सबसे बड़े आर्कटिक अभियान का समापन | 14 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये:

मोज़ेक अभियान

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में मोज़ेक अभियान का महत्त्व 

चर्चा में क्यों? 

वर्ष भर आयोजित हुआ मोज़ेक अभियान (MOSAiC Expedition) नॉर्वे से शुरू हुआ तथा इसका समापन जर्मनी के ब्रेमेरवेन (Bremerhaven) बंदरगाह तट पर हुआ।

‘अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट’(Alfred Wegener Institute), जर्मनी द्वारा आयोजित इस अभियान की कुल लागत 150 मिलियन डॉलर थी। 

प्रमुख बिंदु:

  • ‘मल्टीडिसिप्लिनरी ड्रिफ्टिंग ऑब्ज़र्वेट्री फॉर द स्टडी ऑफ आकर्टिक क्लाइमेट’ (Multidisciplinary Drifting Observatory for the Study of Arctic Climate- MOSAiC) भौतिक, रासायनिक एवं जैविक प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिये  एक अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान अभियान है जो आर्कटिक के वातावरण, समुद्री बर्फ, महासागर एवं पारिस्थितिकी तंत्र को एक साथ अपने अध्ययन में शामिल करता है। 
  • केंद्रीय आर्कटिक क्षेत्र में आर्कटिक जलवायु प्रणाली की  खोज को लेकर  इस वर्ष मोज़ेक अभियान  का यह प्रथम चरण था।
  • पूरे वर्ष अनुसंधान के दौरान अवलोकन स्थलों के लिये वितरित क्षेत्रीय नेटवर्क को जलयान आइसब्रेकर आर.वी. पोलरस्टर्न(RV Polarstern) के आसपास की समुद्री बर्फ पर स्थापित किया गया।
    • आइसब्रेकर आर. वी. पोलरस्टर्न एक जर्मन अनुसंधान जलयान है जिसका उपयोग मुख्य रूप से आर्कटिक और अंटार्कटिका में अनुसंधान के लिये किया जाता है।
  • मोजेक अभियान से प्राप्त परिणाम आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारणों की खोज करने, समुद्री-बर्फ के पिघलने के कारणों का पता लगाने तथा जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रीय एवं वैश्विक परिणामों के प्रति बेहतर समझ विकसित करने के साथ-साथ सटीक मौसम एवं जलवायु दशाओं के पूर्वानुमान में सहायक होंगे।

महत्त्व:

  • इस क्षेत्र की समुद्री बर्फ हाल के दशकों में निरंतर पिघल रही है, वर्ष 1979 में उपग्रह मापन की शुरुआत के बाद से वर्ष 2019 दूसरा ऐसा वर्ष है जब इस क्षेत्र में बर्फ की मात्रा में सर्वाधिक कमी देखी गई है। 
  • तापन (Warming) भी आर्कटिक की पुरानी एवं  मोटी बर्फ के पिघलने का कारण है।
  • आर्कटिक क्षेत्र के महासागर, बर्फ, बादल, तूफान एवं  पारिस्थितिक तंत्र के बारे में एकत्र की गई  जानकारी  वैज्ञानिकों के लिये इस क्षेत्र को बेहतर तरीके से समझने में महत्त्वपूर्ण साबित होगी,जो कि इस  ग्रह के किसी अन्य भाग की तुलना में तेज़ी से गर्म हो रहा है। 

स्रोत: फर्स्ट पोस्ट