डिजिटल जवाबदेही और पारदर्शिता अधिनियम: डेटा | 25 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये:

नियंत्रक और महालेखा परीक्षक,‘डिजिटल जवाबदेही और पारदर्शिता अधिनियम के मुख्य प्रावधान 

मेन्स के लिये: 

शासन व्यवस्था में पारदर्शिता एवं जवाबदेहीता स्थापित करने में  ‘डिजिटल जवाबदेही और पारदर्शिता अधिनियम’ का महत्त्व 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में ‘नियंत्रक और महालेखा परीक्षक’ (Comptroller and Auditor General-CAG) ने  ‘डिजिटल जवाबदेही और पारदर्शिता अधिनियम’ (Digital Accountability and Transparency Act-DATA) नामक एक प्रस्तावित परियोजना एवं कानून के तहत  केंद्र सरकार के लिये अनिवार्य डिजिटल भुगतान, लेखांकन एवं लेन देन हेतु डिजिटलीकरण के माध्यम से तीन चरण के  ट्रांज़िशन (Three-Phase Transition) का सुझाव दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • तीन चरण के ट्रांज़िशन (Three-Phase Transition) के सुझाव में डिजिटल सार्वजनिक उपयोगिताओं की आवश्यकता को चिह्नित किया गया हैं। 
    • इन सुझावों में न केवल ई-सेवाएँ  शामिल हैं, बल्कि सभी सरकारी राजस्व एवं व्यय आँकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक, मशीनी माध्यम से पढ़ने योग्य, गैर-प्रतिकारक, विश्वसनीय, सुलभ और खोजने योग्य बनाया गया है।
  • डिजिटलीकरण के लिये 100% एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक डेटा कैप्चर अर्थात् डेटा तक शुरु से लेकर अंत तक  इलेक्ट्रॉनिक पहुँच आवश्यक है। 
    • इसमें सभी रसीदें एवं व्यय का लेन देन शामिल हैं। एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक डेटा कैप्चर में  माँगों, मूल्यांकन और चालान की  प्राप्ति (Received), संसाधित (Processed) एवं भुगतान (Paid) इत्यदि को  इलेक्ट्रॉनिक रूप से  शामिल किया जाना है।
  • सभी सरकारी संस्थाओं में डेटा गवर्नेंस के लिये निर्धारित मानक ज़रुरी है।
    • डेटा मानक का  अर्थ है डेटा के घटकों का वर्णन एवं रिकॉर्डिंग करने के नियम जो डेटा के एकीकरण (Integration), साझाकरण (Sharing) और अंतर-सक्षमता (Interoperability) के लिये आवश्यक हैं।
  • प्रौद्योगिकी वस्तुसंरचना
    • इसके तहत मजबूत सुरक्षा के साथ-साथ गोपनीयता को सुनिश्चित करते हुए सभी आईटी सरकारी प्रणालियों को एक निर्धारित स्वतंत्र  वस्तुसंरचना ढाँचे के अनुरूप विकसित किया जाएगा।

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डिजिटलीकरण के लाभ:

  • डिजिटलीकरण के माध्यम से बजट के अलावा किये गए लेनदेन, व्यावसायिक निरंतरता (जैसे  फ़ाइलों या पेपर रिकॉर्ड की तरह इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड खो नहीं सकते हैं) एवं असंगत लेखापरीक्षण की पहचान की जा सकती है।
  • यह संसद और विधान सभाओं को यह आश्वासन देने में सक्षम बनाएगा कि सरकार के द्वारा  एकत्र किया गया प्रत्येक रुपया/धनराशि उसी उद्देश्य के लिये खर्च की गई है जिसके लिये इसे आवंटित किया गया था।
  • डिजिटलीकरण द्वारा  लेन-देन में  डेटा मानकीकरण के निर्धारण से डेटा की अस्पष्टता दूर होगी साथ ही अनावश्यक डेटा को कम किया जा सकेगा जिससे विभिन्न डेटाबेस के एकीकरण के लिये प्रोटोकॉल बनाने में आसानी होगी।
  • यह संज्ञानात्मक बुद्धिमत्ता उपकरणों जैसे एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग के उपयोग को सक्षम बनाएगा जिसका उपयोग बजट आधार स्थापित करने में , त्रुटियों का पता लगाने में , डेटा-संचालित योजना के क्रियान्वयन में तथा विभागों एवं  एजेंसियों के तुलनात्मक प्रदर्शन हेतु मानक स्थापित करने में किया जा सकता है ।

स्रोत: द हिंदू