैं। विदेशी व्यापार नीति 2023 और बाज़ार पहुँच पहल (MAI) जैसे कार्यक्रम नए साझेदारों के साथ व्यापारिक संबंधों को सुदृढ़ करने, प्रोत्साहन प्रदान करने और लॉजिस्टिक अवरोधों को कम करने पर केंद्रित हैं।

भारत के निर्यात के विविधीकरण को प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?

  • क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते (FTA): भारत की विभिन्न क्षेत्रीय FTA में भागीदारी उसके निर्यात आधार को विविधीकरण देने में एक महत्त्वपूर्ण कारक रही है। UAE, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ FTA ने व्यापार के नए मार्ग खोले हैं।
  • आपूर्ति शृंखला प्रबंधन: भारत चीन-प्लस-वन रणनीतियों में एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभरा है, जिससे वैश्विक कंपनियों को आकर्षित किया गया और पारंपरिक बाज़ारों से परे मूल्य संवर्द्धन एवं विविधीकरण को बढ़ावा मिला है।
  • सरकारी पहुँच: यूरोप, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 40 प्रमुख आयातक देशों की पहचान, जो वैश्विक वस्त्र और परिधान मांग का तीन-चौथाई हिस्सा हैं। उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएँ उच्च विकास वाले क्षेत्रों में विनिर्माण और निर्यात में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देती हैं।
  • दीर्घकालिक लक्ष्य: भारत का लक्ष्य अमेरिकी बाज़ार पर निर्भरता कम करना तथा विविधीकरण के माध्यम से अपने वैश्विक निर्यात का विस्तार करना है।
    • इसका लक्ष्य विकसित भारत 2047 के अनुरूप लचीली, टिकाऊ व्यापार प्रणालियों का निर्माण करना तथा शीर्ष 3 वैश्विक निर्यातक बनने का लक्ष्य है।

भारत का निर्यात बास्केट (वित्तीय वर्ष 2024-25)

  • इंजीनियरिंग वस्तुएँ: कुल 26.67% हिस्सेदारी के साथ यह सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता क्षेत्र है, जिसकी कुल निर्यात राशि 116.67 अरब अमेरिकी डॉलर है। प्रमुख निर्यात गंतव्य हैं- अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम (UK) और जर्मनी। वर्ष 2021-22 से इस क्षेत्र का निर्यात लगातार 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक बना हुआ है।
  • कृषि एवं संबद्ध उत्पाद: सबसे बड़ा योगदान 26.67% का है, जो कुल USD 116.67 बिलियन है। प्रमुख वस्तुएँ: मसाले, कॉफी, चाय, तंबाकू, चावल, फल और सब्जियाँ, समुद्री उत्पाद
    • मसालों के लिये प्रमुख गंतव्य: चीन, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, थाईलैंड; कॉफी: इटली, रूस, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, बेल्ज़ियम, संयुक्त राज्य अमेरिका
  • फार्मास्यूटिकल्स: भारत 200 से अधिक देशों को दवाइयों का निर्यात करता है, जिसमें वर्ष 2014-15 से लगातार वृद्धि का रुझान जारी है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स: कंप्यूटर हार्डवेयर और बाह्य उपकरण 0.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से दोगुना होकर 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गए। प्रमुख निर्यात बाज़ार: संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, नीदरलैंड, ब्रिटेन, इटली।

India's_Export_Basket

निष्कर्ष:

विविधीकरण की संभावनाएँ अवश्य हैं, परंतु चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं—अमेरिकी बाज़ार के उच्च मूल्य को पूरी तरह प्रतिस्थापित करना कठिन है, साथ ही चीन से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना भी करना पड़ रहा है। फिर भी, एक सुदृढ़ और अनुकूल निर्यात अर्थव्यवस्था के निर्माण तथा वर्ष 2030 तक व्यापार को 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने के लक्ष्य के संदर्भ में, संभावित अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) नए अवसर प्रस्तुत कर सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: अमेरिकी टैरिफ वृद्धि ने भारत के निर्यात प्रोफाइल को किस प्रकार प्रभावित किया है और इन प्रभावों को कम करने के लिये भारत ने क्या रणनीति अपनाई है?

1. भारत ने अपनी निर्यात विविधीकरण रणनीति क्यों शुरू की?
अमेरिका द्वारा भारतीय मूल के सामानों पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद, जिसका असर कपड़ा, रत्न और कालीन जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर पड़ा, भारत ने निर्यात विविधीकरण शुरू किया।

2. भारतीय निर्यात के लिये कौन से देश नए गंतव्य बनकर उभरे हैं?
संयुक्त अरब अमीरात, फ्राँस, जापान, चीन, वियतनाम और थाईलैंड भारतीय निर्यात के लिये प्रमुख वैकल्पिक बाज़ार बन गए हैं।

3. सरकार निर्यात विविधीकरण को कैसे सुगम बना रही है?
40 प्रमुख आयातक देशों की पहचान करके, वैश्विक आपूर्ति शृंखला एकीकरण को मज़बूत करके और गहन तकनीक और विनिर्माण निर्यात को बढ़ावा देकर।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. 'भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण  वाशिंगटन का अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भी भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज़ करने में विफलता है,  जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट  कर सके।' उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019)