डिजिटल भुगतान सूचकांक | 12 Feb 2020

प्रीलिम्स के लिये:

डिजिटल भुगतान सूचकांक, अखिल भारतीय चेक ट्रंकेशन प्रणाली

मेन्स के लिये:

RBI का विकासात्मक एवं विनियामक नीति संबंधी वक्तव्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) द्वारा जारी विकासात्मक एवं विनियामक नीति संबंधी वक्तव्य (Statement on Developmental and Regulatory Policies) में डिजिटल भुगतान संबंधी प्रावधानों की चर्चा की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • RBI द्वारा जारी इस वक्तव्य में डिजिटल भुगतानों की सीमा का प्रभावी ढंग से आकलन करने के लिये एक डिजिटल भुगतान सूचकांक (Digital Payments Index- DPI) प्रारंभ करने की घोषणा की गई है।
  • RBI द्वारा जारी यह वक्तव्य क्रेडिट प्रवाह में सुधार, मौद्रिक संचरण को सुदृढ़ करने, विनियमन और पर्यवेक्षण को मज़बूत करने, वित्तीय बाजारों को व्यापक बनाने तथा भुगतान और निपटान प्रणाली में सुधार के लिये विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है।

क्या है डिजिटल भुगतान सूचकांक?

  • RBI द्वारा दिये गए विकासात्मक एवं विनियामक नीति संबंधी वक्तव्य के अनुसार, भारत में डिजिटल भुगतान तेज़ी से बढ़ रहा है। RBI समय-समय पर भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा का प्रभावी ढंग से आकलन करने के लिये एक समग्र ‘डिजिटल भुगतान सूचकांक’ का निर्माण करेगा।
  • DPI कई मापदंडों पर आधारित होगा और विभिन्न डिजिटल भुगतान के तरीकों की पहुँच और गहनता को सटीक रूप से आकलित करेगा।
  • DPI को जुलाई 2020 से प्रारंभ किया जाएगा।

भुगतान एवं निपटान प्रणाली संबंधी अन्य प्रावधान:

  • डिजिटल भुगतान प्रणाली के लिये स्व-विनियामक संगठन (Self-Regulatory Organisation- SRO) की स्थापना की रूपरेखा:
    • RBI द्वारा जारी विकासात्मक एवं विनियामक नीति संबंधी वक्तव्य के अनुसार, भुगतान तंत्र में डिजिटल भुगतान में पर्याप्त संवृद्धि और संस्थाओं की भुगतान प्रणाली में प्राप्त परिपक्वता सहित संस्थाओं के व्यवस्थित परिचालन के लिये स्व-नियामक संगठन होना आवश्यक है।
    • RBI धन की सुरक्षा, ग्राहक संरक्षण और मूल्य निर्धारण की सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अप्रैल 2020 तक डिजिटल भुगतान प्रणाली के लिये एक स्व-नियामक संगठन की स्थापना की रूपरेखा तैयार करेगा।
  • अखिल भारतीय चेक ट्रंकेशन प्रणाली (Pan India Cheque Truncation System-CTS):
    • चेक ट्रंकेशन प्रणाली वर्तमान में देश के प्रमुख समाशोधन गृहों में ही परिचालित है तथा इसने अच्छी तरह से स्थिर होकर दक्षता हासिल की है।
    • इसको देखते हुए एक अखिल भारतीय चेक ट्रंकेशन प्रणाली को सितंबर 2020 तक परिचालित कर दिया जाएगा।

अन्य प्रयास:

  • बैंकिंग नियामक संस्थाएँ और सरकार डिजिटल वॉलेट्स, इंटरनेट बैंकिंग, क्रेडिट और क्रेडिट कार्ड जैसी कैशलेस भुगतान प्रणालियों को अपनाने की सुविधा पर काम कर रही है।
  • सरकार ने हाल ही में रुपे डेबिट कार्ड और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से किये जाने वाले भुगतान पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (Merchant Discount Rates-MDR) को समाप्त कर दिया है।

डिजिटल इंडिया एक ऐसा विचार है जिसको व्यावहारिक रूप में अपनाना आवश्यक है लेकिन इसके लिये कारगर उपाय करने होंगे, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को और भी अधिक गतिमान और समृद्ध बनाया जा सके।

स्रोत- लाइव मिंट