10 वर्षों में 186 हाथियों की मौत | 18 May 2021

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अनुसार, 2009-10 और 2020-21 के मध्य पूरे भारत में ट्रेनों की चपेट में आने से कुल 186 हाथियों की मौत हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • आँकड़ों का विश्लेषण:
    • असम में रेल की पटरियों पर सर्वाधिक संख्या (62) में हाथियों की मौत हुई है, इसके बाद पश्चिम बंगाल (57) और ओडिशा (27) का स्थान है।
      • उत्तर प्रदेश में एक हाथी की मौत हुई थी।
  • मौतों को रोकने के लिये उपाय:
    • रेल दुर्घटनाओं से होने वाली हाथियों की मौत को रोकने के लिये रेल मंत्रालय और MoEFCC के बीच एक स्थायी समन्वय समिति का गठन किया गया है।
    • लोको पायलटों को स्पष्ट दिखाई देने के लिये रेलवे पटरियों के किनारे के पेड़-पौधों या वनस्पतियों की सफाई करना, हाथियों के सुरक्षित आवागमन हेतु अंडरपास/ओवरपास का निर्माण करना, रेलवे पटरियों के संवेदनशील हिस्सों की नियमित गश्त या पेट्रोलिंग, उपयुक्त स्थानों पर चेतावनी संकेतक बोर्डों का उपयोग करना आदि।
    • MoEFCC ने 2011-12 और 2020-21 के बीच हाथी परियोजना के तहत हाथी रेंज वाले राज्यों को 212.49 करोड़ रुपए आवंटित किये।
    • प्रजातियों द्वारा प्रदान की जाने वाली मूल्यवान पारिस्थितिक सेवाओं पर विचार करते हुए वर्ष 2010 में 'हाथी को राष्ट्रीय विरासत पशु' घोषित किया गया था।
      • हाथी, वन और वुडलैंड पारिस्थितिकी तंत्र के वास्तुकार (कीस्टोन प्रजाति) हैं।
      • हाथियों को प्रकृति के माली (Gardener) के रूप में माना जाता है क्योंकि वे भू-आकृतिक को आकार देने, परागण, बीजों के अंकुरण और गोबर के ढेर के साथ वन क्षेत्र में मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • हाथी परियोजना:

    • परिचय:
      • इसे वर्ष 1992 में जंगली एशियाई हाथियों की मुक्त आबादी के लिये राज्यों द्वारा वन्यजीव प्रबंधन प्रयासों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था।
      • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है।
    • उद्देश्य:
      • हाथियों के साथ-साथ उनके आवास और गलियारों की रक्षा करना।
      • मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दों की पहचान करना।
      • बंदीगृहों में कैद हाथियों का मुक्त करना।
    • कार्यान्वयन:
      • यह परियोजना मुख्य रूप से 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कार्यान्वित की जा रही है: आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल।
  • हाथियों की गणना:

    • हाथी परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक 5 वर्षों में एक बार हाथियों की गणना की जाती है। पिछली बार हाथियों की गणना वर्ष 2017 में हुई थी।
    • हाथी जनगणना 2017 के अनुसार, भारत में एशियाई हाथियों की कुल संख्या 27,312 है।
      • यह संख्या वर्ष 2012 में हुए जनगणना अनुमान (29,391 से 30,711 के बीच) से कम है।
      • कर्नाटक में हाथियों की संख्या सर्वाधिक है, इसके बाद असम और केरल का स्थान है।
  • एलीफेंट रिज़र्व:

    • भारत में लगभग 32 एलीफेंट रिज़र्व हैं। भारत का पहला एलीफेंट रिज़र्व झारखंड का सिंहभूम एलीफेंट रिज़र्व है।
  • एशियाई हाथियों की संरक्षण स्थिति

  • संबंधित वैश्विक पहल:

    • हाथियों की अवैध हत्या का निगरानी कार्यक्रम (Monitoring the Illegal Killing of Elephants – MIKE), वर्ष2003 में शुरू किया गया। यह एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है जो पूरे अफ्रीका और एशिया से हाथियों की अवैध हत्या से संबंधित सूचना के अनुमानों की पहचान (ट्रैक) करता है, ताकि क्षेत्र में संरक्षण प्रयासों की प्रभावशीलता से निगरानी की जा सके।
  • नवीन गतिविधियाँ:

    • सीड्स बम या बॉल (Seed Bombs):
      • हाल ही में ओडिशा के अथागढ़ वन प्रभाग ने मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिये जंगली हाथियों हेतु खाद्य भंडार को समृद्ध करने के लिये विभिन्न आरक्षित वन क्षेत्रों के अंदर बीज गेंदों (या बम) का प्रयोग शुरू कर दिया है।
    • जानवरों के प्रवासी मार्ग का अधिकार:
      • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने नीलगिरि हाथी कॉरिडोर (Nilgiris Elephant Corridor) पर मद्रास उच्च न्यायालय के वर्ष 2011 के एक आदेश को बरकरार रखा जो हाथियों से संबंधित 'राइट ऑफ पैसेज' (Right of Passage) और क्षेत्र में होटल/रिसॉर्ट्स को बंद करने की पुष्टि करता है।

स्रोत: द हिंदू