महत्त्वपूर्ण खनिज | 11 Dec 2023

प्रिलिम्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण खनिज, खनन क्षेत्र, दुर्लभ मृदा धातु, खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI), खनिज सुरक्षा भागीदारी

मेन्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण खनिज, भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों का महत्त्व, भारत में खनिज वितरण

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहली नीलामी, जिसमें निजी क्षेत्रों को बिक्री के लिये 20 ब्लॉक्स की पेशकश की गई है, शुरू करके खनन क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है।

महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहली नीलामी के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • ऐसा पहली बार है कि लिथियम अयस्क के खनन से संबंधित अधिकार निजी क्षेत्रों को प्रदान किये जा रहे हैं। इन ब्लॉकों में अन्य खनिजों में निकल, तांबा, मोलिब्डेनम और दुर्लभ मृदा तत्त्व (REE) शामिल हैं।
  • खान मंत्रालय के अनुसार, 20 खनिज ब्लॉक आठ राज्यों में विस्तृत हैं, जिनमें सबसे अधिक ब्लॉक (सात) तमिलनाडु में हैं। प्रत्येक ब्लॉक के अधिकार अलग-अलग हैं; इनमें से चार ब्लॉकों को खनन लाइसेंस के लिये नीलाम किया गया है, जिससे लाइसेंसधारी को तत्काल खनन कार्य करने की अनुमति मिल जाती है, जबकि शेष 16 ब्लॉकों की नीलामी समग्र लाइसेंस (CL) के लिये की जा रही है जिससे खनन और भूवैज्ञानिक अन्वेषण की अनुमति मिलती है।

महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहली नीलामी की पृष्ठभूमि क्या है?

  • सरकार द्वारा 30 खनिजों को "महत्त्वपूर्ण" घोषित किये जाने एवं खनन कानूनों में संशोधन के बाद महत्त्वपूर्ण खनिजों की नीलामी का कार्य शुरू किया गया है।
  • जुलाई 2023 में सरकार ने MDMR संशोधन अधिनियम, 2023 के माध्यम से खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन करके 30 खनिजों को महत्त्वपूर्ण खनिजों के रूप में चिह्नित किया, यह संशोधन केंद्र सरकार को इन खनिजों के ब्लॉकों की नीलामी करने का अधिकार प्रदान करता है।
    • 30 महत्त्वपूर्ण खनिज इस प्रकार हैं- एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, कॉपर, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हेफनियम, इंडियम, लिथियम, मोलिब्डेनम, नायोबियम, निकल, PGE, फॉस्फोरस, पोटाश, REE, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, ज़िरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम।
  • बोली लगाने वालों द्वारा प्रदान किये गए खनिज प्रेषण मूल्य के उच्चतम प्रतिशत को बोली/बिडिंग का आधार माना जाता है।

महत्त्वपूर्ण खनिज क्या हैं?

  • महत्त्वपूर्ण खनिज:
    • आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आवश्यक खनिजों को महत्त्वपूर्ण खनिज कहा जाता है, चुनिंदा भौगोलिक स्थानों में इनके निष्कर्षण अथवा प्रसंस्करण की मात्रा या फिर इनकी उपलब्धता से आपूर्ति शृंखला में व्यवधान भी उत्पन्न हो सकता है।

  • महत्त्वपूर्ण खनिजों की घोषणा:
    • यह एक परिवर्तनीय प्रक्रिया है और समय के साथ नई प्रौद्योगिकियों, बाज़ार गतिशीलता तथा भू-राजनीतिक स्थितियों के साथ विकसित होती रहती है।
    • विशिष्ट परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के आधार पर विभिन्न देशों में विभिन्न महत्त्वपूर्ण खनिज उपलब्ध हो सकते हैं।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा अथवा आर्थिक विकास में उनकी भूमिका के मद्देनज़र अमेरिका ने 50 खनिजों को महत्त्वपूर्ण घोषित किया है।
    • जापान के अनुसार, उनकी अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की संख्या 31 है, यही संख्या यूके के लिये 18, यूरोपीय संघ के लिये 34 और कनाडा के लिये 31 है।

भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों का क्या महत्त्व है?

  • आर्थिक विकास: 
    • हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन और रक्षा जैसे उद्योग इन खनिजों पर काफी निर्भर हैं।
    • इसके अतिरिक्त सौर पैनल, पवन टरबाइन, बैटरी तथा इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी हरित प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज आवश्यक हैं।
    • भारत की इन क्षेत्रों में घरेलू मांग और क्षमता को देखते हुए उनकी वृद्धि से रोज़गार सृजन, आय सृज़न एवं नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: 
    • ये खनिज अंतरिक्ष, रक्षा, एयरोस्पेस और परमाणु अनुप्रयोगों में उपयोग के लिये आवश्यक हैं, जिनमें भरोसेमंद, उच्च गुणवत्ता वाली सामग्रियों के उपयोग की आवश्यकता होती है ताकि वे चरम स्थितियों का सामना करने और जटिल कार्य करने में सक्षम हो सकें।
  • पर्यावरणीय धारणीयता: 
    • वे स्वच्छ ऊर्जा और कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण के अभिन्न अंग हैं, जो जीवाश्म ईंधन एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर भारत की निर्भरता को कम करने में मदद करते हैं।
    • भारत ने वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है, इन खनिजों की भारत के हरित उद्देश्यों की प्राप्ति में अहम भूमिका है।

महत्त्वपूर्ण खनिजों से संबंधित भारत की चुनौतियाँ क्या हैं?

  • रूस-यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव: 
    • रूस विभिन्न महत्त्वपूर्ण खनिजों का एक प्रमुख उत्पादक है, जबकि यूक्रेन के पास लिथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट और दुर्लभ मृदा तत्त्वों का भंडार है।
    • दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्ष से महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति शृंखलाओं पर प्रभाव पड़ा है।
  • सीमित घरेलू भंडार: 
    • भारत में लिथियम, कोबाल्ट और अन्य दुर्लभ मृदा तत्त्वों जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों के भंडार सीमित हैं।
    • भारत इनमें से अधिकांश खनिजों का आयात करता है, जिससे इसकी आपूर्ति के लिये अन्य देशों पर निर्भरता बढ़ जाती है। आयात पर इस निर्भरता के कारण मूल्य में उतार-चढ़ाव, भू-राजनीतिक कारकों एवं आपूर्ति में व्यवधान के संदर्भ में भेद्यता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
      • भारत लिथियम और निकल जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये आयात पर काफी निर्भर है, आयात निर्भरता के संदर्भ में देखें तो लिथियम और निकल के लिये यह 100% और तांबे के लिये 93% है।

  • खनिजों की बढ़ती मांग: 
    • नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विनिर्माण और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर संक्रमण के लिये तांबा, मैंगनीज़, जस्ता, लिथियम, कोबाल्ट जैसे खनिजों एवं दुर्लभ मृदा तत्त्वों की बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है

निष्कर्ष:

  • भारत के पास महत्त्वपूर्ण खनिजों के रणनीतिक प्रबंधन के माध्यम से अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी को मज़बूत करने का सुनहरा अवसर है। संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्त्व में खनिज सुरक्षा साझेदारी (MSP) जैसी पहल में भाग लेकर भारत वैश्विक महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं की स्थापना में योगदान दे सकता है।
  • ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज, विकास, प्रसंस्करण तथा व्यापार में भारत की स्थिति को बेहतर बनाने में काफी मदद कर सकते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बहुत कम प्रतिशत योगदान है। चर्चा कीजिये। (2021)

प्रश्न. प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017)