भारतीय रेलवे का विकार्बनीकरण | 21 Oct 2025

स्रोत:द हिंदू

प्रिलिम्स के लिये: हाइड्रोजन ट्रेन, रेल विद्युतीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित वित्त, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, COP26 पंचामृत लक्ष्य।

मेंस के लिये: सतत् परिवहन, हरित हाइड्रोजन अपनाना, जलवायु वित्त

चर्चा में क्यों?

जुलाई 2025 में, भारतीय रेलवे ने चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में भारत के पहले हाइड्रोजन-संचालित कोच का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह वर्ष 2030 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की भारतीय रेलवे की व्यापक महत्त्वाकांक्षा को दर्शाता है।

भारतीय रेलवे ने कम कार्बन उत्सर्जन वाले भविष्य के लिये क्या महत्त्वपूर्ण पहल की है?

  • विद्युतीकरण और DFC: पिछले दशक में लगभग 45,000 किमी ब्रॉड-गेज ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया; ब्रॉड-गेज नेटवर्क का 98% हिस्सा अब विद्युत पर चलता है, जिसका उद्देश्य डीजल पर निर्भरता कम करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करना है।
    • समर्पित माल गलियारों (DFC) के माध्यम से वर्ष 2030 तक रेल माल ढुलाई हिस्सेदारी को 45% तक बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण: कुल 756 मेगावाट नवीकरणीय क्षमता चालू की गई - जिसमें 553 मेगावाट सौर, 103 मेगावाट पवन और 100 मेगावाट हाइब्रिड शामिल हैं।
  • विरासत के लिये हाइड्रोजन पहल: इस कार्यक्रम के तहत 35 हाइड्रोजन-संचालित ट्रेनें शुरू की जाएंगी, जिनमें जुलाई 2025 में ICF में सफलतापूर्वक परीक्षण की गई ट्रेन भी शामिल है।
  • जलवायु वित्त सहायता: वित्त वर्ष 2023 से, भारत ने सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड में ₹58,000 करोड़ जारी किये हैं, जिसमें से ₹42,000 करोड़ परिवहन विद्युतीकरण और रेल विस्तार के लिये निर्देशित किये गए हैं।
    • भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसमें 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ग्रीन बॉण्ड (वर्ष 2017) और नवीकरणीय क्षमता निर्माण के लिये NTPC ग्रीन एनर्जी को 7,500 करोड़ रुपये का ऋण शामिल है।
    • विश्व बैंक ने माल ढुलाई दक्षता बढ़ाने के लिये रेल लॉजिस्टिक्स परियोजना के तहत 245 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण भी दिया है।

भारतीय रेलवे के विकार्बनीकरण का प्रमुख महत्त्व क्या है?

  • पर्यावरणीय प्रभाव: हाइड्रोजन पहल, बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण के साथ, प्रतिवर्ष 60 मिलियन टन CO₂ को रोकने में मदद कर सकती है, जो भारतीय सड़कों से 13 मिलियन कारों को प्रतिस्थापित करने के बराबर है।
  • आर्थिक बचत: वर्ष 2030 तक, रेलवे ऊर्जा दक्षता और विद्युतीकरण के माध्यम से ईंधन लागत में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत कर सकता है।
  • ऊर्जा स्वतंत्रता: ग्रीन हाइड्रोजन आयातित जीवाश्म ईंधन पर भारत की निर्भरता को कम कर सकता है और घरेलू स्वच्छ ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दे सकता है।
  • जन जागरूकता: 24 मिलियन दैनिक यात्रियों के साथ, भारतीय रेलवे सतत् परिवहन और जलवायु कार्रवाई के लिये एक बड़े पैमाने पर जागरूकता मंच के रूप में कार्य कर सकता है।

भारतीय रेलवे की स्थिति

  • भारतीय रेल भारत की जीवन रेखा है, जो प्रतिवर्ष 8 अरब से अधिक यात्रियों को परिवहन प्रदान करती है।
  • आर्थिक भूमिका: कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट और कृषि उपज के परिवहन द्वारा औद्योगिक और कृषि व्यापार को सुविधाजनक बनाती है - लॉजिस्टिक्स लागत को कम करती है और निर्यात को बढ़ावा देती है।
  • रोज़गार और कनेक्टिविटी: 1.2 मिलियन कर्मचारियों के साथ, यह विश्व के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है। ग्रामीण और शहरी भारत को जोड़ता है तथा आजीविका का समर्थन करती है। 
  • स्थिरता: वर्ष 2030 तक पूर्ण विद्युतीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना और बायो-टॉयलेट जैसे पर्यावरण अनुकूल उपाय से कार्बन न्यूट्रैलिटी का लक्ष्य है।
  • शहरी और रणनीतिक महत्त्व: मेट्रो और रैपिड रेल नेटवर्क को बढ़ाने से भीड़ कम होती है, जबकि फ्रेट कॉरिडोर डिफेंस लॉजिस्टिक्स को मज़बूत करते हैं।

भारतीय रेलवे के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में प्रमुख चुनौतियाँ

  • उच्च उत्पादन लागत: ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन महॅंगा है, जिससे रेलवे जैसे बड़े संगठन के लिये  वृहद पैमाने पर अपनाना वित्तीय रूप से चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • अस्थिर संचालन लागत: हाइड्रोजन ईंधन वाली ट्रेनों की परिचालन लागत अभी भारतीय संदर्भ में स्थापित नहीं हुई है। प्रारंभिक लागतें अधिक होने की उम्मीद है, लेकिन तैनाती बढ़ने पर यह कम हो सकती है
  • डीजल का कम हिस्सा: रेलवे ट्रैक्शन कुल राष्ट्रीय डीजल उपयोग का केवल लगभग 3% (2021-22 के अनुसार) है, जबकि ट्रक 28% और कृषि 13.2% है।
    • इसलिये, पूर्ण रेल विद्युतीकरण केवल डीजल उत्सर्जन का एक छोटा हिस्सा समाप्त करता है, जबकि अन्य क्षेत्र अभी भी मुख्य प्रदूषक बने रहते हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा का समाकलन: विद्युतीकरण की सफलता कोयला आधारित ग्रिड पावर के बजाय नवीकरणीय विद्युत पर निर्भर करती है, ताकि वास्तविक कार्बन न्यूट्रलाइजेशन सुनिश्चित किया जा सके।

भारतीय रेलवे अपने विकार्बनीकरण में आने वाली बाधाओं को कैसे दूर कर सकता है?

  • लागत कम करने के उपाय:अनुसंधान एवं विकास और सार्वजनिक-निजी भागीदारी में निवेश करके ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन लागत को पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं और स्वदेशी तकनीक के माध्यम से कम करना।
  • रेल वाहनों में नवाचार: हाइड्रोजन फ्यूल सेल ट्रेनों का व्यापक विस्तार उन मार्गों पर, जहाँ  विद्युतीकरण लागत-कुशल नहीं है।
    • AI-सक्षम ऊर्जा अनुकूलन, एरोडायनामिक कोच और रीजेनरेटिव ब्रेकिंग को शामिल करना।
  • व्यावहारिक परिवर्तन और जागरूकता: ट्रेनों के लिये ग्रीन सर्टिफिकेशन, सेवाओं पर कार्बन लेबलिंग और सार्वजनिक अभियान शुरू करना।
    • नागरिकों और व्यवसायों को क्लाइमेट-स्मार्ट रेल उपयोग में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करना।
  • ग्रीन पावर फॉर ग्रीन ट्रेन: कोयले से चलने वाले ग्रिड से होने वाले उत्सर्जन से बचने के लिये विद्युतीकरण को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत की खरीद के साथ जोड़ा जाना चाहिये।
    • सौर और पवन ऊर्जा उत्पादकों के साथ दीर्घकालिक पावर खरीद समझौते (PPA) की सिफारिश करना।
  • वित्तीय सहायता: प्रारंभिक उच्च लागत को सहने के लिये ग्रीन बॉण्ड, इंटरनेशनल क्लाइमेट फंड और वायबिलिटी गैप फंडिंग का लाभ उठाना।

निष्कर्ष:

भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन और विद्युतीकरण पहलें भारत की सतत् विकास यात्रा में एक परिवर्तनकारी पहल साबित होती हैं। हालाँकि उच्च लागत और समाकलन संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, दीर्घकालिक लाभ जैसे जलवायु प्रभाव, ऊर्जा सुरक्षा एवं आर्थिक दक्षता इस परिवर्तन को सफल और दूरदर्शी बनाते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. भारतीय रेलवे की कार्बन न्यूट्रल पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करना है, इसके लिये विद्युतीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा का समाकलन और ग्रीन हाइड्रोजन तकनीक को अपनाया जा रहा है।

2. हाइड्रोजन-चालित ट्रेन भारत के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के साथ कैसे मेल खाती है?
यह राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लक्ष्य का समर्थन करती है, जिसमें वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना शामिल है और स्वच्छ परिवहन समाधान को बढ़ावा देती है।

3. भारत में हाइड्रोजन-आधारित ट्रेनों को लागू करने में कौन-सी चुनौतियाँ हैं?
मुख्य चुनौतियों में शामिल हैं: ग्रीन हाइड्रोजन का उच्च उत्पादन लागत, संचालन लागत का अस्पष्ट होना और विद्युतीकृत मार्गों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत सुनिश्चित करना

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न. भारतीय रेलवे द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन अपनाना भारत के नेट-जीरो लक्ष्यों की ओर राज्य-प्रेरित जलवायु कार्रवाई के लिये एक मॉडल कैसे बन सकता है?

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. भारतीय रेलवे द्वारा उपयोग किये जाने वाले जैव-शौचालय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. जैव-शौचालय में मानव अपशिष्ट का अपघटन एक कवक इनोकुलम द्वारा शुरू किया जाता है।
  2.   इस अपघटन में अमोनिया और जलवाष्प एकमात्र अंतिम उत्पाद हैं जो वायुमंडल में निर्मुक्त होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)