CBI को अधिक स्वायत्तता मिले: मुख्य न्यायाधीश | 14 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने CBI को एक कुशल और निष्पक्ष जाँच एजेंसी के रूप में कार्यात्मक बनाने के लिये एक व्यापक कानून के निर्माण के प्रयास किये जाने पर जोर दिया।

मुख्य न्यायाधीश के अनुसार, 

  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller & Auditor General) के समतुल्य कानून के माध्यम से CBI को भी वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिये।
  • संगठनात्मक संरचना, कार्यों का चार्टर, शक्तियों की सीमा, संचालन और निरीक्षण से संबंधित कमियों को दूर करने के लिये एक व्यापक कानून के माध्यम से CBI के कानूनी जनादेश को मज़बूत किया जाना चाहिये।
  • इसके अलावा अंतर-राज्यीय अपराधों की बढ़ती घटनाओं का पता लगाने के लिये 'सार्वजनिक व्यवस्था' को समवर्ती सूची में शामिल किया जाना चाहिये।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने सदैव अपने संवैधानिक अधिकारों के उपयोग से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि CBI बिना किसी भय या पक्षपात के जनहित में कार्य करे।
  • फिर भी कई हाई-प्रोफाइल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में एजेंसी न्यायिक जाँच के मानकों को पूरा नहीं कर पाती है।
  • दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के अनुसार, CBI को जाँच करने के लिये संबंधित राज्य सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता होती है, परंतु कभी-कभी निहित स्वार्थ और नौकरशाही की सुस्ती के कारण इस तरह की सहमति को या तो नकार दिया जाता है या फिर काफी देर कर दी जाती है जिसके कारण जाँच नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो 

(Central Bureau of Investigation-CBI):

  • CBI, कार्मिक विभाग, कार्मिक पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत एक प्रमुख अन्वेषण पुलिस एजेंसी है।
  • यह नोडल पुलिस एजेंसी भी है, जो इंटरपोल के सदस्य-राष्ट्रों के अन्वेषण का समन्वयन करती है। 
  • एक भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी से हटकर CBI एक बहुआयामी, बहु-अनुशासनात्मक केंद्रीय पुलिस, क्षमता, विश्वसनीयता और विधि के शासनादेश का पालन करते हुए जाँच करने वाली एक विधि प्रवर्तन एजेंसी है।

CBI का अधिकार क्षेत्र क्या है?

  • 1946 के अधिनियम की धारा (2) के तहत केवल केंद्रशासित प्रदेशों में अपराधों की जाँच के लिये CBI को शक्ति प्राप्त है। हालाँकि केंद्र द्वारा रेलवे तथा राज्यों जैसे अन्य क्षेत्रों में उनके अनुरोध पर इसके अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है। वैसे CBI केवल केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित मामलों की जाँच के लिये अधिकृत है। 
  • कोई भी व्यक्ति केंद्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और राष्ट्रीयकृत बैंकों में भ्रष्टाचार के मामले की शिकायत CBI से कर सकता है।
  • इसके अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामलों में CBI स्वयं कार्रवाई कर सकती है। जब कोई राज्य केंद्र से CBI की मदद के लिये अनुरोध करता है तो यह आपराधिक मामलों की जाँच करती है या तब जब सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय इसे किसी अपराध या मामले की जाँच करने का निर्देश देते हैं।

स्रोत: द हिंदू