आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 | 29 Mar 2022

प्रिलिम्स के लिये:

लोकसभा, भारतीय दंड संहिता, निवारक निरोध, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, नागरिकों के मौलिक अधिकार, गोपनीयता का अधिकार, आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022

मेन्स के लिये:

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 और मुद्दे, निर्णय और मामले, मौलिक अधिकार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया है।

criminal-procedure-identification-bill

विधेयक के प्रावधान:

  • नमूनों का संग्रह:
    • यह पुलिस और जेल अधिकारियों को रेटिना और आईरिस स्कैन सहित भौतिक एवं जैविक नमूनों को एकत्र करने, संग्रहण और विश्लेषण करने की अनुमति देगा।
      • इस अधिनियम के तहत माप लेने की अनुमति देने का विरोध या इनकार करने को भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के तहत अपराध माना जाएगा।
    • यह इन प्रावधानों को किसी भी निवारक निरोध कानून के तहत पकड़े गए व्यक्तियों पर भी लागू करने का प्रयास करता है।
    • यह आपराधिक मामलों में पहचान और जाँच हेतु दोषियों तथा "अन्य व्यक्तियों" के परीक्षण के लिये भी अधिकृत है।
      • यह दोषियों, गिरफ्तार व्यक्तियों या बंदियों से परे अपने दायरे को इंगित करने वाले "अन्य व्यक्तियों" को परिभाषित नहीं करता है।
  • परीक्षण/माप को रिकॉर्ड करने की शक्ति:
    • परीक्षण/माप रिकॉर्ड करने के लिये हेड कांस्टेबल रैंक तक के पुलिस कर्मियों को अधिकृत किया गया है।
    • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) भौतिक और जैविक नमूनों, हस्ताक्षर एवं हस्तलेखन डेटा का भंडार होगा जिसे कम-से-कम 75 वर्षों तक संरक्षित किया जा सकता है।
      • NCRB को किसी अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी के साथ रिकॉर्ड साझा करने का भी अधिकार दिया गया है।

विधेयक का महत्त्व:

  • आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना:
    • विधेयक शरीर के उपयुक्त परीक्षणों की जाँच और उन्हें रिकॉर्ड करने हेतु आधुनिक तकनीकों के उपयोग का प्रावधान करता है।
      • वर्तमान कानून- कैदियों की पहचान अधिनियम (Identification of Prisoners Act) को वर्ष 1920 में लागू किया गया था, अतः यह काफी पुराना है और यह दोषी व्यक्तियों की एक सीमित श्रेणी के केवल फिंगरप्रिंट (Fingerprint) और पदचिह्न (Footprint) लेने की अनुमति प्रदान करता है।
  • निवेश एजेंसियों हेतु सहायक:
    • विधेयक उन "व्यक्तियों के दायरे" का विस्तार करता है जिनके शरीर का परीक्षण या जाँच की जा सकती है। इससे जांँच एजेंसियों को पर्याप्त कानूनी रूप से स्वीकार्य सबूत इकट्ठा करने और आरोपी व्यक्ति के अपराध को साबित करने में मदद मिलेगी।
  • अपराध की जांँच को और अधिक कुशल बनाना:
    • यह विधेयक व्यक्तियों के उचित शारीरिक परीक्षण हेतु कानूनी मंज़ूरी प्रदान करता है, जिन्हें इस तरह के परीक्षण/माप की आवश्यकता होती है और इससे अपराध की जांँच अधिक कुशल और तेज़ हो जाएगी और दोष-सिद्धि दर को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

विधेयक से संबंधित मुद्दे:

  • यह तर्क दिया गया है कि विधेयक संसद की विधायी क्षमता से परे था क्योंकि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है।
    • विधेयक में राजनीतिक विरोध में शामिल प्रदर्शनकारियों के भी नमूने एकत्र करने का प्रस्ताव है।
  • यह संविधान के अनुच्छेद 20(3) का उल्लंघन करता है। विधेयक में जैविक जानकारी के संग्रह में बल का प्रयोग निहित है, जिससे नार्को परीक्षण (Narco Analysis) और ब्रेन मैपिंग (Brain Mapping) भी शामिल हो सकती है।
    • अनुच्छेद 20(3) के अनुसार, 'किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति को अपने खिलाफ गवाह बनने हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा'।
  • विधेयक संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निर्धारित मानवाधिकार प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है।
  • साथ ही शारीरिक परीक्षण एवं नमूनें एकत्र करने हेतु खंड 6(1) में निहित शक्तियों का उपयोग ‘ए.के. गोपालन’ वाद (1950), ‘खड़ग सिंह’ वाद (1964), ‘चार्ल्स शोभराज’ वाद (1978), ‘शीला बरसे’ वाद (1983), ‘प्रमोद कुमार’ वाद के तहत सज़ा पाए लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।

सरकार की संबंधित पहलें:

  • अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (CCTNS):
    • यह ई-गवर्नेंस के माध्यम से प्रभावी पुलिस व्यवस्था के लिये एक व्यापक एवं एकीकृत प्रणाली बनाने की परियोजना है।
  • गृह मंत्रालय ‘सेंट्रल फिंगर प्रिंट ब्यूरो’ (CFPB) और NIST फिंगरप्रिंट इमेज सॉफ्टवेयर (NFIS) के फिंगरप्रिंट डेटाबेस के एकीकरण पर काम कर रहा है।
    • NFIS एक तकनीक है, जिसका उपयोग यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) द्वारा उँगलियों के निशान से मिलान करने के लिये किया जाता है।
  • सरकार डेटा संग्रह को बढ़ाने पर भी काम कर रही है।
  • FBI के डेटाबेस में 4 करोड़ से अधिक उँगलियों के निशान हैं और CFPB के पास वर्तमान में सिर्फ 10 लाख से अधिक उँगलियों के निशान का डेटाबेस है।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न. 'निजता का अधिकार' भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संरक्षित है?

(a) अनुच्छेद 15
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 21
(d) अनुच्छेद 29

उत्तर: (c)

  • पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ मामले (2017) में निजता के अधिकार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मौलिक अधिकार घोषित किया गया था।
  • निजता का अधिकार अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के आंतरिक भाग के रूप में और भारतीय संविधान के भाग III द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रता के एक भाग के रूप में संरक्षित है।

स्रोत: द हिंदू