ओडिशा और पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ | 18 May 2020

प्रीलिम्स के लिये

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ 

मेन्स के लिये

चक्रवाती तूफानों के कारण और इनसे निपटने में विभिन्न संस्थानों की भूमिका

चर्चा में क्यों?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के अनुसार, दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ रहा चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ (Amphan) आगामी कुछ समय में ‘अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान’ (Extremely Severe Cyclonic Storm) का रूप ले सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार, तटीय ओडिशा में 18 मई, 2020 शाम से अलग-अलग स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
  • पश्चिम बंगाल के तटीय ज़िलों में भी 19 मई, 2020 को अलग-अलग स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मछुआरों को 18 से 21 मई तक पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा के समुद्री तटों से दूर रहने की सलाह दी है और जो लोग अभी समुद्र में हैं, उन्हें 17 मई तक वापस लौटने के लिये कहा गया है।
  • मौसम विभाग की चेतावनी को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है (1) येलो वाॅर्निंग (Yellow Warning) (2) ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert) (3) रेड अलर्ट (Red Alert) 
    • ‘येलो वाॅर्निंग’ (Yellow Warning) अथवा ‘साईक्लोन अलर्ट’ (Cyclone Alert) तटीय क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम की संभावना से कम-से-कम 48 घंटे पूर्व जारी की जाती है।
    • ‘ऑरेंज अलर्ट’ (Orange Alert) अथवा ‘साईक्लोन वाॅर्निग’ (Cyclone Warning) तटीय क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम की संभावना से कम-से-कम 24 घंटे पूर्व जारी किया जाता है।
    • ‘रेड अलर्ट’ (Red Alert) चक्रवात के लैंडफॉल (Landfall) के पश्चात् चक्रवात की गति की संभावित दिशा और भूभागीय क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम की संभावना को दर्शाता है।
  • मौसम विभाग द्वारा ओडिशा और बंगाल के लिये ‘येलो वाॅर्निग’ (Yellow Warning) अथवा ‘साईक्लोन अलर्ट’ (Cyclone Alert) जारी किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि इस संदर्भ में ओडिशा में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (National Disaster Response Force-NDRF) की 17 टीमें तैनात की गई हैं। बीते वर्ष चक्रवाती तूफान फानी (Cyclonic storm Fani) द्वारा प्रभावित ओडिशा में लगभग 11 लाख लोगों को संवेदनशील क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की व्यवस्था की गई है।
  • इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (National Crisis Management Committee- NCMC) ने भी इस चक्रवात की तैयारियों की समीक्षा करते हुए पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा को तत्काल सहायता का निर्देश दिया है।
    • ध्यातव्य है कि चक्रवात से संबंधित तैयारियों की समीक्षा के लिये कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में NCMC की बैठक हुई।

चक्रवात और भारत

  • चक्रवात कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज़ आँधी को कहा जाता है। दोनों गोलार्द्धों के चक्रवाती तूफानों में अंतर यह है कि उत्तरी गोलार्द्ध में ये चक्रवात घड़ी की सुइयों की विपरीत दिशा में (Counter-Clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा (Clockwise) में चलते हैं। 
    • उत्तरी गोलार्द्ध में इसे हरिकेन, टाइफून आदि नामों से जाना जाता है।
  • ध्यातव्य है कि भारत में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से ही अधिकांश तूफानों की उत्पत्ति होती है, जिन्हें उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।
  • उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात अपने निम्नदाब के कारण ऊँची सागरीय लहरों का निर्माण करते हैं और इन चक्रवातों का मुख्य प्रभाव तटीय भागों में पाया जाता है।

चक्रवातों के नामकरण का विषय

  • विदित हो कि चक्रवातों के नामकरण का विषय सदैव से ही काफी महत्त्वपूर्ण रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देश (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा थाइलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं।
  • चक्रवातों के नामकरण के कारण चक्रवात को आसानी से पहचाना जा सकता है और इससे बचाव अभियानों में भी मदद मिलती है। किसी नाम का दोहराव नहीं किया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि मौजूदा चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ (Amphan) का नामकरण थाइलैंड द्वारा किया गया था। 
  • वर्ष 1900 के मध्य चक्रवाती तूफान से होने वाले खतरे के बारे में लोगों को समय रहते सतर्क करने के लिये इसके नामकरण की शुरुआत हुई थी। 


स्रोत: पी.आई.बी.