वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद | 08 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

सीएसआईआर, नेशनल मिशन फॉर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, शांति स्वरूप भटनागर।

मेन्स के लिये:

सीएसआईआर द्वारा की गई पहल, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

वरिष्ठ विद्युत रासायनिक वैज्ञानिक नल्लाथम्बी कलाइसेल्वी वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की पहली महिला महानिदेशक बन गई हैं।

  • कलाइसेल्वी का 25 से अधिक वर्षों का शोध कार्य मुख्य रूप से विद्युत रासायनिक शक्ति प्रणाली (Electrochemical Power Systems) और विशेष रूप से इलेक्ट्रोड सामग्री के विकास एवं ऊर्जा भंडारण डिवाइस असेंबली में उनकी उपयुक्तता के लिये इलेक्ट्रोड सामग्री के विद्युत रासायनिक मूल्यांकन पर केंद्रित है।
  • कलाइसेल्वी ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी हेतु राष्ट्रीय मिशन में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनके पास 125 से अधिक शोध पत्र और छह पेटेंट अधिकार हैं।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR):

  • परिचय:
    • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है।
    • CSIR एक अखिल भारतीय संस्थान है जिसमें 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी परिसरों और 5 इकाइयों का एक सक्रिय नेटवर्क शामिल है।
      • CSIR का वित्तपोषण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जाता है तथा यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में पंजीकृत है।
  • कार्यक्षेत्र:
    • CSIR अपने दायरे में रेडियो एवं अंतरिक्ष भौतिकी (Space Physics), समुद्र विज्ञान (Oceanography), भू-भौतिकी (Geophysics), रसायन, ड्रग्स, जीनोमिक्स (Genomics), जैव प्रौद्योगिकी और नैनोटेक्नोलॉजी से लेकर खनन, वैमानिकी (Aeronautics), उपकरण विज्ञान (Instrumentation), पर्यावरण अभियांत्रिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी तक की एक विस्तृत विषय शृंखला को शामिल करता है।
    • यह सामाजिक प्रयासों के संबंध में कई क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण तकनीकी हस्तक्षेप प्रदान करता है जिसमें पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि-क्षेत्र और गैर-कृषि क्षेत्र शामिल हैं।
  • स्थापना: सितंबर 1942
  • मुख्यालय: नई दिल्ली

संगठनात्मक संरचना:

  • अध्यक्ष: भारत का प्रधानमंत्री (पदेन अध्यक्ष)।
  • उपाध्यक्ष: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (पदेन उपाध्यक्ष)।
  • शासी निकाय/संचालक मंडल: महानिदेशक (Director General) शासी निकाय का प्रमुख होता है।
    • इसके अतिरिक्त वित्त सचिव (व्यय) इसका पदेन सदस्य होता है।
    • अन्य सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है।
  • CSIR सलाहकार बोर्ड: यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों का 15 सदस्यीय निकाया है।
    • इसका कार्य शासी निकाय को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी सलाह या इनपुट्स प्रदान करना है।
    • इसके सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है।

उद्देश्य:

  • परिषद का उद्देश्य राष्ट्रीय महत्त्व के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान (Scientific and Industrial/Applied Research) करना है।

इसकी गतिविधियों में शामिल हैं:

  • वैज्ञानिक नवाचार से संबंधित संस्थानों और विशिष्ट शोधकर्त्ताओं के वित्तपोषण सहित भारत में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान का सवर्द्धन, मार्गदर्शन और समन्वयन करना।
  • उद्योग विशेष और व्यापार विशेष को प्रभावित करने वाली समस्याओं के वैज्ञानिक अध्ययन के लिये विशेष संस्थानों या मौजूदा संस्थानों के विभागों की स्थापना करना तथा सहायता देना।
  • शोध हेतु छात्रवृत्ति और फैलोशिप प्रदान करना।
  • परिषद के तत्त्वावधान में किये गए अनुसंधान के परिणामों का उपयोग देश में उद्योगों के विकास के लिये करना।
  • अनुसंधान के परिणामस्वरूप प्राप्त होने वाली रॉयल्टी के एक हिस्से का भुगतान उन व्यक्तियों को करना जिन्होंने ऐसे अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण योगदान किया हो।
  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान में प्रगति के लिये प्रयोगशालाओं, कार्यशालाओं, संस्थानों तथा संगठनों की स्थापना, रखरखाव एवं प्रबंधन।
  • वैज्ञानिक अनुसंधानों संबंधी सूचनाओं के संग्रह और प्रसार के साथ-साथ सामान्य रूप से औद्योगिक मामलों के संबंध में भी सूचनाओं का संग्रह एवं प्रसार करना।
  • शोध पत्रों और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास से संबंधित पत्रिका का प्रकाशन करना।

दृष्टिकोण एवं रणनीति 2022 (Vision & Strategy 2022)

  • दृष्टिकोण: ऐसे विज्ञान का प्रसार करना जो वैश्विक प्रभाव के लिये प्रयास करे, ऐसी प्रौद्योगिकी तैयार करना जो नवोन्‍मेष आधारित उद्योगों का विकास करे और पराविषयी (Trans-Disciplinary) नेतृत्‍व का संपोषण करे ताकि भारत के लोगों के लिये समावेशी आर्थिक विकास को उत्‍प्रेरित किया जा सके।

संगठन से जुड़े पुरस्कार/सम्मान:

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उपलब्धि के लिये प्रदान किया जाने वाला शांति स्वरूप भटनागर (SSB) पुरस्कार का नामकरण CSIR के संस्थापक निदेशक स्वर्गीय डॉ. शांति स्वरूप भटनागर के नाम पर किया गया है।
  • इसे वर्ष 1957 में देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानजनक पुरस्कार के रूप में निर्दिष्ट किया गया था।

डॉ. शांति स्वरूप भटनागर:

  • वे CSIR के संस्थापक निदेशक थे जिन्हें 12 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की स्थापना करने का श्रेय दिया जाता है।
  • स्वातंत्र्योत्तर भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना के निर्माण और भारत की विज्ञानं तथा प्रौद्योगिकी नीतियों के निर्माण में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही वे सरकार में कई महत्त्वपूर्ण पदों पर भी रहे।
    • वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के पहले अध्यक्ष थे।
  • उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर’ (OBE) से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1941 में उन्हें ‘नाइट’ की उपाधि दी गई और वर्ष 1943 में उन्हें रॉयल सोसाइटी, लंदन का फेलो चुना गया।
  • वर्ष 1954 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

CSIR द्वारा की गई पहल:

  • कोविड-19:
    • महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये CSIR ने पाँच प्रौद्योगिकी कार्यक्षेत्र स्थापित किये हैं:
      • डिजिटल और आणविक निगरानी।
      • तीव्र और किफायती निदान।
      • ड्रग्स, वैक्सीन और कॉन्वेलसेंट प्लाज़्मा थेरेपी का पुनरुत्पादन।
      • चिकित्सालय सहायक उपकरण और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPEs )।
      • आपूर्ति शृंखला और रसद समर्थन प्रणाली।
  • सामरिक:
    • हेड-अप-डिस्प्ले (HUD): इसने भारतीय हल्के लड़ाकू विमान, तेजस के लिये स्वदेशी हेड-अप-डिस्प्ले (HUD) विकसित किया। HUD विमान को उड़ाने में और हथियारों को निशाना बनाने सहित महत्त्वपूर्ण उड़ान युद्धाभ्यास में पायलट की सहायता करता है।
  • ऊर्जा और पर्यावरण:
    • सोलर ट्री: यह न्यूनतम स्थान में स्वच्छ ऊर्जा पैदा कर सकता है।
    • लिथियम आयन बैटरी:0 V/14 h मानक सेल बनाने के लिये स्वदेशी सामग्री पर आधारित भारत की पहली लिथियम आयन बैटरी निर्माण सुविधा स्थापित की गई है।
  • कृषि:
    • सांबा मसूरी चावल की किस्म: इसने एक बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी चावल की किस्म विकसित की।
    • चावल की खेती (मुक्तश्री): चावल की एक किस्म विकसित की गई है जो अनुमेय सीमा के भीतर आर्सेनिक के मिश्रण से रोकती है।
    • सफेद मक्खियों के प्रतिरोधी कपास की किस्म: एक ट्रांसजेनिक काॅटन लाइन विकसित की जो सफेद मक्खियों के लिये प्रतिरोधी है।
  • स्वास्थ्य देखभाल:
    • चिकित्सा निर्णय को सक्षम करने के लिये जीनोमिक्स और अन्य ओमिक्स प्रौद्योगिकियाँ - GOMED: इसे CSIR द्वारा विकसित किया गया है जो रोग जीनोमिक्स से संबंधित नैदानिक समस्याओं को हल करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
  • भोजन और पोषण:
    • क्षीर-स्कैनर: यह 10 पैसे की कीमत पर 45 सेकंड में दूध में मिलावट और मिलावट के स्तर का पता लगाता है।
    • डबल-फोर्टिफाइड नमक: लोगों में एनीमिया को दूर करने के लिये विकसित और परीक्षण किये गए बेहतर गुणों वाले आयोडीन एवं आयरन से युक्त नमक।

स्रोत: द हिंदू