अवैध ड्रग्स आपूर्ति | 27 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय

मेन्स के लिये:

संगठित अंतर्राष्ट्रीय अभिकर्त्ता द्वारा अवैध ड्रग्स आपूर्ति से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय’ (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) ने ‘सिंथेटिक ड्रग्स इन ईस्ट एंड साउथईस्ट एशिया’ (Synthetic Drugs in East and Southeast Asia) पर रिपोर्ट जारी की है। 

प्रमुख बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के कारण अवैध ड्रग्स की बरामदगी में भले ही कमी आई है परंतु इसकी आपूर्ति में कोई कमी नहीं आई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, महामारी से निपटने हेतु सरकारों की प्राथमिकताओं और संसाधनों में बदलाव कर ड्रग के रोकथाम और उपचार कार्यक्रमों को मज़बूत करने के प्रयास से नुकसान हो सकता है।
  • रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि आगामी महीनों में ड्रग्स की बरामदगी, कीमत और ड्रग्स से संबंधित गिरफ्तारी या मृत्यु के मामले में आने वाले उतार-चढ़ाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से COVID-19 महामारी से संबंधित नहीं होंगे।   
  • ड्रग्स की आपूर्ति में कमी को सक्रिय संगठित अपराध समूहों द्वारा त्वरित रूप से पूरा करने के कारण कुछ तस्करी मार्गों पर जोखिम का स्तर बढ़ गया है।
  • ‘संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय’ के अनुसार, चिंता का मुख्य कारण सिंथेटिक दवा मेथम्फेटामाइन (Methamphetamine) है। वैश्वीकृत आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकताओं के बिना मेथम्फेटामाइन का निर्माण, तस्करी और आपूर्ति की जाती है।

भारत के संदर्भ में:

  • वर्ष 2019 में भारत में ‘एंफैटेमिन टाइप स्टिमुलैंट्स’ (Amphetamine-type Stimulants- ATS) की बरामदगी अत्यधिक हुई थी जिसके निम्नलिखित कारण हैं:-
    • गोल्डन ट्रायंगल से लेकर बांग्लादेश और भारत के कुछ क्षेत्रों में मेथम्फेटामाइन की तस्करी में वृद्धि।
    • गोल्डन ट्रायंगल वह क्षेत्र है जहां थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमाएँ रुक और मेकांग नदियों (Mekong River) के संगम पर मिलती हैं। 
    • यह दक्षिण-पूर्व एशिया का मुख्य अफीम उत्पादक क्षेत्र तथा यूरोप और उत्तरी अमेरिका में नशीले पदार्थों की आपूर्ति हेतु सबसे पुराने मार्गों में से एक है।

Myanmar-India-Drug_trail

चुनौतियाँ:

  • निचले मेकांग क्षेत्र की सीमाओं पर भी तस्करी कई तरह से की जाती है जिसके कारण इन क्षेत्रों में तस्करी रोकना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है ।
  • सीमाओं और व्यापार को बंद करने के कारण कंटेनरीकृत तस्करी, कोरियर और बॉडी-पैकिंग के तरीके कम हो गए हैं। हालाँकि पदार्थों की तस्करी में कमी आने की स्थिति में तस्कर कई अन्य तरीकों को अपना सकते हैं।
  • गोल्डन ट्राएंगल क्षेत्र में सरकारी नियंत्रण सीमित है जिसके कारण पदार्थों की तस्करी भारी मात्रा में होती है।
  • लॉकडाउन के कारण ड्रग्स की खरीद-बिक्री करने वालों की आय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अतः इस प्रभाव के कारण अपराध में वृद्धि होने की संभावना भी बढ़ गई है।

आगे की राह:

  • अवैध मादक पदार्थों के खतरे से निपटने के लिये भारत लगातार प्रयासरत है लेकिन ज़मीनी स्तर पर इस तरह की तस्करी को रोकने हेतु सख्त नीतियों की आवश्यकता है।
  • देश की सीमाओं से पार उन देशों में भी प्रयास किये जाने की ज़रूरत है जहाँ अवैध मादक पदार्थों का उत्पादन होता है। 

स्रोत: द हिंदू